रीवा। शराब का अत्यधिक प्रयोग जहां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, वहीं अब दिल की बीमारी में इसी शराब से उपचार कर मरीजों को ठीक किया जाएगा। मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक मरीज का उपचार इसी पद्धति से किया गया है जिसमें मरीज के हार्ट में शराब निर्धारित मात्रा में शराब डालकर ठीक किया गया है। कार्डियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने एल्कोहल सेप्टल एबलेशन पद्धति का सफल प्रयोग किया है जिसमें मरीज की हालत में सुधार हुआ है।

हॉस्पिटल के ओपीडी में आए इबरार मोहम्मद(46) के हार्ट की मांसपेशियां बढऩे से हार्ट मोटा हो गया था, जिसकी वजह से उसे चलने में सांस फूलने और सीने में दर्द की समस्या लंबे समय से बनी हुई थी। डाक्टर्स ने जांच में पाया कि हार्ट मोटा होने की वजह से यह पेशमेकर या दूसरी विधियों से लंबे समय तक के लिए ठीक नहीं किया जा सकता। इसका आपरेशन में रीवा में संभव नहीं था। इसलिए चिकित्सकों ने एल्कोहल सेप्टल एबलेशन के जरिए करीब दो एमएल इंटरवेंशन के माध्यम से ऐल्कोहल हार्ट की वाहिकाओं में डाला गया। जिससे मांसपेशियां जो अतिरिक्त बढ़ी हुई थी, वह कटना शुरू हो गईं और मरीज को सांस लेने में आराम मिला है।

चिकित्सकों का कहना है कि इसमें करीब सप्ताह भर का समय लग जाता है जब धीरे-धीरे अनावश्यक रूप से बढ़ी मांसपेशियां कट जाती हैं और हार्ट पूरी तरह से अपनी गति में काम करने लगता है। रीवा में इस प्रोसीजर में कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीडी त्रिपाठी, डॉ. अवनीश शुक्ला के साथ सहयोगी जय, मनीष, सत्यम, सुमन, सुधांशु सहित अन्य शामिल रहे।

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी से बढ़ती है परेशान
हाइपरट्रॉफिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी नाम की बीमारी से हृदय की मांसपेशी असामान्य रूप से मोटी हो जाती है, जिससे हृदय के कक्षों के बीच रक्त प्रवाह बाधित होता है। यह स्थिति हृदय की कार्यक्षमता को कम करती है और दिल की विफलता, अनियमित दिल की धड़कन और यहां तक कि अचानक हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। इसमें अलग-अलग लक्षण होते हैं, कुछ मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, थकान, चक्कर आने जैसे लक्षण होते हैं, वहीं कुछ में कोई लक्षण नहीं आते फिर भी समस्या होती है।
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अल्कोहल सेप्टल एब्लेशन ऐसे हुआ
इस प्रक्रिया में डॉक्टरों ने एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) को एक रक्त वाहिका के माध्यम से हृदय तक पहुंचाया। कैथेटर के सिरे पर एक गुब्बारा था जिसमें अल्कोहल भरा था। गुब्बारे को हृदय के उस हिस्से में रखा गया जहां पर मांसपेशियां बढ़ी थी। अल्कोहल मोटे हृदय के ऊतकों को नष्ट कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है। चिकित्सकों ने बताया कि इस प्रक्रिया में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि एल्कोहल १०० प्रतिशत शुद्धता वाली हो। सामान्य तौर पर यह बाजार में उपलब्ध नहीं होती, इसलिए लैब में उपयोग होने वाली एल्कोहल का प्रयोग किया गया।

जेनेटिक समस्या भी हो सकती है
हार्ट में मांसपेशियां बढऩे की एक वजह जेनेटिक समस्या भी होती है। लोगों को पता नहीं चलता, कुछ लोगों में बाहरी तौर पर कोई परेशानी नहीं आती जिससे वह हार्ट की इस समस्या से अनभिज्ञ रहते हैं। इससे सडन डेथ का खतरा रहता है। खेलते समय, नाचते और जिम करने के दौरान कई मौतें हो जाती हैं, उसमें हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी अधिकांश में पाई जाती है। चिकित्सकों की सलाह रहती है कि जेनेटिक जांच भी कराते रहें।
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हार्ट में जब मांसपेशियां बढ़ जाती हैं तब मरीजों को थकान, चक्कर आने और दर्द आदि की समस्याएं होती हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा रहता है और सडन डेथ भी होती है। अधिकांश में यह जेनेटिक कारणों से होता है। इसकी सर्जरी जटिल होती है, एक विधि एल्कोहल सेप्टल एबलेशन की होती है। जिसमें 100 प्रतिशत शुद्ध एल्कोहल का उपयोग होता है। इसका रीवा में प्रोसीजर सफल रहा है। कई और मरीजों को जल्द इसी विधि से लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. वीडी त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी सुपर स्पेशलिटी रीवा
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