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रीवा..विन्ध्य के मुख्यालय रीवा में अब संस्कृत विश्वविद्यालय (Sanskrit University) की स्थापना का पथ प्रशस्त हो गया है। पूर्व मंत्री व विधायक राजेन्द्र शुक्ल (Rajendra Shukla) ने विधानसभा में इस आशय का अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया था जिसे ग्राह्य करते हुए सरकार ने उच्चशिक्षा विभाग को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
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वरिष्ठ भाजपा नेता एवं विधायक राजेन्द्र शुक्ल ने विधानसभा में प्रस्तुत अपने अशासकीय संकल्प में कहा कि “उत्तरप्रदेश के वाराणसी और प्रयागराज की सीमा से लगा विन्ध्यक्षेत्र संस्कृत शिक्षा अध्ययन का पुरातन केन्द्र रहा है। संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने एवं उसके माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ ही जीविकोपार्जन का बड़ा साधन रहा है। आज भी विन्ध्यक्षेत्र एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में 14 संस्कृत महाविद्यालय एवं 54 संस्कृत विद्यालय संचालित है जहाँ हजारों की संख्या में छात्र अध्ययन कर रहे हैं। अतः क्षेत्रीय माँग, आवश्यकता और जनभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए रीवा में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना औचित्यपूर्ण प्रतीत होती है”।
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रीवा में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की माँग पाँच दशक से की जा रही है। उत्तरभारत में काशी के बाद विन्ध्यक्षेत्र संस्कृत शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। तब लक्ष्मणबाग संस्थान के संस्कृत शिक्षा केन्द्र को ‘मिनी काशी’ का दर्जा प्राप्त था। लक्ष्मणबाग संस्थान से शिक्षित व दीक्षित होकर निकले छात्र आज भी देश के प्रमुख मठ मंदिरों में पीठाधीश्वर, महंत व आचार्य के पदो को सुशोभित करते हुए सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
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यह मालूम होना चाहिए कि 2008 के पूर्व तक समूचे मध्यप्रदेश के संस्कृत महाविद्यालय अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। परीक्षाओं का यहीं से संचालन होता था। प्रथमा-मध्यमा की परीक्षाएं संयुक्त संचालक लोक शिक्षण कार्यालय से नियंत्रित व संचालित होती थीं। इसी वर्ष उज्जैन में पणिन विश्वविद्यालय की स्थापना हो जाने से यह अधिकार छिन गया। विन्ध्यक्षेत्र के संस्कृत विद्वानों व विशेषज्ञों के प्रतिनिधि मंडल ने समय समय पर राजेन्द्र शुक्ल जी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को रीवा में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु ग्यापन सौंपे। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त भी किया था कि शीघ्र ही इस दिशा में सार्थक पहल की जाएगी।
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इससे पूर्व भी केन्द्र सरकार के मंत्रियों/प्रतिनिधियों को ग्यापन सौंपकर रीवा के लक्ष्मणबाग संस्थान में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की माँग की गई थी। लक्ष्मणबाग संस्थान स्वयं में एक विश्वविद्यालय की अधोसंरचना है। संस्थान के पास लक्ष्मणबाग की 57 एकड़ भूमि है, शहर के अन्य स्थानों को भी मिला दें तो 100एकड़ जमीन यहीं उपलब्ध है। रीवा और शहडोल संभाग में कु 625 एकड़ भूमि है। मध्यप्रदेश व देश के अन्य धार्मिक स्थलों यथा..बालाजी, पुरी, बनारस, गया आदि शहरों में लक्ष्मणबाग संस्थान की भूमि है। पूर्वकाल में यहाँ मंदिरों/धर्मशालाओं में संस्कृत शिक्षा के अध्ययन केन्द्र अस्तित्व में रहे हैं।
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