Thursday, September 19

  रीवा। लक्ष्मणबाग संस्थान के पूर्व महंत हरिवंशाचार्य की ओर से दायर की गई याचिका पर 19 साल बाद पटाक्षेप हुआ है। हरिवंशाचार्य के निधन के बाद उनके कोर्ट में उनका कोई विधिक उत्तराधिकारी प्रस्तुत नहीं हुआ, जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। लक्ष्मणबाग संस्थान में लंबे समय से महंत की नियुक्ति नहीं हो सकी है। पूर्व महंत हरिवंशाचार्य और अन्य लोगों की ओर से कई याचिकाएं दायर की गई थी।

इस मामले में पूर्व डिप्टी कलेक्टर रमेश मिश्रा ने अधिवक्ता नागेन्द्र सिंह गहरवार के माध्यम से हस्तक्षेप याचिका दायर कराई। जिसमें मांग उठाई गई थी कि हरिवंशाचार्य का निधन हो चुका है लेकिन कोर्ट में मामले लंबित होने की वजह से नए महंत की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। साथ ही संस्थान की संपत्ति खुर्दबुर्द होने की आशंका है। इस कारण कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि सभी मामलों की सुनवाई एक साथ कराई जाए।

इस पर बीते जनवरी महीने में कोर्ट ने हरिवंशाचार्य के अधिवक्ता को कहा था कि यदि उनका कोई विधिक उत्तराधिकारी है तो उसका ब्यौरा कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जाए। संबंधित की ओर से कोई उत्तराधिकारी प्रस्तुत नहीं किया जा सका है, जिसकी वजह से कोर्ट ने हरिवंशाचार्य से जुड़ी एक याचिका खारिज कर दिया है। यह वर्ष 2005 में दायर की गई थी। जिस पर हरिवंशाचार्य ने जिला न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी थी।

Laxman bag rewa
हाईकोर्ट में पूर्व डिप्टी कलेक्टर की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता नागेन्द्र सिंह गहरवार

– आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत करने का था निर्देश
कोर्ट में लंबित पूर्व के प्रकरणों का एक साथ निराकरण करने की मांग से जुड़ी याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता नागेन्द्र सिंह गहरवार ने बताया कि लक्ष्मणबाग संस्थान से जुड़े भ्रगुवंश आचार्य जिला न्यायालय में मामला दायर किया था कि तत्कालीन महंत हरिवंशाचार्य की नियुक्ति संस्थान के निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं है। साथ ही मांग उठाई थी कि अपनी नियुक्ति से लेकर उस दौरान तक के आय-व्यय का लेखा वह सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करें। इस पर जिला कोर्ट ने 15 अप्रेल 2005 को आदेश किया था कि आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत किया जाए, साथ ही नियुक्ति को भी सही नहीं माना था। जिस पर हरिवंशाचार्य ने हाईकोर्ट में यह अपील दायर की थी कि संस्थान में उनकी नियुक्ति जायज है और उन पर आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत करने की बाध्यता नहीं है। इस प्रकरण में वर्षों से सुनवाई लंबित थी। अब हस्तक्षेप की मांग पर जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की कोर्ट ने सुनवाई किया और हरिवंशाचार्य की अपील को खारिज कर दिया है।

याचिकाएं लंबित होने से नई नियुक्ति नहीं
लक्ष्मणबाग संस्थान में हाईकोर्ट के निर्देश पर कलेक्टर को यहां का प्रशासक वर्ष 2005 से बनाया गया है। पूर्व महंत हरिवंशाचार्य से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर होने की वजह से नए महंत की नियुक्ति नहीं हो पाई। इधर हरिवंशाचार्य के निधन के बाद लक्ष्मणबाग से जुड़े कई लोगों ने महंत बनने के लिए आवेदन कर रखा है। कोर्ट से कोई निर्देश प्राप्त नहीं होने की वजह से कलेक्टर की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।

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