Aayushman Bharat Yojna :

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nरीवा। आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले नि:शुल्क उपचार के बदले निजी अस्पतालों को करीब छह महीने से राशि नहीं मिली है। सरकार के सामने वह लगातार अपनी बातें रख रहे हैं लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं होने की वजह से प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात रखी है। शहर के निजी अस्पताल संचालकों ने कहा है कि सितंबर महीने के बाद से सरकार ने भुगतान रोक रखा है। लगातार क्लेम भेजा जा रहा है लेकिन राशि जारी नहीं हो रही है।
nआयुष्मान योजना में उपचार सुविधा निजी अस्पतालों में प्रारंभ करने की वजह से सरकारी अस्पतालों का भार घटा है और अच्छी सुविधा के साथ मरीजों को उपचार मिल रहा है। भुगतान नहीं मिलने की वजह से कुछ मरीजों को वापस लौटाना पड़ रहा है। सरकार यदि आगामी दस अप्रेल तक बकाया राशि का भुगतान नहीं करेगी तो योजना के तहत उपचार देना प्राइवेट अस्पताल बंद कर देंगेे। प्रेस कांफ्रेंस में भोपाल से भी निजी अस्पतालों के संगठन के पदाधिकारी शामिल हुए थे, उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में एक साथ योजना का उपचार रोकेंगे।  
nप्रेस कांफ्रेंस  में विंध्या हॉस्पिटल (Vindhya Hospital) के संचालक डॉ. विशाल मिश्रा, रीवा हॉस्पिटल (Rewa Hospital) के संचालक शिवेन्द्र शुक्ला, नेशनल हॉस्पिटल (National Hospital) के डॉ. अखिलेश पटेल, रैनबो हॉस्पिटल के सुमितराम चंदानी, विहान हॉस्पिटल (Vihan Haspital)  की कल्पना पटेल सहित अन्य अस्पतालों के संचालक मौजूद रहे। प्रेस कांफ्रेस के बाद प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर और सीएमएचओ को भी ज्ञापन देकर अपनी मंशा से अवगत कराया है।

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पैकेज में नहीं किया गया संशोधन
nडॉ. विशाल मिश्रा ने बताया कि आयुष्मान योजना के मरीजों को पांच लाख का कवर मिलने की बात कही जाती है। जनता के बीच यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें उपचार कैसे मिलेगा। उन्होंने कहा कि कई ऐसी बीमारियां या आपरेशन होते हैं जिनमें 50 हजार से अधिक का खर्च बैठता है लेकिन उसके पैकेज में 20 से 25 हजार रुपए का उपचार की ही अनुमति है। अधिक राशि होने पर कई बार अस्पतालों को ही भार उठाना पड़ता है। इस पर सरकार के सामने कई बार मांगें रखी गई लेकिन अब तक संशोधन नहीं किया गया है।
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nप्रबंधन की व्यवस्था बिगड़ रही
nनिजी अस्पताल संचालकों ने कहा कि छह महीने से दवाओं, इंप्लांट, सैलरी सहित अन्य खर्चों का भार उठाना पड़ रहा है। दवा कंपनियों ने सप्लाई रोक दी है,जिससे उपचार देना मुश्किल हो रहा है। ऋण लेकर अब तक किसी तरह से काम चलाया है लेकिन आगे कर पाना संभव नहीं होगा। इस बीच सरकार ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जिसमें कहा गया है कि फर्जी कार्डधारकों का उपचार किया गया है। कार्ड अस्पताल नहीं बनाते, इसलिए यह आरोप उचित नहीं है।

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