रीवा। श्यामशाह मेडिकल कालेज परिसर में स्थित शासकीय नर्सिंग कालेज का निरीक्षण करने सीबीआई की दस सदस्यीय टीम पहुंची। जहां पर नर्सिंग काउंसिल द्वारा निर्धारित मानकों का परीक्षण किया गया। टीम के अधिकारियों ने मेडिकल कालेज के डीन और नर्सिंग कालेज प्राचार्य के साथ भी बात की।
गत वर्ष नर्सिंग कालेजों में प्रवेश को लेकर अनियमितता का मामला सामने आया था। जिसमें कोर्ट ने प्रदेश भर के 670 नर्सिंग कालेजों में सत्यापन कराने का निर्देश सीबीआई को दिया है। इसमें सीबीआई की टीम निर्धारित मानकों के अनुसार परीक्षण कर रही है कि किन बिन्दुओं का पालन किया जा रहा है। कहां पर कमियां हैं। पूरे मामले की जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने सीबीआई की ओर से प्रस्तुत की जाएगी। सुबह अचानक सीबीआई अधिकारियों की टीम मेडिकल कालेज परिसर में पहुंची तो इसकी जानकारी मिलते ही प्रबंधन में हड़कंप की स्थिति बन गई। प्रमुख अधिकारियों के अलावा अन्य किसी को यह पता घंटों नहीं चला कि आखिर सीबीआई की टीम किस कारण से आई है।
इस बीच तरह-तरह के कयास भी लगाए जाते रहे। गत वर्ष रीवा के तीन कालेजों की शिकायत पर जांच शुरू की गई थी। बीते अगस्त महीने में प्रदेश के 19 कालेजों की मान्यता निरस्त की गई थी। जिसमें रीवा के टीडी इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल स्टडीज की भी मान्यता निरस्त की गई थी। देर शाम तक अलग-अलग बिन्दुओं पर परीक्षण किया गया।
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रीवा के सभी कालेजों का होगा भौतिक सत्यापन
रीवा में संचालित सरकारी नर्सिंग कालेज के साथ ही सभी प्राइवेट नर्सिंग कालेजों का भी सत्यापन कराया जाएगा। एक दिन पहले ही सौदामिनी नर्सिंग कालेज का पूरे दिन सत्यापन किया गया। जिसमें टीचिंग रूप से लेकर सुरक्षा एवं अन्य व्यवस्थाओं को भी देखा जा रहा है। हॉस्टल, वाहन एवं अन्य तरह की सुविधाओं को भी परखा जा रहा है।
सीबीआई ने यह भी परीक्षण किया है कि नर्सिंग स्टूडेंट को प्रेक्टिकल के लिए किस तरह से सुविधा दी जा रही है। कालेज में चिकित्सीय स्टाफ की स्थिति का भी पता लगाया गया है। जानकारी मिली है कि प्राइवेट नर्सिंग कालेजों में जो स्टाफ रखे जा रहे हैं उसमें फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। कई जगह एलोपैथी स्टाफ की जगह होम्योपैथी डिप्लोमा वालों को भी रखे जाने की भी शिकायतें रही हैं।
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कई जगह कमियों पर उठाए सवाल
सीबीआई अधिकारियों ने कई जगह कमियों पर मौके पर ही सवाल उठाए और कहा कि इतने पुराने कालेज में सुविधाएं नहीं होना चिंता का विषय है। पहले तो भवन को देखते ही एक अधिकारी ने नाराजगी जाहिर की, क्योंकि पूरा भवन खंडहर है। वहां पर मौजूद कालेज के अधिकारियों ने बताया कि यह भवन तकनीकी रूप से खंडहर घोषित हो चुका है। छह महीने पहले ही, नया भवन बनने के बाद उसमें संचालन होगा। इस कारण भवन का मेंटेनेंस नहीं किया गया है।
छात्राओं से भी फीडबैक लिया गया तो पता चला कि सुविधाओं के प्रति उदासीनता बरती जा रही है। हास्टल बड़ी मुश्किल से नया मिला है लेकिन वहां पर वार्डन और भृत्य की नियमित सेवाएं नहीं दी जा रही हैं। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी गंभीरता नहीं है। कालेज में कम्प्यूटर लैब नहीं होने और क्लासरूम में भी सुविधाए नहीं होने की जानकारी सामने आई है। एक अधिकारी ने जांच के दौरान यह भी कहा कि इससे बेहतर तो प्राइवेट कालेजों की स्थिति है।
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सरकारी नर्सिंग कालेज की कोई विसंगति नहीं है। कोर्ट ने सीबीआई से प्रदेश के सभी 670 कालेजों का भौतिक सत्यापन करने के लिए कहा है। इसी के चलते टीम निर्धारित मानकों का परीक्षण कर रही है।
डॉ. मनोज इंदुरकर, डीन एसएस मेडिकल कालेज रीवा