रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक बुजुर्ग की एंजियोप्लास्टी कर चिकित्सकों ने उनकी जान बचाई है। यह काफी जटिल प्रक्रिया थी, जिसे चिकित्सक सहित स्टाफ ने मिलकर आसानी से पूरा किया।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 70 वर्षीय बुजुर्ग इलाज करवाने आए थे। वे बार-बार सीने में दर्द की शिकायत कर रहे थे। काॅर्डियोलाजी विभाग के डाॅ. एसके त्रिपाठी ने उनका परीक्षण किया और उनकी एंजियोग्राफी करवाई। उसमें पता चला कि 10 साल पहले उन्होंने बाईपास सर्जरी करवाई थी और बाईपास के ग्राफ्ट 99 प्रतिशत ब्लाक हो चुके थे। इससे उनकी जान को खतरा भी था। तत्काल मरीज को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया। उनकी पुन: बााईपास सर्जरी कर या फिर एंजियोप्लास्टी की जटिल प्रक्रिया से जान बचाई जा सकती थी। डाॅ. त्रिपाठी ने दो घंटे तक उनका सफल ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद उनके ग्राफ्ट में आए ब्लाक को हटाया, जिससे मरीज का जीवन बच गया। अब वे पूरी तरह स्वास्थ्य हैं।
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35% कम पम्पिंग कर रहा था हृदय
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक और मरीज की जान बचाई गई है, जिनका हार्ट 35 प्रतिशत कम पम्पिंग कर रहा था। 75 वर्षीय बुजुर्ग को सांस फूलने की शिकायत के बाद उनके परिजन उन्हें चेकअप के लिए अस्पताल लेकर आए थे। जांच में पता चला कि वे हार्ट फेलियर से ग्रसित हैं। उनकी स्थिति गंभीर थी और हार्ट की पम्पिंग क्षमता काफी कम हो गई थी। मुख्यमंत्री सहायता कोष से मिले अनुदान से उनका इलाज शुरू किया गया। इस बीमारी के इलाज के लिए हृदय में एक महंगी इम्प्लांटेशन प्रक्रिया करनी पड़ती है, जो सामान्यतः महानगरों में ही संभव है। मरीज की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के अनुदान से उनकी हृदय में सीआरटीडी मशीन लगाई जा सकी। डॉ. एसके त्रिपाठी और उनकी टीम ने मिलकर इस जटिल प्रक्रिया का सफलतापूर्वक संचालन किया। ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ और अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के काॅर्डियोलाजी विभाग में हार्ट के दो मरीजों की जटिल सर्जरी कर उनके जीवन को बचाया गया है। यह प्रक्रिया काफी जटिल थी, जिसे काॅर्डियोलाजी विभाग के डाॅक्टर ने स्टाफ के साथ मिलकर सफलतापूर्वक किया है। दोनों मरीजों की हालत अब सामान्य है।
डाॅ. सुनील अग्रवाल, डीन मेडिकल कालेज