Friday, February 7

  
nरीवा। विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे राजनीतिक दलों में बसपा ने सबसे पहले अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। प्रदेश की सात सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है, जिसमें रीवा जिले की दो शामिल हैं। बसपा ने सेमरिया विधानसभा से एक बार फिर अपने पुराने नेता पंकज सिंह पटेल पर ही भरोसा जताया है। इसके पहले पंकज दो बार चुनाव हार चुके हैं। वह लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं जिसके चलते पार्टी ने फिर मैदान में उतारा है। सेमरिया सीट पर इस बार चुनाव रोचक होने की संभावना है। पंकज बसपा के उन पुराने कार्यकर्ताओं में माने जाते हैं जिन्होंने पार्टी का कैडर जिले भर में तैयार कराया था। इनके परिवार के कई लोग पहले से बसपा में लंबे समय से जुड़े रहे हैं। कुछ समय पहले बसपा के प्रमुख नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे, उस दौरान ये नहीं गए। जातीय समीकरण यदि साधने में बसपा कामयाब हो जाएगी तो सेमरिया का परिणाम चौकाने वाला हो सकता है। 
nवहीं सिरमौर सीट पर पार्टी ने नए नेता को मैदान में उतारा है। विष्णुदेव पांडेय पुलिस अधिकारी रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद से वह राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी पत्नी रन्नू पांडेय जवा जनपद की अध्यक्ष भी हैं। जिसके चलते क्षेत्र में राजनीति का बड़ा आधार भी उन्हें मिल गया है। पहले वह कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी रहे हैं लेकिन वहां पर टिकट की संभावनाएं कम थी, जिसके चलते उन्होंने कुछ समय पहले ही बसपा ज्वाइन किया है। क्षेत्र में लगातार उनकी सक्रियता बनी रही है। स्वयं राजनीति का चाहे भले ही कोई लंबा अनुभव नहीं है लेकिन राजनीतिक मैनेजमेंट में अब तक वह काफी आगे बताए जा रहे हैं। दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को भी साधने के प्रयास में हैं। सिरमौर से बसपा चुनाव जीत चुकी है, इसलिए पार्टी का आधार वोट भी है। इस सीट पर पहले भी बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग के तहत ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा था और जीत हासिल हुई थी। इस बार भी उसी तर्ज पर चुनाव की तैयारी है।
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nभाजपा-कांग्रेस में चल रहा है मंथन
nजिले के दो प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन जारी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने जहां कुछ दिन पहले ही रीवा में घोषणा किया कि अब टिकट के लिए उम्र का बंधन नहीं है। इस कारण गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह, त्योथर के श्यामलाल द्विवेदी, देवतालाब के गिरीश गौतम के लिए संभावनाएं बढ़ गई हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि इस बार कई विधायकों के टिकट काटे भी जाएंगे। इस कारण नए दावेदारों की संख्या भी बढ़ी है। कांग्रेस में अभी सर्वे का दौर चल रहा है। हर सीट पर करीब आधा दर्जन से अधिक दावेदार सक्रिय हैं। कांग्रेस का भी कहना है कि चुनाव अधिसूचना जारी होने से पहले कई प्रत्याशी घोषित होंगे। इन दोनों दलों से बसपा एक कदम आगे निकल गई है।
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nऐसे है दोनों सीटों का गणित
nसेमरिया– सेमरिया विधानसभा में लगातार भाजपा चुनाव जीतती रही है। दो पूर्व विधायक अभय मिश्रा (Abhay Mishra) और नीलम मिश्रा कांग्रेस में हैं। वर्तमान विधायक केपी त्रिपाठी (KP Tripathi)  के विरोध में लामबंदी तेज हो गई है। अभय मिश्रा कांग्रेस के प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं लेकिन जिस तरह से संगठन उनसे दूरी बनाए हुए है, उससे उनकी मुश्किलें बढ़ रही हैं। यदि अभय को टिकट मिलेगी तो अंतरकलह की आशंका है। टिकट नहीं मिलेगी तो वह दूसरे दल से मैदान में आ सकते हैं, इससे कांग्रेस के सामने मुश्किलें  लगातार बढ़ती जा रही हैं। विधायक केपी का जिस तरह से विरोध हो रहा है, उससे बसपा के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद पार्टी नेतृत्व को है।

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nसिरमौर-– भाजपा इसे जिले की सबसे सुरक्षित सीटों में मान रही है। पार्टी को भरोसा है कि सरकार के काम और विधायक दिव्यराज सिंह (DivyaRaj Singh) के संपर्क अभियान से पार्टी मजबूत है। कांग्रेस में करीब आधा दर्जन दावेदार हैं। भाजपा से क्षत्रिय उम्मीदवार के सामने पार्टी ब्राह्मण चेहरे पर दांव की तैयारी में है। वहीं जिले में एक ओबीसी प्रत्याशी उतारने के निर्णय पर सिरमौर को भी प्राथमिकता में लिया गया है। यहां से राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल (Rajmani Patel)  की भी दावेदारी है। प्रदीप सिंह पटना (Pradeep Singh Patna) की ग्रेडिंग इसलिए पार्टी कमजोर बता रही है कि ब्राह्मण बाहुल्य सीट में वह कमजोर हो सकते हैं, हालांकि वह सबसे सशक्त उम्मीदवारों में से एक हैं। जिस तरह से बसपा के वीडी पांडेय जातीय गणित बैठा रहे हैं उससे कांग्रेस को नुकसान की आशंका अधिक मानी जा रही है। इसी सीट से दो पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी (Laxaman Tiwari) और राजकुमार उर्मलिया भी तैयारी कर रहे हैं। इन्हें भी ब्राह्मण वोट से ही उम्मीद है।
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