रीवा। शहर के बीहर नदी में बनाए गए ईको पार्क को बड़े नुकसान की आशंका जाहिर की गई है। पीपीपी माडल पर बनाए गए इस पार्क का बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया। नदी के टापू पर बनाए गए पार्क में पानी चारों ओर से जमा हो गया। जिसकी वजह से टापू के कुछ हिस्सों का कटाव भी हुआ है। शहर में जैसे ही बीहर नदी का जलस्तर बढ़े होने की सूचना फैली, बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। पुल के ऊपर से लोग नदी के जलस्तर की फोटो खींचते रहे। नदी के ग्रीन बेल्ट एरिया में कराए गए निर्माण की वजह से ईको पार्क लंबे समय से विवादित रहा है।

नगर निगम से इसके निर्माण को लेकर अनुमति नहीं ली गई, जिसकी वजह से महापौर भी इसके निर्माण पर सवाल उठाते रहे हैं। इसके पहले 19 अगस्त 2016 को रीवा में आई बाढ़ के चलते झूला पुल सहित कई नुकसान यहां पर हो चुका है। अब फिर से शासन की अनुमति के बाद यहां पर ईको पार्क का निर्माण कराया गया है। जहां पर प्रवेश के लिए लोगों को टिकट खरीदना पड़ता है। पूर्व में झूला पुल टूटते समय लोगों वीडियो बनाए थे, इस कारण कई लोगों ने बताया कि वह इसके भी डूबने और अन्य घटनाक्रम का वीडियो बनाने के लिए पहुंचे हैं।

ईको पार्क के भीतर जिस तरह से पानी भरा है, उससे माना जा रहा है कि आने वाले कई दिनों तक पानी निकलने के बाद भी यह उपयोग के लायक नहीं रहेगा। यहां पर नए सिरे से मरम्मत कार्य कराना होगा।

इस मामले में महापौर अजय मिश्रा बाबा ने कहा है कि उनकी आशंका सही साबित हो रही है। क्योंकि नदी के ऐसे हिस्से में निर्माण कराया गया है जहां पर खतरे की आशंका पहले से थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह लगातार कहते रहे हैं कि बीहर नदी के डेंजर लेवल वाले हिस्से में कोई निर्माण नहीं हो। ईको पार्क में अस्थाई निर्माण कराया जा सकता था लेकिन यहां पर मनमानी की गई है।

ईको पार्क में नियमों की अनदेखी को लेकर लगातार शिकायत करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के जिला संयोजक और पर्यावरणविद शिव सिंह ने कहा है कि प्रकृति की अनदेखी की गई है। इस कारण अभी चेतावनी मिली है, इसके बाद भी नहीं सुधरे तो हालात और खराब हो सकते हैं। सिंह ने कहा कि सत्ता के अहंकार में स्थानीय नेता यह भूल गए कि प्रकृति सर्वोपरि है। नदी के किनारे को पहुंचाए गए नुकसान पर कार्रवाई की मांग उठाई गई है।

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