nभोपाल। गौवंशों को लेकर एक बार फिर सरकार ने संवेदनशीलता बरतने का निर्देश जारी किया है। अब शहर में मृत होने वाले गौवंशों के निष्पादन का कार्य सम्मान पूर्वक किया जाएगा। इस संबंध में नगरीय प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर नगर निगम आयुक्त से व्यवस्था बनाने के लिए कहा है। अब तक गौवंशों के मृत होने पर अलग-अलग स्थानों पर भेजा जाता रहा है। कई बार खुले में फंकने की वजह से दुर्गन्ध फैलती है और वातावरण दूषित होता है।
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कई बार मृत मवेशियों को फेकने के दौरान विवाद भी हो चुके हैं। लगातार उठ रही मांगों के चलते अब नगरीय प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किया है और कहा है कि मवेशियों के मृत होने पर उनके शवों का निष्पादन सम्मानपूर्वक किया जाए। इसके लिए स्थानीय निकाय स्थान चिन्हित करें और वहीं पर व्यवस्थाएं बनाई जाएं। रीवा सहित प्रदेश के दूसरे हिस्सों में कई बार खुले में मवेशियों को फेके जाने की वजह से विवाद की स्थितियां निर्मित हो चुकी हंै। रीवा में तो बड़ा आंदोलन भी चला था। चुनावी साल में पुरानी मांगों को पूरा करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं, यह भी उसी में शामिल है। गत माह गौसंवर्धन बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के बाद अब नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव ने नगर निगम आयुक्त के साथ ही सभी नगर परिषदों को भी पत्र लिखकर गौवंशों के मृत होने पर निष्पादन के दौरान सावधानियां बरते जाने का निर्देश दिया है।
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n— शहर में स्थान नहीं होने से बढ़ी समस्या
nरीवा शहर में मवेशियों के मृत होने पर शव के निष्पादन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। नगर निगम के पास अलग से कोई स्थान भी नहीं है। जिसके चलते जब अधिक संख्या में मौतें होती हैं तो समस्याएं बढ़ती हैं। खासतौर पर बरसात के दिनों में समस्या अधिक होती है, क्योंकि करंट एवं अन्य कारणों से एक साथ बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। शहर में पहले रेलवे स्टेशन के पास खुले में फेंका जाता रहा है। वहां पर विरोध हुआ तो कोष्टा में व्यवस्था बनाई, यहां पर भी लोगों ने विरोध किया तो सिलपरा में फेंक रहे थे। अब पहडिय़ा में क्लस्टर प्लांट में मशीनों के जरिए निष्पादन की योजना बनाई जा रही है।
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– कई बड़े विवाद हो चुके हैं रीवा में
nमवेशियों के शवों के निष्पादन को लेकर रीवा में पहले बड़े विवाद हो चुके हैं। कोष्टा के कचरा प्लांट में फेंके जाने से आसपास दुर्गन्ध फैल रही थी, जिसके चलते स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया और नगर निगम के वाहनों को जाने से रोका। कई दिनों तक वाहनों में ही मृत मवेशी पड़े रहे, आखिरकार जगह नहीं मिली तो नगर निगम कार्यालय परिसर में ही तत्कालीन अधिकारियों ने दफना दिया। इसको लेकर घंटों प्रदर्शन हुआ और करीब दर्जनभर की संख्या में मवेशी निकाले गए। यह मामले विधानसभा तक पहुंचा था। इसके अलावा हर्दीशंकर और बसामन मामा में भेजा तो वहां भी निगमकर्मियों से मारपीट हुई।
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n– गौशालाओं में मरने वालों की व्यवस्था नहीं
nमनरेगा योजना के तहत जिले में करीब तीन दर्जन संख्या में बनाई गई गौशालाओं का संचालन किया जा रहा है। यहां पर मरने वाले मवेशियों के निष्पादन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। गौशाला संचालकों द्वारा मृत मवेशियों को अपने यहां से हटाने के लिए कुछ रुपए देकर बाहर फेंकने तक की व्यवस्था की जाती है। बीते साल चोरगड़ी गांव में गौशाला के पास बड़ी संख्या में कंकाल पाए जाने पर बवाल मचा था। जांच के बाद पता चला कि जब भी मवेशी मरते हैं तो यहीं पर फेका जाता है।