रीवा। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की ओर से पीएचडी की उपाधियां तो कई लोगों को वितरित की गईं लेकिन इन सबमें भागीरथी द्विवेदी सबसे अलग रहे। इनकी उम्र 61 वर्ष की है। पेश से शिक्षक हैं जो रायपुर सोनौरी के स्कूल में पदस्थ हैं। पीएचडी की डिग्री हासिल करने में उन्हें 12 वर्ष से अधिक समय लग गया। इसमें कई कारण ऐसे रहे जो पीएचडी की उपाधि जारी होने में रुकावट बनते रहे।
भागीरथी द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने वर्ष २००९ में ही पीएचडी की तैयारी की थी लेकिन कुछ कारणों के चलते प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। इसके बाद वर्ष २०११ में टीआरएस कालेज के प्राध्यापकों के साथ मिलकर आवेदन भी किया। प्रक्रिया शुरू होने वाली थी कि इसी दौरान वर्ष २०१३ से नए नियम लागू हो गए और एंट्रेस टेस्ट से गुजरना पड़ा।
हिन्दी विषय में उन्होंने पीएचडी की शुरुआत की, कई प्रक्रियाओं में हीलाहवाली के कारण देरी होती गई। इसी दौरान उनकी गाइड उर्मिला द्विवेदी का निधन हो गया। जिसके चलते नए गाइड के साथ शुरू करने में भी समय लगा। बाद में जीडीसी की सरोज गोस्वामी के निर्देशन में पूरा किया। कई वर्षों की प्रक्रिया से गुजरने के बाद पीएचडी की उपाधि हासिल होने पर भागीरथी द्विवेदी प्रसन्न दिखे और कहा कि उनका लक्ष्य पीएचडी को पूरा करना था जो अब पूरा हो गया है।