Vidhansabha election 2023
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रीवा। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के बीच रीवा के दो प्रमुख नेता अपना खुद का राजनीतिक मार्ग नहीं चुन पा रहे हैं। दोनों का अपना राजनीतिक वजूद है। इसमें सिद्धार्थ तिवारी (Siddharth Tiwari Raj) जिनके पास विंध्य के कद्दावर कांग्रेसी रहे श्रीनिवास तिवारी की राजनीतिक विरासत है। उनका परिवार करीब छह दशक से कांग्रेस के चेहरे तय करता रहा है। अब सिद्धार्थ तिवारी का खुद का टिकट पार्टी ने काट दिया है। उनको इसका आभास कुछ दिन पहले ही हो गया था। जिसके चलते वह कांग्रेस से बगावत के भी संकेत दे रहे हैं। त्योंथर सीट से दावेदारी कर रहे थे। संगठन में सक्रिय कुछ नेताओं ने उन पर टारगेट किया और टिकट की दौड़ से बाहर कर असमंजस में डाल दिया। अब कार्यकर्ता भी उनके अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि त्योंथर की भाजपा की सीट उन्हें मिल सकती है।
nइसी तरह अभय मिश्रा (Abhay Mishra Semariya) जो पहले भाजपा से खुद और पत्नी को विधायक बनाया। रीवा में भाजपा के नेता राजेन्द्र शुक्ला से अंतरविरोध के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ी और पिछले चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतर आए थे। रीवा से हारने के बाद अभय ने सेमरिया का रास्ता चुना। वहां पर कांग्रेस के लिए कुछ समय तक दावेदारी करते रहे। अब चुनाव से कुछ समय पहले फिर भाजपा में चले गए लेकिन वहां पर विधायक केपी त्रिपाठी का ही बर्चस्व है। जिसकी वजह से खुद को हाशिए पर मानते हुए उन्होंने कांग्रेस नेताओं से संपर्क बढ़ा दिया है। हाल ही में वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें वह कमलनाथ से मिलने लाइन लगाए हुए हैं।
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भाजपा-कांग्रेस के चार-चार नाम घोषित, सात सीटों पर तस्वीर साफ नहीं
n रीवा और मऊगंज की आठ विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने चार-चार सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसमें केवल मऊगंज ही ऐसी सीट है, जहां पर दोनों प्रमुख दलों के मुकाबले की तस्वीर साफ हुई है। छह सीटों पर एक-एक ही प्रत्याशी हैं। जबकि सेमरिया में अभी किसी ने अपने प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है।
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अभी भाजपा और कांग्रेस दोनों की सूची का इंतजार किया जा रहा है। दोनों दलों को चार-चार प्रत्याशी घोषित करना है। हर सीट पर एक से अधिक दावेदार हैं, इस कारण नामों को अंतिम रूप दे पाना पार्टियों के लिए मुश्किल भरा काम साबित हो रहा है। कुछ नेताओं ने बगावत के संकेत भी दिए हैं। बसपा, आप और समाजवादी पार्टी ने भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा रोक रखी है। प्रमुख दलों से बागियों का यहां पर इंतजार किया जा रहा है।
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n– तीन सीटों पर नाम चयन में कठिनाई
nजिले की तीन सीटों पर प्रत्याशी चयन में सबसे अधिक कठिनाई आ रही है। त्योंथर में कांग्रेस ने रमाशंकर पटेल का नाम घोषित कर दिया लेकिन भाजपा के सामने यहां एक नाम तय करने में मुश्किलें हो रही हैं। यहां देवेन्द्र सिंह के समर्थकों ने बागी होने के संकेत दिए हैं। नाम घोषित होने के बाद दूसरे भी बागी हो सकते हैं। इसी तरह सेमरिया में दोनों दलों की स्थितियां साफ नहीं हुई हैं। भाजपा जहां एक ओर विधायक केपी त्रिपाठी और अभय मिश्रा के विवाद के साथ तीसरे चेहरे की भी संभावनाएं तलाश रही है तो कांग्रेस में भी कई दावेदार हैं। गुढ़ में कांग्रेस ने कपिध्वज सिंह को देकर स्थिति स्पष्ट की लेकिन भाजपा में करीब आधा दर्जन दावेदार हैं। इसमें कुछ बागी हो सकते हैं। सिरमौर से कांग्रेस भी कोई नाम तय नहीं कर पा रही है।
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n– अभय और सिद्धार्थ की स्थिति स्पष्ट नहीं, समर्थक पशोपेश में
nजिले के दो प्रमुख नेता इनदिनों टिकट की जद्दोजहद कर रहे हैं। कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी त्योंथर से दावेदारी कर रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिलने से कई दिनों से बगावती संकेत दे रहे हैं। कई समर्थकों ने इस्तीफा भी दे दिया है। उनके भाजपा में जाने की भी खबरे हैं। इस दौरान कमलनाथ से भी मुलाकात हुई है, जहां पर आश्वासन दिया गया है कि सरकार बनने पर अच्छा पद दिया जा सकता है। तब से समर्थक शांत हैं। वहीं अभय मिश्रा जो भाजपा से दावेदारी कर रहे थे, अचानक कांग्रेस नेताओं के बंगले पर नजर आ रहे हैं। मंगलवार को उनका एक और वीडियो सामने आया है जिसमें वह धक्का-मुक्की के बीच कमलनाथ से मिलने का प्रयास करते देखे जा रहे हैं। सिद्धार्थ और अभय का राजनीतिक रास्ता किस दल के साथ होगा यह तय नहीं हो पाया है। आधिकारिक तौर पर दोनों ने चुप्पी साध रखी है।
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nयहां से घोषित हुए हैं प्रत्याशी
nभाजपा- देवतालाब से गिरीश गौतम, रीवा से राजेन्द्र शुक्ला, सिरमौर से दिव्यराज सिंह, मऊगंज से प्रदीप पटेल।
nकांग्रेस- मऊगंज से सुखेन्द्र सिंह बन्ना, गुढ़ से कपिध्वज सिंह, मनगवां से बबिता साकेत, त्योंथर से रमाशंकर सिंह पटेल।
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