Thursday, September 19

रीवा। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के लिए चुने गए मोहन यादव के जीवन से जुड़ा रोचक घटनाक्रम रीवा से जुड़ा हुआ है। उनके वैवाहिक जीवन में प्रवेश की वजह भी रीवा शहर ही रहा है। बात सन 1992 की है, जब रीवा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का बड़ा सम्मेलन शहर के जेलमार्ग स्थित सरस्वती शिशुमंदिर में आयोजित किया गया। उस दौर में मोहन यादव अच्छे छात्र नेताओं में गिने जाते थे और वक्ता भी अच्छे थे।

इस सम्मेलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कुछ लोग भी शामिल हुए थे। मोहन यादव के बारे में संघ के ही एक सदस्य ने ब्रह्मानंद यादव को दिया। ब्रह्मानंद शिक्षक थे और बेटी सीमा की शादी के लिए चर्चा संघ के संबंधित व्यक्ति से की थी। सूचना मिलने पर ब्रह्मानंद यादव सरस्वती शिशुमंदिर पहुंचे और मोहन यादव से मुलाकात की। उनके और परिवार के बारे में जानकारी ली।

इसके बाद मोहन यादव को अपने घर पर भी बुलाया। उज्जैन में मोहन के परिवार से मिलने गए और दोनों परिवारों का रिश्ता तय हो गया। मोहन यादव के परिवार के लोग खेती और व्यापार से जुड़े थे। ब्रह्मानंद यादव जिले के अलग-अलग स्कूलों में लंबे समय तक शिक्षक रहे। वर्ष 1987 में सिलपरा की स्कूल से वह सेवानिवृत्त हुए थे।

पहले रीवा ही बारात आने की बात तय हुई थी लेकिन बाद में यह तय किया गया कि लड़की और परिवार के सभी सदस्य उज्जैन में ही जाकर शादी करेंगे। धूमधाम से शादी हो गई। मोहन यादव अक्सर रीवा आते रहे हैं। कुछ समय पहले ही उनके ससुर अपने पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के अंबेडकर जिले के कोर्रा गांव चले गए हैं।

रीवा के संजय नगर मोहल्ले में मोहन के साले सदानंद यादव अभी भी परिवार के साथ रहते हैं। मुख्यमंत्री चुने जाने की खबर पर पूरे परिवार में खुशियां दौड़ गई। आसपास के लोग पहुंचे और बधाइयां दी। सदानंद ने बताया कि वह तीन भाई और एक बहन हैं। बहन सीमा की पढ़ाई रीवा में ही हुई है। उन्होंने टीआरएस कालेज से स्नातक और पीजी किया है।

बड़े भाई एयरफोर्स से सेवानिवृत्त होने के बाद उज्जैन में ही रहने लगे हैं। छोटा भाई विवेक गांव में है, जहां पर कुछ समय पहले पिता ब्रह्मानंद यादव भी गए हैं। उन्होंने बताया कि पिता १९६० के पहले ही रीवा आए थे और यहां शिक्षक बनने के बाद परिवार के सभी सदस्यों की शिक्षा रीवा से ही हुई है।
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