भोपाल। पुलिस विभाग के एक पूर्व अधिकारी ने लोकायुक्त में प्रतिनियुक्ति पर एसएएफ से आए अधिकारियों द्वारा भ्रष्टचार से जुड़े मामलों की विवेचना किए जाने पर सवाल उठाए हैं। इसकी शिकायत लोकायुक्त एवं डीजीपी सहित अन्य अधिकारियों से की गई है। जिसमें कहा गया है कि विशेष सशस्त्र बल(एसएएफ) में अनुसंधान से जुड़ा न तो कोई कार्य होता और न ही इसके लिए वहां पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण दिया जाता। लोकायुक्त रीवा की इकाई में पदस्थ डीएसपी द्वारा भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में की जा रही विवेचना पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है।
यह शिकायत ऐसे समय की गई है जब एसएएफ से प्रतिनियुक्ति पर आए एक अधिकारी को नर्सिंग घोटाले में सीबीआई के अधिकारी के साथ आरोपी बनाया गया है। इस पर सवाल उठ ही रहा था कि एसएएफ के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर किसलिए भेजे जा रहे हैं।
इसी बीच रीवा में गोविंदगढ़ के थाना प्रभारी रहे वीरेन्द्र सिंह परिहार ने मुख्यालय के अधिकारियों के पास शिकायत कर नई बहस छेड़ दी है। इन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि एसएएफ में सुरक्षा से जुड़े कार्य कराए जाते हैं। वहां के अधिकारी-कर्मचारियों को विवेचना नहीं सिखाई जाती। पुलिस रेग्युलेशन एक्ट में भी कहा गया है कि भ्रष्टाचार एवं अन्य गंभीर आपराधिक मामलों में विवेचना के लिए प्रशिक्षण दिए जाते हैं।
एसएएफ में केवल फाउंडेशन कोर्स बताया जाता है। सीआरपीसी साक्ष्य अधिनियम की जानकारी के बिना कोई अधिकारी अनुसंधान का कार्य नहीं कर सकता। रीवा लोकायुक्त इकाई में पदस्थ डीएसपी प्रवीण सिंह भी एसएएफ से प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। इस कारण उनको विवेचना का अधिकार दिए जाने पर सवाल उठाया गया है। इस मामले में मुख्यालय ने जवाब भी मांगा है। रीवा लोकायुक्त इकाई में वर्तमान में एसएएफ से प्रतिनियुक्ति पर आए दो अधिकारी विवेचना का कार्य कर रहे हैं।
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गलत तरीके से फंसाने का आरोप
शिकायत में वीरेन्द्र सिंह परिहार ने कहा है कि वह गोविंदगढ़ के थाना प्रभारी थे। गत वर्ष पूर्व एक साजिश के तहत ट्रैप के मामले में उन्हें भी आरोपी बना दिया गया है। इस पूरे मामले में उन्होंने विवेचना कर रहे अधिकारियों से कारण भी जानने का प्रयास किया है लेकिन कोई ठोस कारण नहीं बताया जा रहा है। पूरे मामले में किसी अन्य अधिकारी से नए सिरे से जांच कराए जाने की मांग उठाई है।
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सरकार के स्तर पर होती है नियुक्ति
पूर्व पुलिस अधिकारी के सवाल उठाए जाने के बाद रीवा लोकायुक्त इकाई के एसपी गोपाल सिंह धाकड़ ने मीडिया में दिए अपने बयान में कहा है कि लोकायुक्त में सरकार के स्तर पर विवेचकों की नियुक्तियां होती हैं, जिसमें नियमों का ध्यान में रखा जाता है। एसएएफ में विवेचना का कार्य नहीं होता लेकिन लोकायुक्त में जिन लोगों की नियुक्ति होती है, वह प्रशिक्षण के बाद अनुसंधान का कार्य करते हैं। इसमें किसी तरह की तकनीकी त्रुटि नहीं होती।
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एसएएफ के सभी अधिकारी हटाए जाने की तैयारी
रीवा के पूर्व थाना प्रभारी के सवाल के बाद अब मध्यप्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर सभी जगह एसएएफ के पदस्थ अधिकारियों को वापस बुलाने की तैयारी है। माना जा रहा है कि चुनाव आचार संहिता समाप्त होते ही अधिकारियों को वापस बुला लिया जाएगा। इस सवाल के बाद नई बहस छिड़ गई है क्योंकि एसएएफ में अधिकारियों को विवेचना का प्रशिक्षण नहीं मिलता और वह लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, सीबीआई जैसी संस्थाओं में रहकर भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में विवेचना कर रहे हैं।