Friday, February 7

रीवा। मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में करीब 34 वर्ष की महिला को हार्ट की बड़ी समस्या हो गई थी। वह कई बड़े अस्पतालों में दिखाने के बाद रीवा पहुंची थी।

यहां डाक्टर्स ने भर्ती करने के बाद पाया कि मरीज के हार्ट की पंपिंग महज 20 प्रतिशत है। इतने कम उम्र के मरीज में इस तरह की समस्या कम ही ऐसे देखने को मिलती है।

कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीडी त्रिपाठी ने कई तरह इस केस की स्टडी शुरू कराई। जिसमें एक आशंका अनुवांशिक समस्या की भी जताई जा रही थी। इसकी जांच के लिए दिल्ली सेंपल भेजा गया। इधर जांच में यह बात सामने आ रही थी कि हार्ट फेलियर के चलते समस्या बढ़ रही है। ब्लाकेज बढऩे की वजह से धड़कनें कम हो रही थी।

वहीं दिल्ली से आई जेनेटिक प्रोफाइल की रिपोर्ट में पाया गया कि मरीज को रेअर लैंप-२ म्यूटेशन है। रीवा में जेनेटिक स्टडी की सुविधा नहीं है। कई बार डाक्टर्स मरीजों को पेशमेकर लगाकर उनकी धड़कनें तो बढ़ा देते हैं लेकिन यह पता नहीं चल पाता कि आखिर यह समस्या उनमें कैसे आई।

दो माह में 20 प्रतिशत बढ़ा
मरीज को दो महीने पहले अस्पताल में एक बार भर्ती कर परीक्षण किया गया था, जिसमें उनकी हार्ट की पंपिंग 20 प्रतिशत थी। करीब दो महीने तक दवाएं देने के बाद यह 40 प्रतिशत तक बढ़ी। डाक्टर्स ने माना कि यह भी पर्याप्त नहीं है। इस कारण पेशमेकर लगाया गया है। मरीज को आयुष्मान योजना के तहत पेशमेकर लगाया गया, जिसकी वजह से उन्हें राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ी है।

हार्ट का साइज बढऩे से होती है समस्या
कम उम्र के लोगों में हार्ट फेल होने की समस्या बढ़ती है। इसे डाइलेटेड कार्डियोम्योपैथी कहा जाता है। युवा मरीजों के भी हार्ट की पंपिंग कैपिसिटी कम हो जाती है। साथ ही इनके हार्ट की साइज भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि कम उम्र के लोगों को हार्ट अटैक की समस्या तेजी के साथ बढ़ रही है। अब रीवा में भी इसके इलाज की सुविधा शुरू हो गई है।

दिल्ली-बेंग्लुरू में होती है जांच
विशेषज्ञों ने अध्ययन के बाद पाया है कि हार्ट की समस्या अनुवांशिकता के चलते भी होती है। मरीज की जांच के दौरान पता चल जाता है कि यह समस्या आकस्मिक है या फिर अनुवांशिक है। इसकी जांच कई शहरों में होती है लेकिन मुख्य रूप से दिल्ली और बेंग्लुरू में जांच हो रही है। जेनेटिक स्टडी में परिवार के अन्य लोगों के सेंपल लेने की जरूरत नहीं होती। मरीज के शरीर में ही उसके जीन पाए जाते हैं जिससे पता चल जाता है कि माता-पिता से मरीज पर बीमारी ट्रांसफर हुई है।
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हार्ट की समस्याएं अनुवांशिक भी होती हैं। सामान्य तौर इसकी जांच बहुत कम कराई जाती है। कम उम्र के मरीज की हार्ट पंपिंग महज 20 प्रतिशत थी, इस कारण जेनेटिक स्टडी कराई गई। अब पेशमेकर लगाकर ठीक कर दिया गया है। प्रयास रहेगा कि आगे से अन्य मरीजों में भी इसका अध्ययन कराया जाए।
डॉ. वीडी त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी रीवा

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