Friday, February 7

 

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n सूक्ष्मजीवियो मे चमत्कारी गुण, इनके अद्भुत संसार को जानना जरूरीn

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रीवा। शासकीय कन्या महाविद्यालय रीवा के वनस्पति विज्ञान विभाग में सूक्ष्मजीवों पर  एक दिवसीय ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन हुआ। जिसमें पंजाब विश्विद्यालय चंडीगढ़ के सूक्ष्मजीव विभाग प्रमुख  वैज्ञानिक डॉ दीपक राही ने कहा की सूक्ष्मजीवों के अद्धभुत संसार में विभिन्नताओं का समुद्र है। तमाम नए तरीके के सूक्ष्मजीव रिसर्च हो रहे हैं उनकी गुणवत्ता परखी जा रही है।
उन्होंने बताया जो कवक लकड़ी पर उगती है कई तरह के मेटाबोलाइट्स उत्पन्न करती है। जिनका औद्योगिक लाभ बहुत ज्यादा है। जैसे तेरपेनोइड्स, फेनोलिक कम्पाउंड स्ट्रेरॉल। इम्मूनिटी बढ़ाने के लिए उपयोग किये जाते है। इसके अलावा इनमे एंटीआक्सीडेंट गुण पाए जाते है।  

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केंद्रीय सूक्ष्मजीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ रोहित शर्मा ने रायपुर और सिक्किम राष्ट्रीय उद्यान पर किए गए शोध को उन्होंने दिखाते हुए वहां के फंगल माइक्रोब्स की विविधता का दर्शन कराया। उन्होंने कहा की जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र में सूक्ष्म जीवों का योगदान है उनके अंदर कई चमत्कारी गुण है ।

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वर्तमान समय में विभिन्न प्रजातियों पर जिस तरह से रोग और संक्रामक बीमारियां फैल रही हंै। उसमें तमाम तरह के सूक्ष्म जीवों के कारण है और उनका इलाज उन्हीं से निहित है । आजकल जो जंगलों में पाए जाने वाले फंगस हैं उनका भी हम सदुपयोग करके कई तरह की विज्ञान में क्रांति ला सकते हैं। 

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इस वेबीनार मे महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ नीता सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन की सफलता के लिए शुुभकामनायें दी। विषय प्रवर्तक एवं वनस्पति विभाग की संयोजिका डॉ राजश्री पाण्डेय ने कहा माइक्रोबियल डाइवर्सिटी और उनकी आइडेंटिटी जैव विविधता और परिस्थितिक तंत्र के लिए उपयोगी है। इस आयोजन मे उप आयोजक डॉ रश्मि अर्नाल्ड, डॉ रौशनी कचेर, डॉ उमेश मिश्रा, डॉ संध्या राठौर, अनामिका सिंह,आईडीपी हेड डॉ अमरजीत सिंह, गुणवत्ता प्रमुख महेंद्रमणि द्विवेदी ने अपनी बात रखी। इस कार्यक्रम का शानदार  संचालन कार्यक्रम की सचिव डॉ सोनू रही ने किया।  कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के साथ विशेषज्ञ भी जुड़े। 

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