Friday, February 7

 

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nरीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय प्रबंधन पर एक बार फिर छात्रों ने मनमानी का आरोप लगाया है। इसकी शिकायत लेकर कई छात्र कलेक्ट्रेट पहुंचे और कहा कि जिन अधिकारियों ने लापरवाही की है उन पर कार्रवाई होना चाहिए। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संभाग स्तरीय जूडो प्रतियोगिता में शामिल होने वाले उत्कृष्ट खिलाडिय़ों से एक टीम तैयार की गई थी। यह टीम राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रतियोगिता जालंधर (पंजाब) में जूडो की आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में जाने के लिए चयनित की गई थी।

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बीते 31 दिसंबर को संभागीय प्रतियोगिता में भाग लिये थे और प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अर्जित करने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए जूडो की टीम भेजी जानी थी। जालंधर में यह प्रतियोगिता दो जनवरी से प्रारंभ होनी थी लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को सही जानकारी नहीं दी गई। जिसकी वजह से खिलाडिय़ों का बड़ा नुकसान हुआ है। 
nशिकायत करने पहुंचे छात्र नमन उपाध्याय गंगेव, आदित्य द्विवेदी गंगेव, आदित्य सिंह टीआरएस कालेज रीवा, मयंक पाण्डेय मऊगंज, प्रदीप सिंह चंदेल सीधी, नैतिक उपाध्याय मैहर आदि ने ज्ञापन सौंपने के बाद बताया कि विश्वविद्यालय की खेल शाखा के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया जा रहा है। इसके पहले भी कई अन्य टीमों के साथ ऐसा ही बर्ताव किया गया था। खिलाड़ी यदि राष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेलता तो उसके खेल का कोई महत्व नहीं होता। इसी प्रकार सत्र 2017-18 में भी जूडो टीम में चयनित होने के बावजूद भी राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से वंचित रखा गया था।

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अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय खेल कैलेण्डर को सही तरीके से नहीं संचालित करवाती है जिससे खिलाडिय़ों को बार-बार ऑल इण्डिया नहीं भेजने से उनके अवसरों का हनन होता है। छात्रों ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से पहले टीम को विश्वविद्यालय के स्तर पर प्रशिक्षित करने का भी प्रावधान है लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम की सही जानकारी ही नहीं दी जाती,  जिससे खिलाडिय़ों को वंचित रहना पड़ता है।

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– हाकी खिलाडिय़ों ने भी लगाया था आरोप
nकुछ दिन पहले भी रीवा और शहडोल संभाग के विभिन्न हिस्सों से हॉकी के खिलाड़ी रीवा पहुंचे थे। इनका कहना था कि बनारस में होने वाली प्रतियोगिता के लिए टीम भेजने का कोई प्रावधान ही नहीं किया गया था। जिसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से वंचित रहना पड़ा। खिलाडिय़ों ने विश्वविद्यालय स्टेडियम पहुंचकर हंगामा भी मचाया था। लगातार खेल के प्रति उदासीनता बरते जाने की वजह से विश्वविद्यालय प्रबंधन सवालों से घिर रहा है।

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#SatyaGatha

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