Thursday, September 19

रीवा। नगर परिषद डभौरा में भर्ती घोटाले से जुड़े मामले में एक और बड़ी कार्रवाई हुई है, जिसमें छह तत्कालीन पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया गया है। नगरीय प्रशासन द्वारा जांच प्रतिवेदन के बाद कार्रवाई के लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखा गया था। जिस पर जिला पंचायत की ओर से संबंधित सचिवों को कारण बताओ नोटिस किया गया। उनकी ओर से सकारात्मक जवाब नहीं दिए जाने के चलते निलंबन की कार्रवाई की गई है।

जिला पंचायत सीईओ ने ग्राम पंचायत कंचनपुर(जवा) के सचिव परशुराम तिवारी, ग्राम पंचायत घूमन(जवा) के सचिव रामराज सेन, ग्राम पंचायत लटियार के निलंबित सचिव दिनेश पांडेय, जनपद पंचायत जवा में संबद्ध सचिव कामता प्रसाद कोल, ग्राम पंचायत उसकी(जवा) की सचिव सुशीला दीक्षित आदि को निलंबित किया है। इसमें दिनेश कुमार पांडेय पांच जनवरी 2021 को जनकहाई पंचायत में पदस्थ रहने के दौरान वित्तीय अनियमितता के दोषी पाए गए थे जिस पर निलंबित किया गया था। पहले से निलंबित होने के कारण अब आरोप पत्र जारी किया गया है।

आरोप है कि डभौरा में शामिल हुई ग्राम पंचायतों में उक्त सचिव उनदिनों पदस्थ थे। कर्मचारियों के संविलियन में इनकी ओर से फर्जी रूप से कर्मचारियों की सूची दी गई थी। नियमित, संविदा और मानदेय कर्मचारियों के संविलियन के बाद उन्हें अगस्त 2021 से फरवरी 2023 तक दो करोड़ पांच लाख रुपए इन 50 कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हुए हैं।

मगड़ौर के तत्कालीन सचिव रहे कामता प्रसाद कोल ने 12 कर्मचारियों की सूची अपने पंचायत में बताई थी। इसी तरह गेदुरहा में दस कर्मचारी बताए गए थे। सभी पंचायतों में फर्जी कर्मचारियों के नाम दिए गए थे। लटियार पंचायत में आशीष सोनी का नाम दिया गया था जो उस गांव का निवासी भी नहीं था और न ही कर्मचारी था।

तत्कालीन नगरीय प्रशासन विभाग के संयुक्त संचालक रामेश्वर प्रसाद सोनी का वह पुत्र था। इसी से मामला पकड़ में आया और शासन ने जांच कराई तो मामले का खुलासा हुआ। जिसके चलते संयुक्त संचालक रामेश्वर सोनी सहित छह कर्मचारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है, अब ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी निलंबित किए गए हैं।

दोबारा शुरू की गई है मामले की जांच
यह मामला मुख्यमंत्री के भी संज्ञान में आया है। जिसके चलते संयुक्त संचालक सहित कई सीएमओ के निलंबन के बाद फिर से अपर सचिव शिवराज वर्मा के नेतृत्व में जांच शुरू की गई है। गत दिवस यह टीम रीवा आई थी और दो दिनों तक रीवा में रहकर दस्तावेजों को खंगाला है। कर्मचारियों से उनका पक्ष जाना है। हालांकि जिन कर्मचारियों का फर्जी तरीके से संविलियन कराए जाने की बात कही जा रही है, वह जांच टीम के सामने प्रस्तुत नहीं हुए थे। अब यह रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की जाएगी जहां से सख्त कार्रवाई होने के संकेत हैं। जिसमें दो करोड़ रुपए जो वेतन के रूप में दिए गए हैं उसकी वसूली और धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने की अनुशंसा की संभावना जताई जा रही है।

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