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रीवा। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका मिला है। दो पूर्व विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है। अभय मिश्रा रीवा जिले में सेमरिया विधानसभा सीट से पार्टी का चेहरा थे। ऐसे वक्त पर उन्होंने पार्टी छोड़ी है कि कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं है। रीवा जिले में अभी और झटके कांग्रेस को लगने की आशंका है। यहां त्योंथर और देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के दो बड़े नेता भी भाजपा के संपर्क में हैं। चर्चा तो यह भी है कि कांग्रेस का रीवा जिले में प्रमुख घराना भी भाजपा के संपर्क में है। कांग्रेस में भगदड़ की वजह संगठन प्रभारी प्रतापभानु शर्मा को बताया जा रहा है।
nविधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देकर पूर्व विधायक अभय मिश्रा फिर भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनके साथ पत्नी पूर्व विधायक नीलम मिश्रा, जिला पंचायत सदस्य सुंदरिया आदिवासी, जनपद उपाध्यक्ष मिश्रीलाल तिवारी, भोले तिवारी, जनपद सदस्य राजेन्द्र सिंह सहित अन्य कई स्थानीय नेताओं ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। अभय मिश्रा पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर रीवा से राजेन्द्र शुक्ला के खिलाफ चुनाव लड़े थे।
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इस बार वह सेमरिया से प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। चुनाव की घोषणा के कुछ दिन पहले ही उन्होंने अचानक भाजपा ज्वाइन कर कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया है। इस बार उनकी भाजपा में वापसी तो हो गई है लेकिन मैदानी स्तर पर कई चुनौतियां होंगी। वह लगातार पांच वर्षों से भाजपा नेताओं के खिलाफ मुखर रहे हैं और सीधे तौर पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे हैं। यदि उन्हें भाजपा मैदान में उतारेगी तो कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बैठाना चुनौतीभरा कार्य होगा। साथ ही यदि विधानसभा की टिकट नहीं मिली तो वर्तमान विधायक केपी त्रिपाठी के साथ मिलकर काम करना भी चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। क्योंकि केपी और अभय के बीच सीधा विवाद लंबे समय से चल रहा है।
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सेमरिया की विधानसभा सीट से वर्ष 2008 में अभय मिश्रा ने चुनाव जीता था, इसके पहले वह सिरमौर के जनपद अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 2013 में पार्टी ने उनकी जगह पत्नी नीलम मिश्रा को टिकट दी और वह चुनाव जीत गईं। इसके बाद अभय ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष भी बने। तभी से वह जिले में समांतर भाजपा चला रहे थे। यही कारण था कि उनके विरोध में भाजपा की बड़ी लाबी तैयार हो गई और उन्हें कांग्रेस में जाना पड़ा था।
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n– कांग्रेस के संगठन से लगातार बढ़ रही थी दूरी
nअभय मिश्रा के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की एक प्रमुख वजह यह भी बताई जा रही है कि जिले के संगठन के साथ उनका तालमेल सही नहीं था। बीते महीने उन्होंने अपने फार्महाउस में एक बैठक ली और सोशल मीडिया पर यह बताया कि कांग्रेस के संगठन पदाधिकारियों की बैठक ली है। जिसका मझियार ब्लाक अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने खंडन किया और कहा कि यह उनकी निजी बैठक है, अनुशासनहीनता की कार्रवाई होना चाहिए। अभी नौ अगस्त को सेमरिया में आदिवासी दिवस पर कांग्रेस का बड़ा आयोजन हुआ, उसमें भी अभय को नहीं बुलाया गया। जबकि उस कार्यक्रम में कांग्रेस के संगठन प्रभारी प्रतापभानु शर्मा, जिला अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा सहित अन्य प्रमुख नेता शामिल हुए। संगठन की गतिविधियों से वह दूरी बना रहे थे लेकिन कमलनाथ और अजय सिंह राहुल से लगातार मिलते रहे हैं।
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nदो धुर विरोधी एक ही क्षेत्र में, सामंजस्य होगा चुनौतीपूर्ण
n अभय मिश्रा की भाजपा वापसी पार्टी के भीतर नई चुनौतियां पेश करेगी। क्योंकि वह विधायक राजेन्द्र शुक्ला, सांसद जनार्दन मिश्रा और विधायक केपी त्रिपाठी के खिलाफ मुखर रहे हैं। केपी त्रिपाठी ने अभय से जुड़े शराब कारोबार में भी विरोध प्रदर्शन किया था और दुकान के बाहर धरना देकर बंद करवाया था। इसके अलावा अन्य कई मोर्चों पर दोनों नेता आमने-सामने रहे हैं। अब इनके आने से सेमरिया में भाजपा के दो प्रमुख चेहरे हो गए हैं। अभय और केपी कैसे एक साथ आएंगे यह सामंजस्य बैठा पाना चुनौतीभरा कार्य होगा। पार्टी ने क्या आश्वासन दिया है इसका उन्होंने अभी खुलासा नहीं किया है। नरोत्तम मिश्रा के घर पर पार्टी की सदस्यता लेने के चलते संगठन में अभय मजबूत रहेंगे। रीवा में अभय को फिर से पार्टी के भीतर राजेन्द्र शुक्ला, जनार्दन मिश्रा और केपी त्रिपाठी के साथ काम करना होगा।
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nइधर भाजपा ज्वाइन करते ही कांग्रेस ने पार्टी से निकाला
nअभय मिश्रा और नीलम मिश्रा के भाजपा ज्वाइन करते ही इधर कांग्रेस पार्टी ने एक पत्र देते हुए छह वर्ष के लिए निष्कासन की कार्रवाई की है। प्रभारी कार्यक्रम एवं संगठन प्रदीप सोहगौरा की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि अनुशासनहीनता की वजह से पार्टी से निकाला जा रहा है। सेमरिया में आदिवासी दिवस पर समांतर कार्यक्रम आयोजित किया, जिसकी सूचना प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ तक पहुंची। प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश के बाद पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है। यह पत्र केवल अभय को दिया गया है, उनकी पत्नी नीलम ने कांग्रेस ज्वाइन नहीं किया था।