सीधी। रोजगार के लिए पलायन का दर्द सीधी जिले के पांच श्रमिकों को गुजरात में जान देकर सहना पड़ा। महिलाओं का सुहाग उजड़ गया तो बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया। सूरत में इमारत ढहने से जिले के पांच मजदूरों की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सभी मृतक मझौली थाना क्षेत्र के परासी, दियाडोल एवं नगर परिषद क्षेत्र मझौली के हैं। दोनों गांव परासी एवं दियाडोल में मातम छाया हुआ है। ज्यादातर आपस में रिश्तेदार हैं। रविवार को अपराह्न करीब 3 बजे सभी के शव सीधी के लिए रवाना कर दिए गए हैं। सोमवार दोपहर बाद तक पहुंचने की संभावना बताई गई है।

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मृतकों में दो परिवार के चार सगे भाई
हादसे में जान गंवाने वाले पांच मजदूरों में से चार युवक दो परिवार के सगे भाई हैं। मझौली थाना की पुलिस चौकी मड़वास अंतर्गत परासी निवासी बंभोली केवट के दो पुत्र हीरामणि (34) व लाल जी (32) की मौत हुई है तो इनके रिश्तेदार मझौली थाना क्षेत्र के दियाडोल निवासी सौखीलाल केवट के दो पुत्र शिवपूजन (24) व प्रवेश (22) भी नहीं बच पाए। मझौली नगर परिषद अंतर्गत कोटमा टोला निवासी अभिलाष पिता छोटेलाल केवट की भी हादसे में जान गई है।
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सांसद ने बनवाई शव वाहन की व्यवस्था

हादसे की जानकारी मिलने पर सीधी सांसद डॉ.राजेश मिश्रा ने सूरत के स्थानीय सांसद मुकेश दलाल से संपर्क किया। हादसे की जानकारी लेने के साथ ही उन्हें अवगत कराया कि हादसे का शिकार हुए पांच श्रमिक हमारे संसदीय क्षेत्र सीधी के हैं। गरीब परिवार के हैं। उनके शव सीधी तक पहुंचाने के लिए नि:शुल्क शव वाहन की व्यवस्था कराने की बात कही। स्थानीय सांसद द्वारा मृतकों के पोस्टमार्टम उपरांत नि:शुल्क शव वाहन की व्यवस्था कर उन्हें सीधी रवाना किया गया।
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1 जुलाई को ही गए थे दोनों भाई, चार दिन बाद मौत की सूचना आई

परासी निवासी बंभोली केवट के दोनों बेटे हीरामणि व लालजी 1 जुलाई को ही सूरत काम के लिए गए थे। कहा था कि अब कुछ पैसा इकट्ठा करने के बाद चार-छह महीने में ही वापस आएंगे। हीरामणि की तीन बेटियां हैं। सबसे बड़ी 9 वर्ष, दूसरी 5 तथा सबसे छोटी तीन वर्ष की। लालजी की भी तीन संताने हैं। सबसे बड़ा बेटा 12 वर्ष, दूसरा बेटा 5 वर्ष व सबसे छोटी बेटी 3 वर्ष की है। इन मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया।
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पिता की तरह पुत्र भी हुआ हादसे का शिकार

अभिलाष की 65 वर्षीया विधवा मां सुखरजुआ केवट ने बताया कि अभिलाष जब डेढ़ माह का था तब उसके पिता सिंगरौली मजदूरी करने गए थे। वहां मशीन में कट जाने के कारण उनकी भी मौत हो गई थी और उनका शव आया था। बेसहारा मां बड़े संघर्ष के साथ दो बच्चे कैलाश एवं अभिलाष को पालकर तैयार किया था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि पिता की तरह उसके पुत्र की भी लाश आएगी। मृत अभिलाष की पत्नी शशिकला केवट ने बताया कि तीन बेटियां हैं, जिनमें बड़ी बच्ची अंशिका 6 वर्ष, दूसरे नंबर की आरुषि 4 वर्ष एवं सबसे छोटी आरोही 10 माह की है। रोजी-रोटी का कोई जरिया नहीं है। पूरा परिवार अभिलाष पर ही आश्रित था।
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डेढ़ साल पहले हुई थी प्रवेश की शादी, पांच माह की है बच्ची

दियाडोल निवासी दो सगे भाई सौखीलाल एवं प्रवेश केवट की भी इमारत हादसे में मौत हुई है। दोनों पिछले करीब दस वर्ष से सूरत में ही मजदूरी कर रहे थे। प्रवेश की पत्नी अर्चना ने बताया कि उनकी डेढ़ वर्ष पूर्व शादी हुई थी और 5 माह की उसकी बच्ची है। बीते फरवरी माह में बेटी का जन्म हुआ है, तब उसके पति प्रवेश घर पर ही थे। मार्च माह में सूरत कमाने चले गए थे, जहां दोनों भाई एक साथ रहते थे। सौखीलाल व प्रवेश के पिता मुंबई में मजदूरी करते हैं, जबकि माता की मृत्यु 5 वर्ष पूर्व हो चुकी है।
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काम की तलाश में पलायन करना मजबूरी
जिले में उद्योग न होने से काम की तलाश में बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन हो रहा है। यहां से बड़ी संख्या में श्रमिक महानगरों की ओर पलायन करते हैं

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