nरीवा। अतिरिक्त संचालक कार्यालय रीवा में करीब 25 वर्ष तक विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी रहे डॉ. प्रभात पांडेय को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मिली है। एडी कार्यालय में उनकी विदाई के लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कई पूर्व अतिरिक्त संचालक, सभी प्रमुख कालेजों के प्राचार्य एवं अन्य लोग शामिल हुए। सभी पूर्व अतिरिक्त संचालकों ने डॉ. पांडेय के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वह कार्य के प्रति निष्ठावान थे और कई लोगों का काम अकेले करते रहे हैं। साथ ही रीवा और शहडोल संभाग के सभी जिलों के कालेजों के साथ बेहतर समन्वय भी बनाते रहे हैं। कई अलग-अलग घटनाक्रम लोगों ने साझा किए। इसके पहले रीवा, उमरिया, अनूपपुर, पन्ना आदि जिलों के कालेजों में वह बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। व्यक्तिगत समस्याओं का हवाला देकर डॉ. प्रभात पांडेय ने सेवानिवृत्ति की मांग की थी। इस दौरान अतिरिक्त संचालक डॉ. जीपी पांडेय, पूर्व एडी डॉ. आरएन तिवारी, डॉ. पंकज श्रीवास्तव, डॉ. एसयू खान, डॉ. शिवदीन शर्मा के साथ टीआरएस कालेज की प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी, माडल साइंस कालेज की प्राचार्य डॉ. आरती सक्सेना, विधि कालेज के प्राचार्य डॉ. योगेन्द्र तिवारी, जनता कालेज के डॉ. देवेन्द्र गौतम, मऊगंज के डॉ.महानंद द्विवेदी सहित अन्य कालेजों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। इस दौरान पूर्व एडी डॉ. आरएन तिवारी ने डॉ. प्रभात पांडेय को झुककर प्रणाम किया और किया और कि वह हमारे शिष्य और छोटे भाई की तरह रहे हैं, हमने उनके शरीर को नहीं बल्कि उनके गुणों को प्रणाम किया है। कोई व्यक्ति उम्र से बड़ा नहीं होता अपने गुणों से उसका महत्व बढ़ता है।
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nपहले ऐसी किसी की विदाई नहीं
nडॉ. प्रभात पांडेय की विदाई के लिए विभाग के कर्मचारियों ने बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें रीवा जिले के विभिन्न कालेजों के प्राचार्य एवं प्रोफेसर्स तो पहुंचे ही साथ ही सतना, शहडोल, सीधी, मऊगंज सहित अन्य जिलों से भी लोग विदाई देने पहुंचे। अतिरिक्त संचाल कार्यालय में इस तरह से पहले किसी दूसरे अधिकारी की विदाई नहीं हुई। विदाई समारोह में मौजूद हर कोई भावुक हो गया। डॉ. प्रभात पांडेय स्वयं कोई भाषण नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि वह इस स्थिति में नहीं है कि कुछ देर तक संवाद कर सकें। जीवन के सबसे कठिन समय है, ऐसे में अपनों से अलग होने पर वह इस एहसास को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाएंगे। इसलिए उन्होंने अपना संदेश वाचन करने के लिए लिखित रूप से एक अन्य अधिकारी को दिया जिन्होंने उसका वाचन किया। इनके हर शब्द में जीवन के यथार्थ का उल्लेख किया गया था। साथ ही जिन लोगों के बीच जीवन का लंबा समय गुजारा हो उनसे अलग होने की पीड़ा भी बताई। उनके लिखित भाषण का वाचन सुनकर वहां पर मौजूद लोग भावुक हो गए।
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nइकलौते बेटे के निधन के बाद से टूट गए
nउच्च शिक्षा में बतौर ओएसडी करीब ढाई दशक सेवा देने वाले डॉ. प्रभात पांडेय की पहचान मददगार के रूप में रही है। उनके पास जो भी मदद के लिए गया उसकी हर संभव मदद करने का प्रयास किया। कहा जाता है कि उन्होंने लोगों को दिया ही है कभी किसी से कुछ लिया नहीं। इसलिए उनकी पहचान विभाग के बाहर भी अच्छी रही है। यही कारण था कि विदाई समारोह में बड़ी संख्या में उनके अन्य समर्थक भी पहुंचे थे।
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