nरीवा। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Nishchalanand Saraswati) ने शहर के कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम में धर्म सभा को संबोधित किया। जिस पर उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि सनातन धर्म में जीवन का आनंद है। यह जीने की पद्धति है, इसे मानने वाले दुनियाभर में लोग हैं। उन्होंने तेजी से हो रहे धर्म परिवर्तन पर भी कहा कि देश में कुछ लोगों को गुमराह कर धर्म बदलवाया जा रहा है। खासतौर पर इसाई धर्म में अधिक लोग जा रहे हैं। ऐसा करने वाले अपना मूल खोने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं कर पाते।
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शंकराचार्य ने कहा कि यह चार दिन की चांदनी जैसा हाल है। कमजोर लोगों को मानसिक रूप से भ्रमित कर और कुछ लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। बाद में जब वह दूसरे धर्म की वास्तविकता के बारे में जानते हैं और समझते हैं तो वह फिर वापस सनातन में लौटते हैं। अब बड़ी संख्या में लोग अपने सनातन धर्म में वापस लौट रहे हैं।आने वाले समय में फिर लोग सनातन धर्म से जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की मांग केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे कई देशों में भी उठने लगी है। भारत से निकले लोग आज दुनियाभर में हैं और सनातन का झंडा ऊंचा कर रहे हैं। इस दौरान शंकराचार्य ने लोगों से संवाद भी किया। तरह-तरह की जिज्ञासाओं को लेकर सवाल किए गए जिस पर उन्होंने जवाब दिए।
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धर्म गुरुओं द्वारा राजनीतिक बयानबाजी को लेकर कहा कि वह शंकराचार्य की पीठ के दायित्वों से बंधे हैं इसलिए सनातन धर्म से जुड़ी बात ही करेंगे। कोई संत यदि किसी राजनीतिक दल से प्रेरित होता है तो इस पर उसके अपने विचार होते हैं। इस दौरान सांसद जनार्दन मिश्रा, विधायक राजेन्द्र शुक्ला, केपी त्रिपाठी, निगम स्पीकर व्यंकटेश पाण्डेय, कुलपति राजकुमार आचार्य, राजेश पाण्डेय, प्रज्ञा त्रिपाठी, राजगोपाल चारी, कविता पाण्डेय, डॉ. प्रभाकर चतुर्वेदी, डॉ. राहुल मिश्रा, डॉ. आशय द्विवेदी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।
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nब्राह्मण की जितनी आलोचना होगी उतनी प्रगति करेगा
nधर्म संवाद में बृजेन्द्र गौतम द्वारा सवाल उठाया गया कि इनदिनों ब्राह्मण वर्ग के लिए अपशब्दों का प्रयोग आम होता जा रहा है। इस वर्ग के भी जो नेता संसद, विधानसभाओं में जाते हैं वह खामोश रहते हैं। इस पर शंकराचार्य ने कहा कि ब्राह्मण की जितनी आलोचना होगी, उसकी प्रगति उतनी ही अधिक होगी। साथ ही यह भी कहा कि ब्राह्मण को अपने मूल सिद्धांतों का भी पालन करना होगा। कुछ लोग इससे भटक रहे हैं। वहीं एक व्यक्ति ने कहा कि शंकराचार्य अपने पीठ की गांव और जिला स्तर पर कमेटी बनाएं। इस पर उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। जिसके मन में भाव है वह काम करें। कई लोगों ने इस दौरान सवाल पूछे।
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– प्रोटोकाल को लेकर भी जताई नाराजगी
nशंकराचार्य का एक निर्धारित प्रोटोकाल होता है। सुबह जब वह रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो प्रोटोकाल के अनुसार प्रशासनिक और सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे। साथ ही अमहिया में पंडित रामसागर शास्त्री के आवास पर जब पहुंचे तो वहां पर भी अनियंत्रित रूप से भीड़ थी। इस अव्यवस्था को लेकर शंकराचार्य ने नाराजगी जाहिर की। शहर के कुछ राजनीतिक लोग अपने घर ले जाना चाहते थे तो उन्हें साफ तौर पर मना कर दिया।