Friday, February 7

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के व्यवसायिक प्रशासन विभाग में भारतीय ज्ञान परंपरा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जहां पर यूजी और पीजी के कोर्स में इसे शामिल करने को लेकर चर्चा हुई। मुख्य अतिथि प्रो. भरत मिश्र कुलपति महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट ने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परम्परा के समावेशन से हमारी समृद्ध परम्परा से विद्यार्थी अवगत होंगे।

नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला, उज्जयिनी एक समय में विश्व के शिक्षा जगत् का नेतृत्व कर रहे थें। जिसका मुख्य आधार भारतीय ज्ञान परम्परा ही रही है। भारतीय ज्ञान परम्परा पूर्णरूप से वैज्ञानिक है, हमारे यहां आर्यभट्ट, रामानुजन, चाणक्य आदि ऋषियों और विद्वानों ने ऐसे-ऐसे चमत्कार किये हैं जिससे प्रभावित होकर और शिक्षा ग्रहण कर विश्व के कई देशों ने बहुत सारी खोजें की।

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना अपरिहार्य है। यह हमारी नई पीढ़ी को मजबूती प्रदान करेगा।

मुख्यवक्ता प्रो. रघुराज किशोर तिवारी कृषि महाविद्यालय रीवा ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल में भी उन्नत विज्ञान और तकनीकी के असंख्य दृष्टांत मौजूद हैं। हमने उन्हें विस्मरण कर दिया था किन्तु अब पाठ्यक्रमों में उनका समावेश हमारी गौरवशाली परम्परा से परिचित कराएगा।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.सुरेन्द्र सिंह परिहार ने कहा कि किसी भी राष्ट्र को आगे बढऩे के लिए अपनी गौरवशाली परम्परा से परिचित होना जरूरी होता है। कार्यक्रम संयोजक प्रो. अतुल पाण्डेय ने कार्यशाला के उद्देश्य को बताया। इस दौरान प्रो. श्रीकान्त मिश्र सहित अन्य मौजूद रहे।

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