Friday, February 7

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 रीवा। सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को लेकर वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से एक्टिविस्ट और राज्य सूचना आयुक्त जुड़े। जिसमें अधिनियम के धारा 4 के तहत लोक प्राधिकारियों की बाध्यताओं को बताया गया।
जानकारी दी गई कि यदि विभागों की जानकारी उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध रहे तो कम संख्या में आरटीआइ आवेदन लगाए जाएंगे। विभागों की लापरवाही की वजह से ही आवेदनों की संख्या बढ़ती है। 

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लोक प्राधिकारी का यह दायित्व होता है कि धारा 4के तहत 17 बिन्दुओं का मैन्युअल कार्यालय में उपलब्ध कराएं साथ ही विभागों की वेबसाइट पर भी सभी जानकारी उपलब्ध रहे। 

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n सरकारी विभागों की जानकारी पोर्टल पर सार्वजनिक हो तो आरटीआई आवेदनों की घटेगी संख्याn

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पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा की जानकारी इलेक्ट्रिक फार्म में व्यवस्थित होनी चाहिए। पेपरलेस आफिस की ओर से सभी विभाग बढ़ रहे हैं, ऐसे में उनकी वेबसाइट पर सारी जानकारी अपडेट होनी चाहिए।n

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 उन्होंने कहा कि जानकारी तो अधिकांश विभागों की होती है लेकिन उसका लागइन-पासवार्ड विभाग के पास ही होता है, जिससे आम लोग नहीं देख पाते। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रीवा जिले में धारा 4(1)(बी) के 17 पॉइंट्स मैन्युअल की चर्चा करते हुए कहा कि इस मामले में हमने लोक प्राधिकारी रीवा कलेक्टर को जिम्मेदार ठहराया और उनके द्वारा अच्छा प्रयास किया जा रहा है। 

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सभी विभागों की मीटिंग लेकर कलेक्टर ने निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर जिले में यही व्यवस्था लागू होनी चाहिए लेकिन सबसे पहले आयोग रीवा संभाग में कार्य कर रहा है।  

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 सिंह ने कहा कि मामलों को टाइम बाउंड मैनर में निराकरण किया जाना बहुत आवश्यक है और इसके लिए शैलेश गांधी द्वारा बनाई गई लीगल नोटिस का सहारा लिया जा सकता है। 

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महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट भास्कर प्रभु ने कहा कि आयोग के पास हर एक कार्यालय से वार्षिक रिपोर्ट मंगाए जाने का प्रावधान होता है। इसका उपयोग सभी आयोगों में होने लगे तो पूरे देश की व्यवस्था एक साथ सुधर सकती है। इस दौरान वेबीनार का संचालन एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने किया। 

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  पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा कि सभी विभागों को अपनी जानकारी विधानसभा को देनी होती है, इसलिए अब कोई जानकारी गोपनीय रह नहीं गई है। इसलिए आम लोगों के सामने भी पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने कहा कि जनहित याचिका लगाने और लीगल नोटिस सर्व करने के लिए वह आरटीआइ कार्यकर्ताओं की मदद करेंगे। एक्टिविस्ट देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने लीगल नोटिस के फार्मेट के बारे में अपनी रखी।

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