Friday, February 7

RTI Act MPSIC 
nBhopal : मृत हुए बेटे ने आखिरी बार किससे फोन पर बात की थी, उसकी डिटेल मांगने के लिए पिता लगातार पुलिस अधिकारियों के पास भटकता रहा। सूचना का आधिकार अधिनियम के तहत लगाए गए आवेदन पर भी पुलिस अधिकारियों ने जानकारी नहीं दी, बल्कि उसका उपहास भी उड़ाते रहे।

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इस मामले की अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि जिस घटना को एक्सीडेंट बताकर पुलिस ने जांच बंद कर दिया है, उस पर जांच की गोपनीयता भंग होने का भी सवाल नहीं है। ऐसे में पिता को यह जानने का अधिकार है कि मरने से पहले आखिरी बार बेटे ने किससे बात की थी।

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राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए एडिशनल एसपी अनिल सोनकर (Anil Sonkar) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि यदि वह संतोषजनक जवाब नहीं देंगे तो 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही कहा है कि पांच दिन के भीतर अपीलकर्ता को पूरी जानकारी नि:शुल्क मुहैया कराई जाए।

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रायपुर कर्चुलियान (Rewa) क्षेत्र के 72 वर्षीय अयोध्या प्रसाद उपाध्याय के इकलौते जवान बेटे शिवकुमार उपाध्याय की बीते साल मौत हो गई थी। पुलिस ने अपनी जांच में इसे एक्सीडेंटल डेथ का मामला मानते हुए जांच को बंद कर दिया। जबकि अयोध्या प्रसाद  को यह शक है कि उनके बेटे की हत्या हुई है।  उपाध्याय का कहना है कि पुलिस उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। वह जानना चाहते हैं कि बेटे की आखिरी समय पर किससे बात हुई थी। 

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n– व्यक्तिगत जानकारी बताकर किया इंकार
nअयोध्या प्रसाद ने बताया कि रीवा के एडिशनल एसपी ने जानकारी को यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि यह एक व्यक्तिगत जानकारी है। जानकारी नहीं मिलने पर  पुलिस अधीक्षक के पास प्रथम अपील दायर की पर यहां भी निराशा मिली। एसपी ने भी अपील को खारिज करते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया। अयोध्या प्रसाद ने यह भी कहा कि वह पुलिस थाना और अधिकारियों के पास जाते हैं तो उनकी बात सुनने के बजाए उपहास उड़ाया जाता है।

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– पिता के लिए पुत्र की जानकारी निजी कैसे 
n सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि एक पिता के लिए उसके मृत बेटे के अंतिम क्षण के फोन रिकॉर्ड की जानकारी व्यक्तिगत जानकारी कैसे हो सकती है? आयोग में सुनवाई के दौरान पुलिस अधिकारी इसका कोई सही उत्तर नहीं दे पाए। उनका कहना था कि साइबर सेल ने उनको जो उत्तर दिया वही उत्तर उन्होंने  आवेदक को आगे लिख करके दे दिया। आयुक्त राहुल सिंह ने इस बात पर आपत्ति उठाई उनका कहना है कि लोक सूचना अधिकारी डाकिया नहीं है जो किसी भी अधिकारी द्वारा लेख किया गया पत्र आगे प्रेषित कर दे वह भी अपने नाम से। साथ ही कहा कि पुलिस ने केस बंद कर व्यक्ति के जीवन की त्रासदी को नजरंदाज किया है।

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