nरीवा। शहर के सिविल लाइन थाने में पुलिसकर्मियों के बीच हुए विवाद में टीआई को गोली मारे जाने के बाद घंटों तनाव की स्थिति बनी रही। गोली मारने वाले सब इंस्पेक्टर बीआर सिंह ने थाने के टीआई चेंबर में खुद को बंद किए रखा। इस दौरान जिले का पुलिस बल उन तक नहीं पहुंच पाया। गनीमत रही कि आरोपी सब इंस्पेक्टर ने कोई और वारदात नहीं की। थाने के भीतर दोपहर करीब ढाई बजे वारदात हुई और करीब साढ़े पांच घंटे के बाद पुलिस के अधिकारी बात करने थाने पहुंचे। जहां पर आरोपी सब इंस्पेक्टर ने सरेंडर कर दिया।
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घटना के बाद तत्काल सूचना अधिकारियों तक पहुंची थी। जिसके चलते एडीजी केपी वेंकेटेश्वर राव, डीआईजी मिथिलेश शुक्ला, एसपी विवेक सिंह घटना स्थल पर पहुंचने के बजाए सीधे मिनर्वा अस्पताल पहुंचे। जहां पर टीआई हितेन्द्रनाथ के स्वास्थ्य की जानकारी ली। इसके बाद सभी अधिकारी वहीं पर घंटों रहे। इधर सिविल लाइन थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों में दहशत बनी रही। साथ ही पुलिस कंट्रोल रूम और आजाक थाना परिसर में भी लोगों को यह डर बना रहा कि कहीं वह फायर न कर दें।
nआरोपी को एडीजी ने सीधे सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इसके बाद भी कई सवाल अभी बाकी हैं। सब इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर किया गया था तो उसकी वजह भी अधिकारियों को स्पष्ट करना चाहिए। साथ ही लाइन हाजिर करने के तत्काल बाद सर्विस रिवाल्वर भी जमा नहीं कराई गई। वारदात के बाद करीब साढ़े पांच घंटे से अधिक का समय बीतने के बाद पुलिस अधिकारी आरोपी सब इंस्पेक्टर के पास तक पहुंचे।
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nवारदात के कुछ देर बाद किया फायर, फिर भी गंभीरता नहीं
nटीआई हितेन्द्रनाथ शर्मा को गोली लगने के बाद उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। इसके कुछ देर के बाद सिविल लाइन थाने के पास पुलिसकर्मियों की भीड़ जमा हो रही थी। आरोपी सब इंस्पेक्टर ने खुद को कमरे में बंद कर रखा था। इस बीच पीछे खिड़की से एक व्यक्ति ने झांकने का प्रयास किया तो कुछ देर बाद भीतर से ही फायर होने की आवाज आई। इसके तत्काल बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों में दहशत फैल गई और वहां से भागकर पुलिस कंट्रोल रूम के पास खड़े हुए। थाने के सामने किसी को नहीं जाने दिया गया। यह भी कयास लगाए जाते रहे कि बीआर सिंह ने अब खुद को गोली मार ली है। इसके बावजूद किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह थाने के भीतर जाए। पहले से थाने में मौजूद पुलिसकर्मी दूसरे कमरे के भीतर बंद रहे। पुलिस की इस लापरवाही पर लोगों ने सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि यदि कोई आतंकवादी होता तो क्या उसे भी इस तरह समय दिया जाता। वारदात के बाद तत्काल आरोपी सब इंस्पेक्टर को गिरफ्तार करना चाहिए था।
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nएडीजी से बात करना चाह रहा था आरोपी
nआरोपी सब इंस्पेक्टर ने वारदात के करीब तीन घंटे के बाद थाने के भीतर से बायरलेस सेट पर मैसेज चलाया कि वह एडीजी से बात करना चाह रहे हैं। इस पर कोई जवाब नहीं मिला तो बाहर मौजूद एक व्यक्ति के मोबाइल पर फोन किया और एडीजी से बात करने की इच्छा जाहिर की। जिन्होंने एडीजी से बात कराई तो वह अकेले में बात करना चाह रहा था। इसके बाद एडीजी ने एडिशनल एसपी को थाने के बाहर निगरानी के लिए भेजा। पुलिस अधिकारियों को आशंका थी कि थाने के भीतर खुद की सर्विस रिवाल्वर के साथ ही टीआई की रिवाल्वर के साथ ही बड़ी मात्रा में कारतूस भी है, इसलिए कहीं फायर न कर दें।
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nबातचीत के लिए पूर्व निरीक्षक को बुलाया
nपुलिस के अधिकारी आरोपी सब इंस्पेक्टर से बात करने के लिए आगे नहीं आ रहे थे। यह पता लगाया गया कि वह किसकी बात मान सकते हैं। इस कारण हाल ही में सेवानिवृत्त हुए निरीक्षक आदित्य प्रताप सिंह को बुलाया गया, उनके साथ एसडीओपी समरजीत सिंह और कुछ अन्य लोग भीतर गए और बातचीत की। उस दौरान सामान्य रूप से बात की और घटना के बारे में पूरी जानकारी दी। इसके बाद अपने पास मौजूद दो पिस्तौल उन्हें सौंप दिया। एडिशनल एसपी भी पहुंचे और उन्होंने भी बात की और सरेंडर कराया। अब शुक्रवार को आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
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nटीआई पर प्रताडऩा का लगाया आरोप
nसरेंडर करने के दौरान आरोपी सब इंस्पेक्टर ने अधिकारियों को बताया कि वह टीआई की प्रताडऩा से तंग आ चुके थे। बिना किसी कारण के भी वह प्रताडि़त करते रहे हैं। कुछ दिन पहले एसपी को गलत जानकारी देकर लाइन अटैच करवा दिया। इन्हीं सब बातों को लेकर विवाद हुआ और गोली चल गई।
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nविवादों से बीआर सिंह का रहा है नाता
nसब इंस्पेक्टर बृजराज सिंह उर्फ बीआर सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। वह जहां भी रहे, उनके अपने अधीनस्थों या फिर वरिष्ठ अधिकारियों से विवाद होते रहे हैं। कुछ साल पहले त्योंथर क्षेत्र के एक नेता के समर्थकों की पिटाई कर दी थी, जिसके चलते निलंबित किया गया था। डभौरा, नईगढ़ी एवं रीवा के विभिन्न थानों में रहते हुए विवादों में आए। एक मामले में नेशनल टीवी चैनल के संपादक को धमकी दी थी, जिसके बाद डीजीपी ने बर्खास्त करने का निर्देश दे दिया था। कई वर्षों तक निलंबित रहने के बाद फिर सेवा में आए विवादों में ही रहे। चुनाव के दौरान सीधी जिले में ग्रामीणों के साथ अभद्रता करने के चलते धक्का-मुक्की भी हुई थी।
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nअस्पताल में जुटी रही लोगों की भीड़
nपुराने बस स्टैंड के पास स्थित मिनर्वा अस्पताल में घायल टीआई के करीबियों का देर रात तक आना जाना लगा रहा। वह मूलरूप से सतना जिले के भैसवार गांव के रहने वाले थे। इसलिए सतना जिले से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। टीआई का बी पाजिटिव ब्लड ग्रुप है, इसलिए कई लोगों ने रक्तदान भी किया। विधायक राजेन्द्र शुक्ला, निगम स्पीकर व्यंकटेश पांडेय सहित अन्य ने भी अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों से हाल जाना। देर रात जबलपुर और भोपाल से आए डाक्टर्स ने आपरेशन शुरू किया।
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nफाइल के बीच में छिपा कर ले गए थे पिस्टल
nउप निरीक्षक बीआर सिंह दोपहर करीब 2:15 बजे सिविल लाइन थाने आए थे। उस समय में वे सिविल ड्रेस में थे और सीधे टीआई के कमरे में पहुंचे जहां थाना प्रभारी के साथ कुछ लोग बैठे हुए थे। बीआर सिंह ने उनको बाहर जाने के लिए बोला। कुछ पुलिस वाले भी कमरे में थे जिनको भी उन्होंने बाहर निकाल दिया। जैसे ही वे बाहर निकले तो उपनिरीक्षक ने उनसे लाइन हाजिर कराए जाने की वजह पूछी। इसके बाद गाली गलौज शुरू हो गया। कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही अचानक चेंबर से गोली चलने की आवाज आई। यह सुनकर स्टाफ के लोग दौड़े तो थाना प्रभारी खून से लथपथ हालत में कुर्सी में पड़े हुए थे। जैसे ही स्टाफ के लोगों ने थाना प्रभारी को बाहर निकाला वैसे ही उपनिरीक्षक ने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और फिर फायर किया। गोली सीधे छत के दीवाल से टकराई थी।
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n थाने की लाइट बंद करवा कर निकाला बाहर
nइस घटना के बाद थाना प्रभारी के कक्ष में कैद उपनिरीक्षक बीआर सिंह को बाहर निकालने में पुलिस अधिकारियों के भी पसीने छूट गए। सिविल लाइन थाने के पूरे इलाके को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया गया था। पुलिस अधिकारी उनको बाहर निकालने का प्रयास करते रहे लेकिन वे बाहर नहीं आए। घटना के कुछ देर बाद ही उन्होंने वायरलेस सेट में कंट्रोल रूम को पॉइंट दिया कि वे सिर्फ एडीजी से बात करेंगे और कोई हमको फोन न लगाएं। इस दौरान उनके परिजनों को बुलाया गया जिनके माध्यम से बात कराई गई। अचानक उस इलाके की लाइट बंद की गई और उसके कुछ देर बाद ही उप निरीक्षक को कमरे से बाहर निकाला गया जिन्हें सीधे कंट्रोल रूम मिलने जाकर पूछताछ की गई।