Friday, September 20

 

रीवा। नगर परिषद डभौरा के भर्ती घोटाले की जांच करने दूसरे दिन भी भोपाल से आई टीम दिन भर कार्यालय में मौजूद रही। जिन लोगों को नियुक्तियां मिली थी, उन्हें भी नोटिस देकर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था। अपर सचिव शिवराज सिंह वर्मा के नेतृत्व में जांच दल नगरीय प्रशासन विभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय में इंतजार करते रहे। सायं करीब पांच बजे तक नियुक्तियां पाने वाले लोग अपना पक्ष रखने के लिए नहीं पहुंचे। वहीं इस मामले से जुड़े कई पुराने अधिकारी-कर्मचारियों ने अपना पक्ष जांच दल के सामने रखा है।

इस मामले में तत्कालीन संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन रामेश्वर प्रसाद सोनी सहित कई सीएमओ और कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है। आरोप है कि अधिकारियों ने नगर परिषद डभौरा के गठन के समय इसमें शामिल होने वाली पंचायतों के कर्मचारियों के संविलियन में बड़े पैमाने पर धांधली की थी। पंचायतों में उस दौरान पदस्थ रहे सचिवों द्वारा गलत सूची कर्मचारियों की दी गई थी। जिसमें कई अधिकारियों के चहेतों के नाम शामिल किए गए थे। कई ऐसे लोगों का नाम पंचायतों के कर्मचारियों की सूची में जोड़ दिया गया था जिनका संबंधित पंचायत से कोई लेना देना नहीं था।

तत्कालीन संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन रामेश्वर प्रसाद सोनी के पुत्र आशीष सोनी को भी लटियार गांव का निवासी और वहां पंचायत में कार्यरत कर्मचारी बताया गया था, इसी के चलते मामले का खुलासा हुआ और शिकायत भोपाल तक पहुंची। जहां से जांच कराई गई तो पता चला कि 50 कर्मचारियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति की गई थी। जिसकी वजह से शासन को दो करोड़ पांच लाख रुपए का नुकसान हुआ था। एक ओर नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा जांच प्रक्रिया तेज की गई और पूरे मामले की विस्तार से जांच कराने के लिए टीम गठित की गई है।

वहीं विभाग ने जिला पंचायत के सीईओ को पत्र लिखकर उस दौरान पंचायतों में पदस्थ रहे सचिवों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कहा है। जिस पर जिला पंचायत सीईओ ने ग्राम पंचायत कंचनपुर(जवा) के सचिव परशुराम तिवारी, ग्राम पंचायत घूमन(जवा) के सचिव रामराज सेन, ग्राम पंचायत लटियार के निलंबित सचिव दिनेश पांडेय, जनपद पंचायत जवा में संबद्ध सचिव कामता प्रसाद कोल, ग्राम पंचायत उसकी(जवा) की सचिव सुशीला दीक्षित आदि को नोटिस देकर बुलाया था। उक्त सचिवों ने अपना पक्ष रख दिया है। अब उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

कई कर्मचारियों ने गलत पता बताया था
डभौरा नगर परिषद में नियुक्ति पाने के लिए कई कर्मचारियों ने गलत पता बताया था। दूसरे स्थान के लोगों ने पंचायतों का फर्जी तौर पर खुद को निवासी और उसी पंचायत में काम करने वाला कर्मचारी भी बताया था। जिसके चलते संबंधित गांव के पते पर नोटिस भेजी गई तो पता चला कि वहां पर वह लोग नहीं रहते। हालांकि मोबाइल नंबर जो दिए गए थे उनके वाट्सएप पर नोटिस भेजी गई और अधिकांश को फोन लगाकर भी जांच टीम के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद वह जांच टीम के सामने उपस्थित नहीं हुए। दो दिनों तक जांच करने के बाद टीम वापस लौट गई है।
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नगर परिषद डभौरा के गठन के समय जिन कर्मचारियों का संविलियन पंचायतों से किया गया था। उसमें आरोप है कि तत्कालीन अधिकारियों ने अपने करीबियों और पसंद के लोगों का नाम जोड़कर नियुक्तियां दिलवा दी थी। शासन ने इस पूरे मामले में जांच करने का निर्देश दिया है। सभी संबंधितों को नोटिस देकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए बुलाया था। कई लोग अपना जवाब देने नहीं आए हैं। अब शासन को प्रतिवेदन भेजा जाएगा।
शिवराज सिंह वर्मा, अपर सचिव(जांच अधिकारी)

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