मऊगंज। डिजिटल अरेस्ट का नेटवर्क विदेशों से संचालित हो रहा है। इस नेटवर्क के जरिए बदमाशों द्वारा लोगों को फ्राॅड का शिकार बनाया जा रहा है। पिछले वर्ष रीवा जिले में डिजिटल अरेस्ट के तीन मामले सामने आए थे, जिसमें लोगों को उनके खातों का ड्रग्स खरीदी में उपयोग होने की धमकी देकर फंसाया गया। बदमाशों ने सिक्योरिटी के नाम पर पीड़ितों के खाते की पूरी रकम अपने एकाउंट में ट्रांसफर करवा ली थी। ये मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं।
यह पूरा नेटवर्क विदेशों से ऑपरेट हो रहा है। देश के कई राज्यों में इसके लिंक फैले हुए हैं। बदमाश पुलिस और सेना के अधिकारी के रूप में अपना सेटअप बनाकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें ठगने का प्रयास करते हैं। दो महीने पहले एक व्यापारी से 10.73 लाख रुपए की ठगी की गई थी। व्यापारी को पहले ऑनलाइन जॉब के नाम पर झांसा देकर रुपए ऐंठे गए और फिर डिजिटल अरेस्ट कर उनके खाते में पैसे जमा करवा लिए गए। इस मामले का भी थाने में रजिस्ट्रेशन किया गया है, लेकिन पुलिस अब तक बदमाशों के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा पाई है। जिन बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया, वे केरल और राजस्थान के थे। मोबाइल नंबर झारखंड से एक्टिव थे। बदमाशों ने करीब 12 ऐसे लोगों को शिकार बनाया है, जिन्हें बेटे के केस में फंसने की धमकी देकर पैसे ऐंठे गए।
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महिला का मोबाइल जब्त, जांच के लिए भेजा
मऊगंज में शिक्षिका रेशमा पाण्डेय द्वारा डिजिटल अरेस्ट से डरकर आत्महत्या करने के मामले की पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। महिला के मोबाइल को कब्जे में लेकर पुलिस ने जांच के लिए भेजा है। महिला को किन-किन नम्बरों से फोन लगाया गया और महिला ने रुपए किस खाते में ट्रांसफर किए थे उसकी जानकारी जुटाई जा रही है। प्रारंभिक जांच में पुलिस के हाथ अहम जानकारी लगी है, जिसका अभी पुलिस खुलासा नहीं कर रही है।
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डिजिटल अरेस्ट के मामले में जांच की जा रही है। महिला के मोबाइल में फोन लगाने वालों के संबंध में जानकारियां जुटाई जा रही हैं। प्रारंभिक जांच में आरोपियों से जुड़ी अहम जानकारी मिली है, जिसके आधार पर जल्द उन्हें पकडऩे का प्रयास किया जा रहा है।
रसना ठाकुर, एसपी मऊगंज