nरीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के दशवें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मंगू भाई पटेल के साथ कई विशिष्टि अतिथि भी शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अहमदाबाद से आए डॉ. परमात्मानंद सरस्वती ने कहा कि शिक्षा केवल जानकारी पर आधारित नहीं होनी चाहिए। शिक्षा हमें आजीविका का अवसर देने के साथ जीवन जीने की कला भी सिखाए। वास्तविक शिक्षा वही है जो अज्ञान के बंधन को खोलकर हमें नए क्षितिज में आगे बढऩे का अवसर देती है। इसलिए प्राचीन गुरूकुल परंपरा की शिक्षा में ज्ञान के साथ-साथ आत्मज्ञान और सामाजिक मूल्यों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता था।
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गुरूकुल ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला भी सिखाते थे। आधुनिक संसाधनों और तकनीक ने मनुष्यों को एक-दूसरे को जोड़ा है लेकिन वास्तविकता यह है कि मानव, मानव से ही दूर हो गया है। हर विद्यार्थी को स्वयं के संबंध में सोचने के साथ समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्य पर भी विचार करना चाहिए। हमारे देश में सत्ता और संपन्नता का नहीं बल्कि त्याग करने वालों का सम्मान करने की परंपरा है। उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेट ने विश्व को जोड़ा लेकिन मानवीयता को नहीं जोड़ पाया। इससे तनाव और हिंसा बढ़ी है। जो देश तरक्की वाले हैं वहां तनाव और आत्महत्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। योग को लेकर कहा कि जो योग केवल प्राणायाम तक सीमित नहीं है। जो दूसरों का सुख-दुख समझे वही सच्चा योगी है।
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समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति राजकुमार आचार्य ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी दी। समारोह में पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, विधायक सेमरिया केपी त्रिपाठी, कलेक्टर मनोज पुष्प, पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन, विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण, नगर निगम के अध्यक्ष व्यंकटेश पाण्डेय, जिला पंचायत सदस्य लालमणि त्रिपाठी, भाजपा अध्यक्ष अजय सिंह तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक उपस्थित रहे। समारोह का संचालन कुलसचिव सुरेन्द्र सिंह परिहार तथा डॉ दिनेश कुशवाहा ने किया।
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n– किताबी ज्ञान संपूर्ण नहीं, इसलिए नई नीति में नए पाठ्यक्रम जोड़े : मंत्री
nसमारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि देश में लार्ड मैकाले की शिक्षा
nपद्धति के स्थान पर नई शिक्षा नीति लागू की गई है। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को ज्ञानवान के साथ कर्मवान बनाएगी। हम ऐसी शिक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं जिसमें ज्ञान, रोजगार के अवसर तथा संस्कार मिलेंगे। किताबी ज्ञान संपूर्ण नहीं होता, इसलिए कोर्स के साथ अन्य तरह से भी छात्रों को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी का सम्मान प्रतीक स्वरूप है। इनके साथ ही हम देश की सुरक्षा में लगे हर अधिकारी और सैनिक का का सम्मान कर रहे हैं।
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