रीवा। चिटफंड के जरिए लोगों से करीब डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। शहर में कार्यालय खोलकर कई वर्षों तक लोगों को बड़े सपने दिखाकर रुपए जमा कराने के बाद कंपनी के लोग गायब हो गए थे। इसकी शिकायत की जांच लंबे समय से चल रही थी। कंपनी ने रीवा के अलावा अन्य कई शहरों में भी अपना कार्यालय खोल रखा था जिस पर एफआईआर दर्ज की गई है। रीवा में शहर के सिरमौर चौराहे में कार्यालय संचालित था। इसी तरह सतना के भी कई लोगों ने शिकायतें दर्ज कराई थी। एसयूएसके इण्डिया लिमिटेड के डायरेक्टर कैलाश लोधी एवं अन्य द्वारा वर्ष 2011 से 2016 की अवधि में चिटफंड कम्पनी की स्थापना कर रीवा, सतना सहित अन्य जिलों में एजेंट नियुक्त किए थे। इनके एजेंटों द्वारा कमीशन एवं प्राइज का प्रलोभन देकर चैन सिस्टम के माध्यम से लोगों से पैसे जमा कराए। इस चिटफंड कंपनी का मुख्यालय उज्जैन में है। प्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों में भी इसका नेटवर्क फैला रहा है। लोगों से पैसा वसूलने के बाद कंपनी को बंद कर दिया गया था। पुराने पते के आधार पर ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज की है।

अलग-अलग नाम से जमा कराए पैसे
चिटफंड कंपनी द्वारा एजेंटों के जरिए लोगों से अलग-अलग तरह से निवेश कराने के लिए लालच दिए गए। जिसमें रियल स्टेट, फिल्म्स डेवलपर, प्रापर्टी, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स, कंस्ट्रक्शन, फार्म, डेयरी, फैक्ट्री, सोसायटी, पेस्ट कंट्रोल सर्विसेस, होटल आदि में निवेश के नाम पर लोगों से रुपए वसूले गए। उपरोक्त धनराशि प्राप्त करने के लिए एसयूएसके इंडिया लिमिटेड द्वारा पॉलिसी बॉन्ड जारी किए गए तथा मेच्योरिटी अवधि पूर्ण होने पर निवेशित राशि से कई गुना अधिक राशि भुगतान किए जाने का प्रलोभन दिया गया था। अवधि जब पूरी हो गई और पैसे नहीं मिले तो लोगों ने शिकायतें शुरू की। इसके बावजूद एजेंटों द्वारा यह आश्वासन दिया जाता रहा कि ब्याज सहित रुपए मिलेंगे, जिसकी वजह कई निवेशकों ने अपनी शिकायतें भी वापस लेने की पेशकश की थी।
—-
इन पर दर्ज हुई है एफआईआर
ईओडब्ल्यू ने जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज किया है उसमें प्रमुख रूप से एसयूएसके इण्डिया लिमिटेड के मालिक कैलाश लोधी, डायरेक्टर नरेन्द्र सिंह लोधी, भगवती बाई, एचआर मैनेजर अनिल सिंह लोधी, डायरेक्टर फतेह सिंह, महाप्रबंधक अमित जैन, एमडी शकिर खान, डायरेक्टर सुनील कुमार तिवारी एवं अन्य संबंधित के विरुद्ध धारा 406, 420, 120-बी भादवि एवं मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 6 (1) के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।

Share.
Leave A Reply