Thursday, September 19

 

दिल्ली में किसानों  के प्रस्तावित आंदोलन के बीच हरियाणा सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है जिसमें दिल्ली कोच कर रहे किसानों को रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किए गए हैं। गरीब दर्जन भर जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है ताकि किसानों में आपस में किसी तरह का समन्वय स्थापित न हो सके । साथ ही सभी जिलों के पेट्रोल पंप संचालकों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि वह आंदोलन में जा रहे किसानों को डीजल पेट्रोल उपलब्ध नहीं कराएं।

इस दौरान, हरियाणा में कई जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। यह निर्णय हरियाणा सरकार द्वारा लिया गया है ताकि इंटरनेट के माध्यम से वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर फैल रही खबरों और वीडियोज़ के चलते आंदोलन को बढ़ावा न मिले।

इस निर्णय के परिणामस्वरूप, कई हरियाणा के जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। यह निर्णय किसानों के दिल्ली आंदोलन को रोकने की कोशिश का हिस्सा है, क्योंकि इंटरनेट को बंद करने से किसानों को आंदोलन के बारे में जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होगी।

यह निर्णय विवादों का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि कई लोग इसे स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि इंटरनेट को बंद करने से लोगों की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। वे इसे एक नेता द्वारा लिया गया अवैध निर्णय भी मान रहे हैं।

इंटरनेट सेवाओं की बंदिश ने लोगों को परेशान किया है, खासकर वह लोग जो अपने दैनिक जीवन में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही, इंटरनेट की बंदिश के चलते लोगों को नई जानकारी और विचारों से वंचित कर दिया जा रहा है।

इस निर्णय के बावजूद, किसानों का दिल्ली आंदोलन जारी है और उन्होंने अपनी मांगों को लेकर नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी किया है। यह आंदोलन अभी भी जारी है और किसानों की मांगों को लेकर उनकी आवाज़ बुलंद है।

इंटरनेट सेवाओं की बंदिश के माध्यम से व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना विवादास्पद है, और यह देश की लोकतंत्र में सवाल उठाता है। इससे पहले कि इंटरनेट सेवाओं की बंदिश अधिकारियों के द्वारा लिया जाए, उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए और इसे जितना हो सके संयुक्त राष्ट्र के मानकों के साथ मेल खाना चाहिए।

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