n– आखिरी दिन सभी प्रत्याशियों ने कई जनसभाएं और रोड शो किए
nरीवा। विधानसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी दिन प्रत्याशियों ने पूरी ताकत के साथ जोर लगाया। सुबह से ही प्रचार अभियान तेज कर दिया। नुक्कड़ सभाओं के साथ ही रोड शो भी किया। साथ ही शक्ति प्रदर्शन भी किया। रीवा जिले में इस बार एक तरफा चुनाव नहीं है। कुछ सीटों पर आमने-सामने की टक्कर है तो कुछ जगह त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। जनता भी अब अपना एजेंडा तय कर चुकी है और कई जगह संकेत भी दिए हैं कि वह किसके साथ है। इसका फैसला तो चुनाव परिणाम के बाद ही होगा लेकिन जनता के मिल रहे समर्थन से कई प्रत्याशी उत्साहित हैं तो कुछ हतोत्साहित होने लगे हैं। 

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रीवा – जनता के बीच अंडर करंट
nरीवा विधानसभा सीट पर इस बार प्रत्याशियों का आमने सामने का चुनाव नहीं रहा है। वह अपने-अपने रास्ते चलते रहे हैं, एक-दूसरे पर कोई विशेष आक्रामकता नहीं दिखाई है। इस सबके बीच मतदाताओं ने खुद से एजेंडा तय कर लिया है। अधिकांश लोगों का कहना है कि रीवा विधायक और वर्तमान प्रत्याशी का काम सही है और व्यक्ति भी अच्छे हैं लेकिन जरूरी नहीं कि इसी के चलते हर बार उन्हें ही अवसर मिलेगा। अधिकांश लोगों ने कहा है कि वह बदलाव के पक्ष में जा रहे हैं। यह हवा जनता के बीच तेजी से फैली है, यदि भाजपा इसे नहीं संभाल पाई तो रीवा का चुनाव परिणाम अप्रत्याशित हो सकता है। लोगों का कहना है कि वह विपक्ष के प्रत्याशी की अच्छाई या बुराई पर ध्यान नहीं दे रहे हैं वह नई सरकार के लिए बदलाव चाहते हैं। खुले तौर पर आ रहे इस तरह के बयानों से कांग्रेस गदगद है, उनका दावा है कि बदलाव का फायदा उन्हें ही मिलेगा। इनका दावा कितना सही होगा यह तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा।
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nगुढ़–
nगुढ़ सीट इस बार भी चर्चा में है। यहां से कांग्रेस की ओर से कुंवर कपिध्वज सिंह मैदान में हैं तो भाजपा ने पुराने चेहरे ८० वर्षीय नागेन्द्र सिंह पर ही दांव खेला है। नागेन्द्र की मुश्किल इस बार कई कारणों से बढ़ी हुई है। पिछले चुनावों में वह कह चुके थे कि आखिरी चुनाव है सेवा का अवसर दिया जाए। जिस पर जनता ने जिताया भी लेकिन अब फिर मैदान में कूद पड़े हैं। इससे भाजपा के वह सभी नेता भितरघात कर रहे हैं जो टिकट के दावेदार थे। इसके अलावा बदलाव की हवा भी तेजी से फैल रही है। वहीं स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी गरम है। नागेन्द्र दूसरे विधानसभा के निवासी हैं। वहीं कपिध्वज सिंह के लिए सकारात्मक माहौल इसलिए बन रहा है कि वह पिछले दो बार चुनाव लड़ चुके हैं और क्षेत्र में लोगों के बीच बने रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का संगठन भी साथ है। बदलाव की हवा कांग्रेस के साथ होने का भी फायदा इनके साथ है। जातीय समीकरण भी इस बार कांग्रेस के साथ बनते नजर आ रहे हैं। पटेल समाज का कोई प्रमुख चेहरा मैदान में नहीं होने से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, पूर्व सांसद देवराज पटेल और पूर्व विधायक विद्यावती पटेल के लगातार प्रयासों से यह समाज कांग्रेस के साथ जुड़ा है। वहीं ब्राह्मण वर्ग के हाथ भी सत्ता की चाबी नजर आ रही है, क्योंकि इस समाज का कोई अहम चेहरा नहीं है। जो प्रत्याशी हैं भी वह अपने समाज में असर नहीं दिखा रहे हैं। यह वर्ग बंटा हुआ है। नागेन्द्र सिंह को राजनीतिक प्रबंधन का माहिर खिलाड़ी माना जाता है लेकिन इस बार उनकी गणित नहीं बैठ पा रही है। कई जगह विरोध भी प्रचार के दौरान हुआ है।
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n्देवतालाब– यहां पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम भाजपा से प्रत्याशी हैं। उनके सामने उन्हीं के भतीजे पद्मेष गौतम कांग्रेस से हैं तो पिछले चुनाव में एक हजार वोट से हारने वाली सीमा जयवीर सिंह इस बार समाजवादी पार्टी से हैं और चुनाव को त्रिकोणीय बनाए हुए हैं। इसी तरह बसपा से अमरनाथ पटेल और आम आदमी पार्टी के दिली सिंह गुड्डू भी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
nमऊगंज–यहां से भाजपा के प्रदीप पटेल फिर मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस के पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना मैदान में हैं। मुकाबला आमने-सामने का माना जा रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी के उमेश त्रिपाठी और बसपा के भैयालाल कोल पूरा समीकरण बिगाड़ते नजर आ रहे हैं।
nमनगवां– यहां से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला माना जा रहा है। भाजपा से नरेन्द्र प्रजापति हैं तो कांग्रेस से बबिता साकेत हैं। बसपा से रामायण साकेत और सपा की प्रीति वर्मा भी मजबूती से हैं।
nत्योंथर– यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा से सिद्धार्थ तिवारी राज हैं तो उनके सामने कांग्रेस के रमाशंकर पटेल मोर्चा संभाले हुए हैं। बसपा से देवेन्द्र सिंह ने दोनों दलों का समीकरण बिगाड़ रखा है। मुकाबला रोचक माना जा रहा है।
nसिरमौर*– यहां भी त्रिकोणी मुकाबले के आसार हैं। भाजपा के दिव्यराज सिंह के सामने कांग्रेस ने आदिवासी चेहरे के रूप में रामगरीब कोल को उतारा है। कांग्रेस पूरी मजबूती से मैदान में है तो वहीं बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी वीडी पांडेय को उतारा है जो जातीय वोटों पर सवार होकर दोनों प्रमुख दलों का समीकरण बिगाड़ते नजर आ रहे हैं। यहां सपा से पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी और आम आदमी पार्टी से सरिता पांडेय, माकपा के कांतिकुमार दुबे सहित कई प्रमुख चेहरे मैदान में हैं।
nेसेमरिया– यह सीट भी चर्चा में है। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए अभय मिश्रा के मुकाबले भाजपा के केपी त्रिपाठी हैं तो बसपा से पंकज पटेल हैं। दो बाहुबलियों के बीच यहां मुकाबला है, लगाताार जोर अजमाइश जारी है। कांटे की टक्कर में परिणाम कुछ भी हो सकता है।
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