रीवा। गांधी जयंती पर रीवा जिले के तिवनी गांव में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आयोजित अस्पृश्यता निवारण से शिविर में आदिवासी महिला जिला पंचायत अध्यक्ष को आमंत्रण नहीं दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा वितरित किए गए कार्ड में भी उनका नाम नहीं है। जिसके कारण विरोध शुरू हो गया है।
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा ग्राम तिवनी विधानसभा मनगवाँ में अस्पृश्यता निवारण शिविर 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मनाया गया। जिसमें इस कार्यक्रम में मंत्री , विधायक , सांसद सहित जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष तथा सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना था । विशेष तौर पर अनुसूचित जाति जनजाति के जनप्रतिनिधियों को ,लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग रीवा इस समय अपनी मनमानी कार्य शैली के लिए जाना जा रहा है । शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन तो कर ही नहीं रहा ऊपर से शासन के द्वारा जो भी दिशा निर्देश दिए जाते हैं उनकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
ऐसा ही मामला संज्ञान में आया है जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष रीवा के साथ हुआ है जिसमे उन्होंने बताया कि मैं अनुसूचित जनजाति संवर्ग से आती हूं। जिला पंचायत अध्यक्ष हूं ,राज्य मंत्री का दर्जा मुझे प्राप्त है फिर भी जिला कलेक्टर कार्यालय द्वारा रीवा जिले में अस्पृश्यता निवारण शिविर कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित नहीं किया गया है ।
जन प्रतिनिधि होने के नाते मेरा ही नहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का अपमान है। इस कार्यक्रम से यह प्रतीत होता है कि यह यह शिविर केवल दिखावे के लिए हो रहा है ।जबकि शासन का उद्देश्य लोगों में छुआछूत की भावना को दूर कर आपस में एक साथ मिल बैठकर रहने एवं आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने का है ।परंतु बड़ी विडंबना है कि यहां जिला संयोजक के रूप में सेवा दे रहे अधिकारी और कार्यालय में कार्य कर रहे उनके सलाहकार सहायक लिपिक को जनप्रतिंतियों से कोई लेना देना नही है। विभाग की योजनाओं से तथा शासन के दिशा निर्देशों से कोई लेना-देना नहीं है । इसके संबंध में जांच होनी चाहिए दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए, जिससे भविष्य में जनप्रतिनिधियों का सम्मान बना रहे।