nरीवा। केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के मसौदे को लेकर रीवा सहित विभिन्न जगहों पर विरोध दर्ज कराया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि मंडल ने प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन संभागायुक्त को सौंपा। जिसमें कहा गया है कि प्रस्तावित बिल से सूचनाओं की पारदर्शिता समाप्त हो जाएगी।
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सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी (Shivanand Dwivedi), अधिवक्ता संजय पांडेय, सोशल एक्टिविस्ट अनिल उपकारी, पीयूष पांडेय, अधिवक्ता वृदावन शुक्ला, संदीप तिवारी, शिवेंद्र पांडेय आदि ने ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया कि प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल में धारा 2, धारा 29(2) और धारा 30(2) में जो प्रावधान रखे गए हैं उससे आरटीआई कानून पर खतरा है। प्रस्तावित बिल की धारा 2 की उपधारा 12, 13 एवं 14 में पर्सनल डाटा की जो परिभाषा बताई गई है उसमें न केवल व्यक्ति की जानकारी बल्कि पूरे राज्य, कंपनी अथवा किसी संस्था की भी जानकारी शामिल की गई है। जबकि धारा 29(2) में डाटा प्रोटक्शन बिल को अब तक के बनाए गए समस्त कानूनों में सर्वोपरि बताया गया है।
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इसी प्रकार धारा 30(2) में आरटीआई कानून की धारा 8(1)(जे) पूरी तरह से हटा दिया गया है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में आम जनमानस को निजता के नाम पर लोक हितकर और सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार संबंधी कोई भी जानकारी नहीं मिलेगी। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि जो जानकारी संसद और विधायिका को प्रदान की जाती थी वह जानकारी आम नागरिक को भी प्राप्त करने का हक आरटीआई के तहत था लेकिन डेटा प्रोटेक्शन बिल यदि अपने वर्तमान स्वरूप में पारित हो जाता है तो अब कोई भी जानकारी आम नागरिक को नहीं मिलेगी क्योंकि धारा 8(1)(जे) का प्रावधान ही पूरी तरह से हटाया जा रहा है। इससे सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और भ्रष्टाचारियों का संरक्षण होगा।