Friday, September 20

New Delhi: हमारे सोसाइटी में काफी ऐसे लोग है जो विधवा हैं, अविवाहित हैं और तलाकशुदा है वो भी चाइल्ड एडॉप्शन का प्लान करते है पर सरकार के कड़े नियमों के कारण ऐसा कर नहीं पाते है। अब सिंगल पैरेंट के घर भी खुशियों का पिटारा खुल गया है क्योंकि सरकार के नियमों में नए बदलाव आये है जिससे सिंगल पैरेंट के लिए भी एडॉप्शन इजी हो गया है।

महिला एवं बाल विकास (WCD) मंत्रालय ने एक नए नियम निकाला गया, इसमें अब अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा या कानूनी रूप से अलग रह रहे 35 से 60 साल की उम्र के अकेले लोगों को भी बच्चे को गोद लेने की परमिशन दे दी है। इससे पहले, 2016 में मॉडल फॉस्टर केयर गाइडलाइंस के तहत, केवल विवाहित जोड़ों को ही बच्चे को गोद लेने की परमिशन थी। हालांकि, एक अकेली महिला किसी भी जेंडर के बच्चे को गोद ले सकती है, लेकिन एक पुरुष केवल पुरुष बच्चे को ही गोद ले सकता है।

नए नियमों में किसी भी व्यक्ति को यानी शादीशुदा हो या नहीं, विधवा हो, तलाकशुदा हो या कानूनी रूप से अलग रह रहा हो,वो व्यक्ति बच्चे को गोद ले सकता है। इसके अलावा, फॉस्टर पेरेंट अब दो साल के बजाय पांच साल तक बच्चे की देखभाल करने के बाद उसे गोद ले सकते हैं। फॉस्टरिंग एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक बच्चा टेम्पररी विस्तारित परिवार या असंबंधित व्यक्तियों के साथ रहता है।

नए रूल्स के मुताबिक अगर कोई विवाहित जोड़ा बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो वैवाहिक जोड़े को कम से कम दो साल तक एक स्टेबल मैरिड लाइफ बितानी होगी। पहले, दंपतियों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं था। 2016 के गाइडलाइन्स को 2021 में किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) अधिनियम में संशोधन और 2022 के किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) मॉडल नियमों के अनुसार चेंज किया गया है। नए नियमो को जून में सभी राज्यों में जारी कर दिया गया था।

किन बच्चों को ले सकते हैं गोद
– भारत में, उन बच्चों को गोद लिया जा सकता है, जिनकी उम्र छह साल से अधिक होगी।
-बच्चों का देखभाल कोई संस्थान के द्वारा किया जा रहा हो।
– बच्चे के अभिभावक बच्चे को पालने में अयोग्य हों।- स्पेशल चाइल्ड की श्रेणी में आने वाले नाबालिगों को भी गोद लिया जा सकता है।

क्या है लीगल प्रोसेस?
चाइल्ड अडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (ष्ट्रक्रढ्ढहृत्रस्) से आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग पहले से ही संभावित दत्तक माता-पिता पंजीकरण के लिए कर रहे थे। २०२४ के फॉस्टर केयर दिशा-निर्देशों में एक निर्दिष्ट ऑनलाइन पोर्टल का प्रावधान है जहां संभावित फॉस्टर पेरेंट्स जिला बाल संरक्षण इकाइयों द्वारा उनकी पहुंच के लिए अपने दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं।

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