Friday, February 7

 

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जबलपुर ..पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी अवैध है। ऐसे में दूसरे पति से महिला को किसी तरह की राहत पाने का अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट जबलपुर के जस्टिस आरके वर्मा की खंडपीठ ने कुटुम्ब न्यायालय के भरण-पोषण देने के आदेश को निरस्त कर दिया।

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मामले में तथ्य यह हैं कि सिंगरौली याचिकाकर्ता ने अगस्त 2017 में जिस महिला से सामूहिक विवाह समारोह में शादी की थी। वह पहले से शादीशुदा थी। बाद में महिला ने उसे छोड़कर चली गई और कुटुम्ब न्यायालय में भरण-पोषण का दावा दायर किया। न्यायालय ने 10 हजार रुपए महीने भरण-पोषण देने का आदेश पारित किया। इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अधिवक्ता जेएल सोनी ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए बताया कि महिला का विवाह गैरकानूनी था और वह खुद छोड़कर चली गई। 
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nतलाक की स्वीकृति का अधिकार कोर्ट को
nमहिला की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि उसने पहले पति से सहमति के आधार पर तलाक लिया था और उसके बाद याचिकाकर्ता से दूसरी शादी की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल अदालत को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने का अधिकार है। चूंकि महिला ने अपने पहले पति से तलाक नहीं लिया था, इसलिए वह अपने दूसरे पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है, क्योंकि उसका विवाह अवैध है।

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