Friday, February 7

 

रीवा। शहर में अवैध रूप से कराए गए निर्माण को वैधता प्रदान करने के लिए एक बार फिर नए सिरे से अभियान शुरू किया जा रहा है। नगरीय प्रशासन विभाग की नई गाइडलाइन के तहत अवैध निर्माण की कंपाउंडिंग की जाएगी। पूर्व में अपनाई गई प्रक्रिया में कई तरह की विसंगतियां सामने आने के बाद डीम्ड परमिशन की प्रक्रिया को रोक दिया गया है। इस बार अतिरिक्त निर्माण का स्वयं मूल्यांकन करने की सुविधा खत्म कर दी गई है। अब नगर निगम के इंजीनियर मौके पर जाकर तय करेंगे कितना हिस्सा अवैध निर्माण का है और कितना कंपाउंडिंग के लायक है।

पूर्व में कंपाउंडिंग की प्रक्रिया में यह सुविधा दी गई थी कि लोग अपने स्तर पर आर्किटेक्ट से मूल्यांकन कराने के बाद उसे हटाने की प्रक्रिया अपनाए और निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद उसे सीधे अनुज्ञा जारी कर दी जाती थी। जिसमें कई तरह की शिकायतें भी आईं कि शुल्क बचाने के लिए नियम विरुद्ध तरीके से डीम्ड परमिशन ली जा रही है। इस कारण शासन ने इस व्यवस्था पर रोक लगा दी है। एक जनवरी 2021 के पहले जारी बिल्डिंग परमिशन से बने भवनों को ही यह राहत मिलेगी।

नगर निगम ने जो टारगेट निर्धारित किया था उसके अनुसार कम संख्या में लोग कंपाउंडिंग के लिए सहमति दे रहे हैं। नगर निगम ने सभी जोन के निर्माण विभाग के अधिकारियों को कंपाउंडिंग का कार्य तेज करने को कहा है। फिलहाल यह अभियान आगामी अगस्त महीने तक ही चलाना है। निर्माण करने वाले अब स्वयं अपने अवैध निर्माण का मूल्यांकन नहीं कर पाएंगे। इसके लिए नगरीय निकाय की ओर से इंजीनियर भेजकर पहले अवैध निर्माण चिन्हित किया जाएगा। जिसे भवन स्वामी स्वयं हटाएगा और बाद में इंजीनियर फिर जाकर उसका सत्यापन करेंगे।

इस बार फीस भी बढ़ाई गई
नई प्रक्रिया में कई आंशिक बदलाव हुए हैं। जिसमें भवन निर्माण कराने वालों से लिया जाने वाले शुल्क भी बढ़ाया गया है। आवासीय भवन में 10 फीसदी से अधिक और 30 प्रतिशत तक निर्मित अतिरिक्त क्षेत्र के लिए पहले कलेक्टर गाइडलाइन से तय बाजार मूल्य का पांच फीसदी शुल्क लिया जाता था। इस साल मार्च में जारी नोटिफिकेशन में इसे बढ़ा कर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इसी तरह व्यवसायिक उपयोग के भवनों के लिए छह फीसदी कंपाउंडिंग फीस ली जाती थी, जिसे 18 प्रतिशत कर दिया गया। फीस में दो से तीन गुना तक वृद्धि की वजह से भी कंपाउंडिंग के आवेदन कम आ रहे हैं। इस वजह से नगर निगम के अधिकारियों ने तय किया है कि व्यवसायिक भवनों पर पहले फोकस किया जाएगा। क्योंकि सख्ती के डर से लोग कंपाउंडिंग के लिए आगे आएंगे।

अवैध निर्माण का हिस्सा बता रहे थे कम
नगर निगम ने पूर्व में शहर में अभियान चलाया था। जिसमें करीब आठ करोड़ रुपए कंपाउंडिंग शुल्क भी जमा कराया था। कई प्रकरणों में सवाल उठाए गए थे, जांच में पता चला कि अवैध निर्माण का हिस्सा कम बताया गया था और शुल्क की बचत की गई थी। ऐसे ही मामले प्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी आई। जिसकी वजह से शर्तों में कुछ बदलाव किया गया है। कंपाउंडिंग की गति रीवा सहित प्रदेशभर में कमजोर होने की प्रमुख वजह यह भी रही कि इसमें लगातार कई बदलाव किए जाते रहे। अब नए नियम जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

इधर कालोनाइजर्स को विकास शुल्क जमा कराने का नोटिस
नगर निगम एक ओर बिना अनुज्ञा या फिर अनुज्ञा के विपरीत अवैध निर्माण कराने वालों को चिन्हित कर कंपाउंडिंग की प्रक्रिया अपना रहा है। वहीं दूसरी ओर शहर की अवैध कालोनियों को नियमित करने के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन के बाद अब विकास शुल्क जमा कराने के लिए नोटिस दी जा रही है। बीते कुछ महीनों के अंतराल में नगर निगम ने ७१ कालोनियों को नियमित करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। अब इनसे विकास शुल्क वसूलकर उन कालोनियों में विकास के कार्य कराए जाएंगे। इसकी रूपरेखा पहले ही बनाई जा चुकी है।
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कंपाउंडिंग को लेकर नई शर्तों के अनुसार प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसमें अब निर्माणकर्ता सेल्फ असेसमेंट नहीं करेंगे, बल्कि निगम की ओर से इंजीनियर मौके पर जाएंगे। पूर्व के शुल्क में भी कुछ बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे निर्माणों को चिन्हित कर नोटिस दी जाएगी फिर कंपाउंडिंग की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
एचके त्रिपाठी, नोडल अधिकारी कालोनी सेल नगर निगम
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