nरीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में लंबे समय के बाद शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ है। कई वर्षों के अंतराल के बाद पिछले वर्ष अधिसूचना जारी की गई थी लेकिन उसमें नियमों का ठीक से पालन नहीं किए जाने की वजह से प्रक्रिया बीच में ही रोक दी गई थी। नियुक्ति के लिए आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा था। जिसके चलते आपत्तियां आई और प्रक्रिया आधे में ही रुक गई थी।
nअभ्यर्थियों की ओर से आवेदन भी जमा कराए गए थे। इसके करीब एक वर्ष के बाद अब विश्वविद्यालय ने अनंतिम सूची अभ्यर्थियों की जारी की है। विश्वविद्यालय में 57 पदों पर प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होना है। इसके लिए 319 अभ्यर्थियों ने आवेदन जमा किया था। आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किए जाने की वजह से इस नियुक्ति प्रक्रिया पर विरोध हुआ था।
nविश्वविद्यालय में इसके पहले वर्ष 1996 में नियुक्तियां की गई थी। इसके बाद वर्ष 2004 में दर्शन विभाग शुरू हुआ तो केवल एक पद पर नियुक्ति हुई। डॉ. श्रीकांत मिश्रा की नियुक्ति के बाद से अब तक कोई भी नियमित नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसके लिए लगातार कई बार प्रयास भी किए जाते रहे लेकिन अंजाम तक पहुंच पाए। अब लगातार वरिष्ठ प्रोफेसर्स सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। आगामी जून से लेकर अगस्त महीने के मध्य कई प्रमुख लोग सेवानिवृत्त हो जाएंगे, जिससे उनके विभाग खाली हो जाएंगे और पूरी व्यवस्था अतिथि विद्वानों के भरोसे रहेगी।
nइसलिए अब नई नियुक्तियों की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। अभ्यर्थियों की जो सूची जारी की गई है उसमें १५ दिन का समय दावा-आपत्तियों के लिए दिया गया है। कई अभ्यर्थियों का नाम सूची से बाहर कर दिया गया है, इसलिए उन्हें भी अवसर दिया गया है कि वह अपना दावा प्रस्तुत कर सकेंगे। 

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– इंटरव्यू के जरिए होगी नियुक्ति
nविश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की जो नियुक्ति होनी है, उसमें लिखित परीक्षा नहीं होगी। निर्धारित की गई योग्यता के पैमाने में जो खरे उतरेंगे उनकी नियुक्ति होगी। अब मेरिट के आधार पर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। इंटरव्यू के साथ ही पूर्व के अनुभव और आवश्यक शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नियुक्ति होगी।
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nकई वर्षों से पढ़ा पा रहे अतिथि विद्वानों को नहीं मिलेंगे अतिरिक्त अंक
nलंबे समय से विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को अलग से कोई लाभ नहीं मिलेगा। शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार ही नियुक्तियां की जाएंगी। इसलिए विश्वविद्यालय से बाहर के अभ्यर्थी और यहां अतिथि विद्वान के रूप में पढ़ाने वालों को समान अवसर मिलेगा। करीब सात वर्षों से अतिथि विद्वानों की नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। कुछ ऐसे हैं जो शासन की दूसरी नौकरियां करने के लिए आयु पूरी कर चुके हैं। इसलिए उन्हें भरोसा है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन उन पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सेवा का अवसर देगा। 
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nइन पदों पर होनी है नियुक्ति
nप्रोफेसर : विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद के लिए फिजिकल एजुकेशन में एक, बायोलॉजी में दो, बिजनेस इकोनामिक्स में दो, कमेस्ट्री में दो, फिजिक्स में एक, मैथ में दो, फिजिकोलॉजी में एक, एआईएचसी एंड आर्कोलॉजी में एक, व्यवसाय प्रशासन में एक, हिन्दी में एक, अंग्रेजी में एक, लाइफ लांग लर्निंग में एक, जेएन सेंटर एक पद।
nएसोसिएट प्रोफेसर :  फिजिकल एजुकेशन में पांच, बिजनेस इकोनामिक्स में एक, कमेस्ट्री में एक, फिजिक्स में दो, मैथ में एक, फिजिकोलॉजी में दो, एआईएचसी एंड आर्कोलॉजी में एक, व्यवसाय प्रशासन में एक, हिन्दी में एक, अंग्रेजी में दो, लाइफ लांग लर्निंग एक, जेएन सेंटर एक पद, कम्प्यूटर साइंस में एक पद।
nअसिस्टेंट प्रोफेसर :  फिजिकल एजुकेशन में पांच, बिजनेस इकोनामिक्स में दो, कमेस्ट्री में दो, फिजिक्स में तीन, मैथ में दो, फिजिकोलॉजी में तीन, एआईएचसी एंड आर्कोलॉजी में दो, व्यवसाय प्रशासन में दो, हिन्दी में एक,  लाइफ लांग लर्निंग एक पद।
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nकर्मचारियों के रिक्त पद समाहित करने की मांग
nअवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के न्यू कर्मचारी संघ ने कुलपति को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें मांग उठाई है कि पूर्व में दिए गए ज्ञापन पर अब तक अमल नहीं हुआ है। इसलिए विश्वविद्यालय के रिक्त पदों पर कार्यरत नियमित वेतनमान, स्थायीकर्मी एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को पहले समाहित किया जाए, इसके बाद ही नई नियुक्तियां की जाएं। कर्मचारियों की भी नियुक्तियां लंबे समय से नहीं हुई हैं। कुछ साल पहले बैकलॉग के कुछ पद भरे गए थे। लगातार कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, जिससे नियमित पदों पर नियुक्ति की मांग तेजी के साथ उठ रही है।
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nतकनीकी पहलुओं के निराकरण के बाद टीचर्स की नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की गई है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार ही चयन होगा। विश्वविद्यालय में अध्यापन करा रहे अतिथि विद्वानों और कालेजों के अतिथि विद्वानों के लिए भी गाइडलाइन है, इसी के तहत ही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
nडॉ. राजकुमार आचार्य, कुलपति एपीएसयू रीवा
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