Friday, January 17

रीवा। पूर्व महापौर वीरेन्द्र गुप्त को भाजपा का नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। देर शाम जिले के नए अध्यक्ष की घोषणा होते ही उनके आवास पर बधाई देने वाले कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा हो गई। कार्यकर्ताओं ने इस दौरान फूल-मालाओं से स्वागत करते हुए मिठाइयां खिलाईं तो उनके घर के बाहर पटाखे भी फोड़े गए। बीते महीने संगठन चुनाव के लिए नेताओं के साथ रायशुमारी की गई थी। जिसमें करीब १४ नेताओं के नाम दावेदार के रूप में सामने आए थे। इसमें वीरेन्द्र गुप्त का नाम सबसे अधिक लोगों ने लिया था। सांसद एवं विधायकों की पसंद भी वीरेन्द्र रहे हैं। इस कारण अनुमान लगाया जा रहा था कि इस बार भाजपा का जिला अध्यक्ष उन्हें ही बनाया जाएगा। इसको लेकर कार्यकर्ताओं ने पहले से तैयारियां भी कर रखी थी। देर शाम जैसे ही नए अध्यक्ष का नाम घोषित हुआ, उसके तत्काल बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर बधाई संदेश और पोस्टर जारी कर दिया। घर में परिवार के लोगों ने भी स्वागत किया।
वीरेन्द्र गुप्त के सामने पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कई चुनौतियां भी सामने होंगी। जिसमें नेताओं के बीच सामंजस्य बैठाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। बीते कुछ समय से बड़े नेताओं के बीच तल्खी जिस तरह से सामने आई है और संगठन के स्तर पर कोई प्रयास नहीं हुआ, इस पर भी काम करना होगा। सेमरिया विधानसभा और महापौर की सीट पार्टी को दिलाने संगठन को मजबूत करना होगा।

लंबा राजनीतिक अनुभव
नए अध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता को लंबा राजनीतिक अनुभव है। पांच साल तक महापौर के रूप में प्रशासनिक दक्षता भी उन्होंने साबित किया है। आरएसएस के बाल स्वयंसेवक से शुरुआत की, इसके बाद बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, रामनवनी उत्सव समिति, दशहरा उत्सव समिति, रीवा व्यापारी महासंघ के साथ ही विभिन्न धार्मिक, सामाजिक एवं खेल संघों से जुड़े रहे हैं। भाजपा की स्थापना के साथ ही 1980 में स्थानीय समिति के अध्यक्ष बने, बाद में व्यापारी प्रकोष्ठ, भाजपा नगर महामंत्री, नगर अध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष, प्रदेश मंत्री सहित विभिन्न प्रकोष्ठों में प्रदेश पदाधिकारी रहे। जबलपुर और शहडोल के प्रभारी भी रहे। दिसंबर 2004 में हुए चुनाव में महापौर निर्वाचित हुए और 2010 तक कार्यकाल पूरा किया। हाल ही में 11 जनवरी को 60 वर्ष की आयु उन्होंने पूरी की है।
—-
अध्यक्ष बनाए जाने की यह रही वजह
वीरेन्द्र गुप्त को अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे कई कारण रहे हैं। महापौर के टिकट और अन्य कई प्रमुख अवसरों पर वैश्य समाज को मौका नहीं मिला था। जिसके चलते भाजपा के कोर वोटर कहे जाने वाले इस समाज को नेतृत्व देना था। इसमें सबसे प्रबल दावेदार के रूप में उभरे। गुटों में बंटी भाजपा में वीरेन्द्र ऐसे थे जिनका किसी गुट से जुड़ाव नहीं जोड़ा जाता था। इसी वजह से उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के समर्थकों ने निवर्तमान अध्यक्ष अजय सिंह पटेल और उनके समर्थकों को रोकने के लिए वीरेन्द्र का नाम आगे बढ़ाया। रायशुमारी में पहली पसंद वीरेन्द्र ही बने। सांसद-विधायकों ने भी विरोध नहीं किया। हालांकि जिला अध्यक्ष बनने के लिए ६० तक की आयु निर्धारित की गई थी, हाल ही में वह आयु सीमा पूरी कर चुके हैं। इसलिए आशंका थी कि कोई और नाम आ सकता है लेकिन आम सहमति उनके नाम पर ही बनी।

समन्वय के प्रयास में संगठन
जिला अध्यक्ष रहे अजय सिंह को हटाने के साथ ही उन्हें समझाइश दी गई है कि पार्टी उनके लिए बड़े अवसर देगी। संगठन के चुनाव अधिकारी बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने घोषणा के कुछ देर पहले ही रीवा में बैठक लेकर पार्टी का संदेश सभी को बताया और कहा कि सब समन्वय बनाकर चलें।

Share.
Leave A Reply