रीवा। सोलर लाइट लगाने के नाम पर करीब दो करोड़ रुपए से अधिक की राशि में घपला किए जाने का मामला सामने आया है। इस पर कलेक्टर ने सत्यापन कराने के बाद संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और तीन दिन के भीतर जवाब तलब किया है। जिले के गुढ़ और देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में सोलर लाइट लगाने के लिए राशि जारी की गई थी। जिसमें लोक निर्माण विभाग विद्युत यांत्रिकी खण्ड के कार्यपालन यंत्री विनय कुमार श्रीवास्तव की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। जिस कार्य के लिए लाखों रुपए का पूर्णता प्रमाण पत्र दिया गया, वह कार्य मौके पर पाया ही नहीं गया है। जबकि कार्यपालन यंत्री ने ठेकेदारों से साठगांठ कर फर्जी फोटो लगाकर इस कार्य को पूरा होना बताया है। कुछ दिन पहले ही कार्य की समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने जानकारी मांगी तो कई ऐसी बातें सामने आईं जो प्रथम दृष्टया संदिग्ध थीं। कार्यपालन यंत्री द्वारा ठीक तरीके से जवाब नहीं दिया गया तो कलेक्टर ने गुढ़ एसडीएम अनुराग तिवारी से दस गांवों में सोलर लाइट लगाने के दावों पर सत्यापन करवाया।
संभागीय योजना एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा गुढ़ एवं देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के इन दस गांवों में सोलर लाइट लगाने के लिए 1.49 करोड़ रुपए और 80.57 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। इसमें क्रमश: 1.11 करोड़ और 60.40 लाख रुपए निर्माण एजेंसी को दिए गए थे। पहली किश्त की राशि खर्च होने से जुड़ा पूर्णता प्रमाण पत्र और उसके फोटोग्राफ्स प्रस्तुत कर दिए। साथ ही दूसरी किश्त के लिए क्रमश: 37.30 लाख और 20.13 लाख रुपए के भुगतान का बिल भी लगा दिया।
दूसरे किश्त की राशि भी जारी कर दी गई लेकिन इसी दौरान कलेक्टर को घोटाले की जानकारी लगी और उन्होंने सत्यापन शुरू करा दिया। योजना विभाग ने बैंक से उक्त राशि रुकवाने का भी प्रयास किया लेकिन बैंक ने निर्माण एजेंसी को राशि जारी कर दी। इस बीच कलेक्टर ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए लोक निर्माण विभाग को उक्त राशि का आहरण नहीं करने के निर्देश दिए और कार्यपालन यंत्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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इन गांवों में सोलर लाइट लगाने की हुई थी स्वीकृति
जिले के दस गांवों में सोलर लाइट लगाने की स्वीकृति दी गई थी। जिसमें ग्राम चोरगड़ी, जिवला, जोगिनहाई, रमपुरवा, देवरा फरेंदा, मनिकवार नम्बर एक, हिनौती, मेथौरी, बरसैता तथा डढ़वा में सोलर लाइट लगाने की स्वीकृति की गई थी। जिसमें विभागीय अधिकारियों ने जमकर मनमानी की। इसे गंभीर लापरवाही और अनियमितता मानते हुए मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम १९६५ के तहत कारण बताओ नोटिस दिया गया है। नोटिस का तीन दिवस की समय सीमा में संतोषजनक उत्तर नहीं देने पर
अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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कहीं एक तो कहीं बिना लाइट लगाए ही दिया पूर्णता प्रमाण पत्र
कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किए जाने का मामला सामने आया है। कुछ गांव ऐसे हैं जहां एक लाइट लगाई और कुछ ऐसे हैं जहां कोई काम कराए बिना ही राशि आहरित कर ली गई। जांच रिपोर्ट के मुताबिक चोरगड़ी आदिवासी बस्ती में २५ लाइट लगाना था जिसमें एक भी नहीं लगाई गई। देवरा फरेंदा में ४५ की जगह एक, हिनौती में ४० की जगह १२, बरसैता में ३० की जगह १५ उसमें भी दो खराब, डढ़वा में ३० की जगह १८ लाइट लगाई गई। डढ़वा में हाईमास्ट पंचायत परिसर में लगाना था लेकिन यह बूढ़ी माता मंदिर गुढ़ में लगाया गया। जिवला और रमपुरवा में भी कई लाइटें खराब पाई गई हैं।
– सोलर लाइट के नाम पर पहले भी हुए हैं घपले
सोलर लाइट गांवों में लगाने के नाम पर पहले भी घपले होते रहे हैं। विंध्य विकास प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए करीब ३० लाख रुपए से अधिक की राशि में भी इसी तरह घपला हुआ था। बिना कार्य कराए ही राशि आहरित कर ली गई और इसकी जांच कराई गई और जांच प्रतिवेदन पर अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इसकी कई शिकायतें लंबित हैं। इसी तरह दूसरी योजनाओं के तहत सोलर लाइट लगाने के नाम पर अनियमितता के मामले सामने आ चुके हैं।