Friday, February 7

रीवा। बिजली की सप्लाई को लेकर आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए शुरू की गई आरडीएसएस योजना जिले में निर्धारित समय पर पूरी नहीं हो पाई है। अब सरकार द्वारा समयवृद्धि किए जाने के बाद ही तय हो पाएगा कि इसके लिए और कितना समय लगेगा। केन्द्र सरकार की इस योजना के जरिए शहरों से लेकर गांवों तक की बिजली सप्लाई की व्यवस्था को दुरुस्थ करने के साथ ही लाइनलास रोकने पर फोकस किया जा रहा है। सितंबर 2022 में योजना में काम शुरू किया गया था। इसकी गति करीब एक वर्ष तक काफी धीमी रही। बाद में काम की शुरुआत कुछ बढ़ी तब तक ठेके के लिए निर्धारित अवधि पूरी हो गई।

दिसंबर 2024 के पहले योजना के तहत काम पूरा करना था लेकिन दिसंबर पूरा होने तक करीब 25 फीसदी कार्य ही पूरा हो पाया है। विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने आरडीएसएस योजना के एक्सटेंशन के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा है। अब शासन के स्तर पर तय होगा कि कितने महीने के लिए काम करने की अनुमति मिलेगी। इस योजना के तहत चार भागों में काम किए जा रहे हैं। कुछ कार्य पूर्णता की ओर हैं लेकिन कई ऐसे हैं जिनकी शुरुआत होने जा रही है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो योजना के सभी प्रोजेक्ट पूरे होने में करीब डेढ़ से दो वर्ष का समय लग सकता है। इसके लिए एक्सटेंशन करीब एक वर्ष का मिलने की संभावना जताई जा रही है।

फीडर सेपरेशन का कार्य इसके पहले भी दूसरी योजना के तहत किया गया है लेकिन उसकी प्रगति अच्छी नहीं रही है। भौगोलिक स्थितियां ऐसी हैं कि अधिकांश लोगों के जहां मकान हैं वहीं पर उनके ट्यूबवेल भी हैं। जिससे दोनों लाइन उन तक पहुंचाना है। कुछ दिन पहले रीवा प्रवास पर आए प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस योजना की जानकारी ली थी और कहा है कि जनवरी के दूसरे सप्ताह के बाद फिर से इसकी समीक्षा की जाएगी।

योजना के तहत यह कार्य किए जा रहे
पुनरोत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना(आरडीएसएस) को लागू किए जाने के पीछे सरकार का तर्क है कि इस योजना का उद्देश्य विद्यमान अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए नवीन अधोसंरचना का विस्तार एवं विद्यमान अधोसंरचना की क्षमता वृद्धि कर समग्र वाणिज्यिक एवं तकनीकी हानि को कम कर विद्युत उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण एवं अनवरत विद्युत प्रदाय सुनिष्चित किया जाना है।
इसमें वोल्टेज सुधार के लिए नए 33/11 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना। वोल्टेज मेंटेन रखने के लिए कैपेसिटर बैंक की स्थापना। लाइनों का विभक्तीकरण, कृषि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण एवं अनवरत 10 घण्टे विद्युत प्रदाय के लिए उपकेन्द्रों से अलग फीडर, निम्नदाब लाइनों की क्षमतावृद्धि एवं लगे खुले तार को केबल में परिवर्तित करना है।

जीआईएस सर्वे गलत होने पर भौतिक सत्यापन में लगा समय
योजना के तहत कार्य जब प्रारंभ किया गया तो जीआईएस सर्वे जो ठेकेदारों को दिया गया था, उसके अनुसार भौतिक स्थितियां नहीं थी। टारगेट के अनुसार काम करना मुश्किल हो रहा था। मामला सामने आने के बाद भौतिक सत्यापन कराया गया और नए सिरे से प्रोजेक्ट में काम शुरू होने में करीब एक वर्ष का विलंब हो गया। गांवों में फीडर सेपरेशन के लिए खंभे अब गिराए गए हैं, इनके लगाने का कार्य खेतों में फसल होने की वजह से रुके हुए हैं। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि जैसे ही खेतों तक वाहन जाने का मौका मिलेगा खंभे लगा दिए जाएंगे।

ऐसे समझें योजना के कार्यों को
नए उपकेन्द्रों का निर्माण- जिले में पांच नए सब स्टेशन 12.12 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे हैं। इसका ठेका एके इंफ्रा वाराणसी को मिला है। जिसमें सूती गांव के सब स्टेशन का कार्य पूरा हो चुका है। चौरा, इटौरी एवं एकेवीएन में काम अभी शुरू किया गया है। शहर के पीटीएस के पास भूमि आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। बारी चौरा में उपकेन्द्र में वन भूमि का पेंच फंसा हुआ है।
-कैपेसिटर बैंक– बिजली सप्लाई में लो-वोल्टेज की समस्या और अचानक वोल्टेज बढऩे-घटने की समस्या को दूर करने के लिए सब स्टेशनों में कैपेसिटर बैंक स्थापित किया जा रहा है। इससे उपभोक्ताओं के घर तक बराबर गति से बिजली पहुंचेगी। इसका ठेका श्रीम इलेक्ट्रिक जयसिंहपुर महाराष्ट्र को मिला है। कंपनी ने टारगेट के अनुसार 31 कैपेसिटर बैंक स्थापित करने का कार्य पूरा भी कर दिया है।
33 केवी की लाइनें-– वर्षों पहले 33केवी की लाइनें लगाई गई थी। जिसमें ट्रांसफार्मर भी दूर-दूर हैं। नई लाइनें लगाने से इनकी दूरी कम होगी। रेल विकास निगम नई दिल्ली द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। जिसमें दस फीडर का कार्य पूरा हो चुका है और दस का कुछ महीने के बाद पूरा होने का अनुमान है। 29.1 करोड़ की लागत का यह कार्य है।
फीडर सेपरेशन- इस योजना में फीडर सेपरेशन का बड़ा काम है। इसकी ही गति कमजोर है। कृषि और घरेलू उपयोग के लिए अलग-अलग बिजली सप्लाई की व्यवस्था की जाएगी। 293.18 करोड़ लागत का यह कार्य अशोक बिल्डिकान नासिक द्वारा किया जा रहा है। 237 कार्यों में से अब तक 49 फीडरों का कार्य पूरा हुआ है जबकि 148 में कार्य प्रारंभ हो गया है। शेष में तकनीकी अड़चनें हैं।


आरडीएसएस योजना के तहत दिसंबर तक में कार्य पूरा करना था। कुछ कार्य पूरे हो चुके हैं, कई भी निर्माणाधीन हैं। शासन की योजना है, इसे पूरा करने का लिए समय मिलेगा। कार्य की प्रगति शासन को भेजी गई है।
बीके शुक्ला, अधीक्षण यंत्री विद्युत वितरण कंपनी रीवा
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