रीवा।  “समुन्नत बघेली, समृद्ध बघेली” के अभियान को गति देती, साहित्यिक संस्था “बघेली सेवा मंच रीवा” का “बघेली कथा साहित्य वर्ष उत्सव” बड़े उल्लास पूर्ण वातावरण में,,विंध्य के साहित्यकारों, कलाकारों एवं सुविज्ञ जनों की, उत्साह पूर्ण उपस्थिति में संपन्न हुआ! रीवा के न्यू बस स्टैंड स्थित समदड़िया होटल के सभागार में, विंध्य के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकारों के उल्लासपूर्ण,गरिमामय उद्बोधन में, आने वाले समय में, बघेली की संभावनाओं की गूंज सुनकर, श्रोता भाव विभोर हुए। अपनी माटी की बोली बघेली के उन्नयन की दिशा में यह आयोजन मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर उपस्थित अग्रज साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर धूप दीप अर्पण और माल्यार्पण के पश्चात, मां सरस्वती की वंदना श्रुति मिश्रा द्वारा की गई । बघेली कथा साहित्य वर्ष उत्सव में कुल 11 बघेलीकथा पुस्तकों का विमोचन किया गया। सात लेखकों की इन पुस्तकों में, डॉक्टर विकल की
1)देश-विदेश से लघुकथाएं बघेली में,
2) नियदरी के सुख
3) अढ़ाई घरी भद्रा
4) बघेली कथा साहित्य और प्रतिनिधि कथाएं
डॉक्टर चंद्रजी की
5) रिस्तन केर निबाह(कहानी संग्रह)
गीता शुक्ला की:
6)को बनाइस और
7) बिट्टो के विदाई
इंदिरा अग्निहोत्री की:
8)सरिमन पूत
डॉ रश्मि शुक्ला की:
9)अबेर होइ गै
10) समरजीत वर्मा की :
अपना का कही थे
शंकर सिंह दर्शन की:
11) निबाहें परत है
तथा हिंदी कहानी संग्रह “पीठ का फोड़ा”:विकलजी हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. एनपी पाठक (पूर्व कुलपति एपीएसयू रीवा) ने बघेली सेवा मंच के इस अभूतपूर्व आयोजन को, बघेली बोली के उन्नयन की दिशा में एक बड़ा कदम निरूपित करते हुए, आयोजन और लेखन से जुड़े तमाम साहित्य विदों के प्रयास को सराहा। डॉक्टर पाठक ने मंच पर खुशी भरे लहजे में कहा, कि ऐसा जुनून बघेली को शीघ्र ही बड़ी गति देगा। हम सब अपने घरों में अपनों के बीच, अपनी बोली बघेली में बात करें। लेखन और वाचन की परंपरा बढ़ाएं।तभी हमारी बघेली पूर्णतः समृद्ध दशा में ,अन्य विकसित बोलियो के साथ खड़ी होकर, हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कराने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार डा.लहरी सिंह ने, बघेली बोली के इस अभियान में, बघेली कथा साहित्य लेखन की ओर, लेखकों के प्रयास की सराहना करते हुए कहा ,कि यह लेखन और यह उत्साह, बघेली को नई पहचान देगा! बघेली को कला,साहित्य और बोलचाल में लगातार प्रयोग करने से ही बघेली के विकास को गति मिलेगी। बघेली सेवा मंच के इस स्तुत्य प्रयास को, हम बघेली के लोग धन्य कहते हैं।
डॉक्टर दिनेश कुशवाह ने, बघेली कथा साहित्य में किए जा रहे इस अभियान स्वरूप प्रयास को, बघेली के उन्नयन की दिशा में अभूतपूर्व कदम बताते हुए, डॉ. विकल द्वारा,बघेली साहित्यकारों को प्रेरित करने, और बघेली सेवा मंच के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, आज बघेली सेवा मंच, बोली विकास के अभियान को लेकर की जा रही है अपनी सतत गतिविधियों के कारण, बघेली लेखन के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म साबित हो रहा है। ऐसे संकल्प सील प्रयास से ही बोली का विकास संभव हो सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक जयराम शुक्ल ने, बघेली बोली में किए जा रहे अभिनव प्रयोगों और प्रयासों की दिशा में अग्रणी साहित्यकार डॉ विकल को विशेष बधाई देते हुए सराहना की। साथ ही बघेली सेवा मंच की भूमिका को बघेली बोली के विकास में एवं लेखकों को प्रेरित करने, संबल देने की दिशा में एक बड़ा प्लेटफार्म निरूपित किया ।
डॉ चंद्र जी ने अपने वक्तव्य में उपस्थित साहित्यकारों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बघेली कथा साहित्य के लिए संकल्पित लेखकों के प्रयास को सराहा।साथ ही अपना योगदान देने, हर प्रकाशित पुस्तक पर विमर्श, परिचर्चा के क्रम को शुरू करने की आवश्यकता की बात कही।
डॉक्टर विवेक द्विवेदी ने पुस्तक चर्चा में, कहानियों एवं लघु कथाओं की विषय वस्तु एवं संवेदना के पक्ष पर प्रकाश डाला।
डा. लालजी गौतम ने प्रकाशित पुस्तकों की लघुकथाओं एवं कहानियों के कथा तत्व, उसकी समाज में प्रासंगिकता और कहानी के संदर्भ के निरूपण में पात्रों के साथ न्याय की बात कही। लेखन से पूर्व साहित्यकार का अधिकाधिक अध्ययन, लेखक के लेखन को अधिक प्रभावशाली, अधिक संवेदनशील बनाता है। इस बात का ध्यान रखें कम लिखा जाए, लेकिन अधिक संवेदनशील और प्रासंगिक लेखन होना चाहिए ।कार्यक्रम का बघेली बोली में संचालन करते हुए बघेली सेवा मंच के अध्यक्ष एवं संस्थापक भृगुनाथ पांडेय”भ्रमर” ने इस बघेली कथा साहित्य वर्ष उत्सव में भाग लेने वाले अतिथि साहित्यकारों ,लेखकों एवं सभी श्रोताओं से, अपने घरों, कार्यालयों, एवं विविध आयोजनों में,बघेली में ही संवाद कर, बघेली के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में योगदान देने की अपील की ।

कार्यक्रम में रीवा, सीधी, सतना, शहडोल ,सिंगरौली, मऊगंज, मैहर जिले से विभिन्न साहित्यिक विभूतियों का शामिल होना उल्लेखनीय रहा। इनमें डॉक्टर भारतेंदु मिश्र, माधवी मिश्रा, जगजीवन लाल तिवारी , योगेश त्रिपाठी,रामसहाय गौतम, राजीव शुक्ला मैहर, प्रमोद वत्स, मणिमाला सिंह, हसमत रीवानी, प्रदीप मिश्रा, विनोद भट्ट, मैथिलीशरण शुक्ला मैथिली, अशोक मिश्रा, वरुणेंद्र प्रताप सिंह(प्राचार्य), विनोद मिश्रा, विपुल सिंह, जावेद सौदागर, सत्येन्द्र सजग, शिवानंद तिवारी, अरुण प्यासी देवराज नगर, अभिषेक द्विवेदी, ओमप्रकाश मिश्रा व्यथित, डॉ शांतिदूत , डॉक्टर राजकुमार राज, स्नेह त्रिपाठी, पुष्पा मिश्रा, शिवांगी, सिंपल सिंह सरल, अमित द्विवेदी, रामकृष्ण द्विवेदी, अंकित त्रिपाठी, प्रसून मिश्रा, क्षितिज पांडे, किसन अग्निहोत्री, शिवम द्विवेदी, अंकित मिश्रा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।आभार ज्ञापन अनुराधा पांडे ने किया ।

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