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nरीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। जिसका विषय भारतीय संस्कृति और सामाजिक समरसता रखा गया था। इस विषय पर बोलते हुए मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रो. आनन्द कुमार ने कहा कि अर्जुन सिंह ने राजनीति के नैतिक दायित्वों का सदैव पालन किया। वे स्वयं तथा उनकी पीढ़ी के लोगों ने सामाजिक समरसता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सक्रिय सहभागिता की। भारतवर्ष अनेक भाषा, धर्म-जाति तथा एक राष्ट्र की अद्भुत परिकल्पना को मूर्तरूप प्रदान करता है। आजादी के बाद छुआछूत, लैगिंक असमानता, धार्मिक भेदभाव आदि को समाप्त करने में हमारे पूर्वजों ने सार्थक पहल की, जिसके कारण आज भी हमारी भारतीय संस्कृति विश्व के समक्ष गौरवपूर्ण स्थान रखती है। प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि अर्जुन सिंह जैसे नेताओं की जीवनशैली के बारे में नई पीढ़ी को जानना जरूरी है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. एनपी पाठक प्रभारी कुलपति ने कहा कि कुंवर अर्जुन सिंह जैसा व्यक्तित्व शताब्दियों में अकेला पैदा होता है और अपने कर्म तथा आचरण से सदियों तक समाज को आलोकित करता है।
nकार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. सुरेन्द्र सिंह परिहार कुलसचिव ने भारतीय संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन करते हुए विविधता में हमारी एकता को रेखांकित किया और कहा कि पुरुषार्थ चतुष्टय हमारे ऋषियों की देन है जिसके आधार पर हमारा जीवन सुखमय बनता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है तो उसका समाधान शिक्षा के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
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विशिष्ट अतिथि सरदार प्रहलाद सिंह ने कहा कि अर्जुन सिंह ने समाज के कमजोर तबके को आवाज देने का कार्य किया। इस दौरान प्रो. श्रीकांत मिश्रा, विजय बहादुर सिंह, प्रो. महेश शुक्ल, डॉ. देवदास साकेत आदि ने भी अपनी बातें रखी। बैठक में चंद्रिका प्रसाद चंद्र, डॉ. मुजीब खान, शिवप्रसाद प्रधान, वृहस्पति सिंह, लालबहादुर सिंह, प्रदीप सिंह, मानवेन्द्र सिंह, जितेन्द्र सिंह, बृजेन्द्र पाण्डेय सहित अन्य कई लोग मौजूद रहे।
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