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nजबलपुर। मध्यप्रदेश के सीधी जिले में आदिवासी युवक पर पेशाब करने वाले भाजपा के तत्कालीन नेता प्रवेश शुक्ला का मामला चुनाव से पहले एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। आरोपी के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई को निरस्त करने के आवेदन पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है।
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बहुचर्चित सीधी पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) से मध्यप्रदेश हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने यह कहते हुए आरोपी की पत्नी द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी कि उसके कृत्य से पूरे राज्य में शांति का खतरा पैदा हो गया है।
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आरोपी प्रवेश शुक्ला (Pravesh Shukla) जो अभी जेल में बंद है कि पत्नी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कलेक्टर द्वारा उसके खिलाफ रासुका के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की युगलपीठ ने कहा कि बंदी के एक व्यक्ति पर पेशाब करने के कृत्य से मध्यप्रदेश और उसके बाहर समाज को क्रोधित कर दिया। इससे कानून हाथ में लेने की आशंका बढ़ गई, राज्य में कानून और व्यवस्था की गिरावट को रोकने के लिए राज्य द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत थी। कोर्ट ने पाया कि रासुका की कार्रवाई के लिए प्रावधानों का सही ढंग से पालन किया गया। यह इस तरह की कार्रवाई का उपयुक्त मामला है। जिसपर हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
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nजुलाई 2023 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें नशे में धुत्त एक युवक सिगरेट पीते हुए एक व्यक्ति पर पेशाब कर रहा था। बाद में सामने आया कि यह वीडियो सीधी जिले के बहरी थाना क्षेत्र का था। आरोपी की पहचान भाजपा विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला के रूप में हुई। पीडि़त उसी गांव का आदिवासी समुदाय से है। इस घटना पर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में व्यापक प्रतिक्रिया हुई, पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और एसपी सीधी के प्रतिवेदन पर कलेक्टर सीधी ने प्रवेश शुक्ला पर रासुका के तहत कार्रवाई की।
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nहाई कोर्ट ने अभियोजन की ओर से पेश किए गए रिकॉर्ड से यह भी पाया कि आरोपी प्रभावशाली है और उसके खिलाफ किसी में रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं थी। कई महीने से यह मामला दबा रहा, वीडियो वायरल होने के बाद भी पीडि़त आरोपी के खिलाफ बयान देने से डर रहा था। कोर्ट ने माना कि वह फिर से प्रभाव डालेगा। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की तकनीकी तर्कों को खारिज करते हुए याचिका निरस्त कर दी।
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