रीवा। मऊगंज जिले की सहकारी समितियों में जमा की गई अमानत राशि गायब होने के मामले में जांच के लिए भोपाल से जांच टीम रीवा पहुंची। इस टीम में रीवा के भी अधिकारियों को शामिल किया गया है। पहले दिन सहकारिता के उपायुक्त कार्यालय में अधिकारियों ने मामले की वस्तुस्थिति पर चर्चा की। साथ ही टीम में शामिल किए गए रीवा के अधिकारियों के साथ जांच को लेकर कार्ययोजना तैयार की।

इसके साथ ही जिला सहकारी बैंक के सीईओ सहित अन्य अधिकारियों के साथ भी समितियों से गायब राशि के बारे में जानकारी ली। अब टीम के सभी सदस्य मऊगंज जाएंगे जहां पर उन समितियों के जिम्मेदारों के साथ ही कुछ अमानतदारों के भी बयान लेंगे, जिनका पैसा भुगतान नहीं हो रहा है। यह जांच दल मऊगंज के कलेक्टर से भी मिलेगा और घटनाक्रम पर चर्चा करेगा।

समितियों से राशि गायब होने का मामला उस समय सुर्खियों में आया जब बीते 20जून को मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल कुछ अमानतदारों को लेकर सहकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त कार्यालय पहुंच गए और अधिकारी के चेंबर पर ही बैठकर राशि का तत्काल भुगतान करने की मांग करने लगे। विधायक के बैठे होने की सूचना भोपाल दी गई और वहां अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया फिर भी विधायक नहीं माने। पूरी रात संयुक्त आयुक्त के चेंबर में ही लोगों के साथ वह बैठे रहे। यह जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंची और जब मुख्यमंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया तब विधायक ने धरना समाप्त किया और वापस लौटे। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के लिए भोपाल से जांच अधिकारी भेजने का आश्वासन दिया था। जिसके चलते जांच अधिकारी रीवा पहुंचे हैं।

मऊगंज जिले की पांच सहकारी समितियों में जमा किसानों की राशि खुर्दबुर्द किए जाने का आरोप लगातार लग रहा है। विधानसभा का सत्र भी संचालित होना है, इस कारण सरकार इसे पहले ही निराकृत कराने के प्रयास में है। पांच समितियों में 3355 किसानों की ओर से 10.61 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा कराई गई थी। अब यह राशि वापस नहीं लौटाई जा रही है, कहा जा रहा है कि समितियों में राशि नहीं है। कई महीने से राशि जमा करने वाले कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं।

पांच समितियों से राशि गायब है
मऊगंज जिले की 5 सेवा सहकारी समितियों द्वारा अमानतदारों से एफडी और बचत बैंक खाते में राशि जमा कराई गई थी। समितियों द्वारा राशि वापस नहीं की जा रही है। मऊगंज जिले के पांच समितियों जिसमें गौरी, हर्दी, हटवा, पटेहरा देवरा एवं टटिहरा आदि में राशि जमा के बाद वापस करने के लिए उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। हालांकि सहकारिता के अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में परीक्षण किया गया था तो पता चला है कि उक्त राशि का उपयोग दूसरी जगह हो गया है। मऊगंज कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने मामले में अमानतदारों की राशि वापस किए जाने के लिए पत्र भी शासन को लिखा था। जिस पर सहकारिता की संयुक्त आयुक्त रीवा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की भी जांच अभी चल रही है।
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जांच में यह अधिकारी शामिल
भोपाल से सहकारिता के संयुक्त आयुक्त अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में जांच शुरू की गई है। इनके साथ भोपाल से जेसी रजक एकाउंट आफिसर भी रीवा पहुंचे हैं। इसके साथ ही रीवा से वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक केएस मरावी, ओपी श्रीवास्वत, अनिल गुप्ता, एलएम साकेत, अंबरीश देव बघेल को भी शामिल किया गया है। भोपाल से आए अधिकारियों को दस्तावेज उपलब्ध कराने के साथ ही जांच के दौरान यह अधिकारी संबंधितों के पास भ्रमण भी कराएंगे।
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