आदिवासी बाहुल्य कुसमी की घटना, रातभर इलाज के लिए तरसते रहे बच्चे
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nसीधी । जिले की आदिवासी बाहुल्य कुसमी जनपद पंचायत की प्राथमिक शाला कचपेंच में पढ़ने वाले करीब 15 बच्चे बुधवार को स्कूल से घर लौटने के कुछ देर बाद बीमार हो गए। लेकिन, उनको तत्काल इलाज नहीं मिल पाया। पहुंच मार्ग विहीन होने के कारण गांव में एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाई और बच्चे रातभर इलाज के लिए तड़पते रहे। गुरुवार की सुबह परिजन बच्चों को बाइक से लेकर बालक आदिवासी छात्रावास उमरिया पहुंचे। वहां प्राथमिक उपचार देकर एम्बुलेंस बुलाई गई और सभी बच्ची को मझौली अस्पताल पहुंचाया गया। एक बच्चे हिमांशु गुप्ता की हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। अन्य का मझौली में ही उपचार चल रहा। इस बीच परिजनों ने आरोप लगाया कि बच्चे मध्याह्न भोजन खाने से बीमार हुए हैं। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इससे इनकार किया है।
nअस्पताल में बच्चों का उपचार करा रहे ग्रामीणों ने बताया कि बुधवार की दोपहर प्राथमिक शाला कचपेंच में पढऩे वाले बच्चों ने मध्याह्न भोजन किया। शाम चार बजे स्कूल की छुट्टी होने पर सभी अपने-अपने घर चले गए। शाम को बच्चों को सिर दर्द, बुखार, उल्टी, दस्त होने लगा। गांव में एक ही स्कूल के 15 बच्चों के बीमार होने से दहशत की िस्थति बन गई। डरे सहमे ग्रामीण गांव से दूर मोबाइल नेटवर्क तलाशा और इसकी जानकारी कुसमी के खंड स्तरीय अधिकारियों को दी। साथ ही एंबुलेंस भेजने की मांग की। लेकिन, बरसात के कारण गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच सकी और रात हो गई। ऐसे में एंबुलेंस के इंतजार और संजय टाइगर रिजर्व एरिया के जानवरों के डर से ग्रामीण बीमार बच्चों का देसी उपचार करते रहे। गुरुवार की सुबह कीचड़युक्त रास्ते से बाइक द्वारा किसी तरह से छात्रावास तक सभी बच्चों को पहुंचाया गया। इसके बाद ही उपचार मिल सका।
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nये बच्चे बीमार
nपवन गुप्ता, रिषिमुन गुप्ता, शिप्रा गुप्ता, मिनाक्षी गुप्ता, अंशिका गुप्ता, सौर्य गुप्ता, अनुराग गुप्ता, अभिलेष गुप्ता, कृष्ण गुप्ता, निखिल गुप्ता, निमिता गुप्ता, अभिशेख गुप्ता, ज्ञानी गुप्ता, हिमांशु गुप्ता, निसा गुप्ता। सभी की उम्र 5 से 10 वर्ष है।
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nसुविधाओं के अभाव में बीत रहा जीवन
nकुसमी जनपद अंतर्गत आने वाले करीब 50 गांव संजय टाइगर रिजर्व के विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। इनमें निवास करने वाले नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। ये विस्थापित गांव नदी-नाले से घिरे हुए हैं। पुल, पुलिया, सडक़, बिजली, नेटवर्क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना है। ग्रामीणों को शौचालय, आवास, कूप निर्माण जैसी योजनाओं का लाभ देने पर भी प्रतिबंध लगा है। सरकार द्वारा ना तो विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा और न आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
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nअभिभावकों का दर्द
nगांव में और भी बच्चे हैं, लेकिन वे बीमार नहीं हुए। सिर्फ स्कूल जाने वाले बच्चे ही एक साथ बीमार हुए हैं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि बच्चे मध्याह्न भोजन खाने से बीमार हुए हैं। खाने की गुणवत्ता में शिकायत करने पर भी सुधार नहीं हो रहा है।
nहनुमान गुप्ता, अभिभावकn
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nसमूह संचालक से मौखिक रूप से खाने में सुधार की बात कही तो लड़ाई झगडे पर आमादा हो जाते हैं। शिकायत करने पर कोई सुनता नहीं है। बच्चे मध्याह्न भोजन खाने से बीमार हुए हैं। जांच कार्रवाई होनी चाहिए।
nकमलेश गुप्ता, अभिभावक
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nबच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टर से मेरी बात हुई है। बच्चे मध्याह्न भोजन खाने से बीमार नहीं हुए हैं, बल्कि पहले से ही उनकी दवाई चल रही थी। दो बच्चों को स्कूल में बुखार आने पर घर पहुंचा दिया गया था।
nअंगिरा द्विवेदी, बीआरसीसी, कुसमी..
nबच्चे मध्याह्न भोजन खाने से बीमार नहीं हुए हैं। पहले से बीमार थे। अभिभावकों की नाराजगी शिक्षक और समूह संचालक की मनमानी से जरूर है। ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जाएगी।
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रविचंद्र दास, बीईओ, कुसमी
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nमौसमी बीमारी के लक्षण पाए गए हैं, जिनका उपचार जारी है। सभी खतरे से बाहर हैं फिर भी सभी की जांच कराई गई है। जांच रिपोर्ट आने पर ही वास्तविकता का पता चलेगा।
nडॉ. राकेश तिवारी, बीएमओ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली