corruption news
रीवा। मिलर्स द्वारा चावल में हेराफेरी के मामले में एक बार फिर शासन के स्तर से जांच टीम गठित की गई है। मौके पर पहुंचकर वेयरहाउस की जांच करने के निर्देश के बाद रीवा में टीम पहुंची है। जिसमें मिलर्स द्वारा चावल खराब होने के बताए गए बहानों का सत्यापन शुरू किया गया है। प्रारंभिक तौर पर जांच टीम को कई तरह की मनमानी मिली है। इसके पहले बीते साल अक्टूबर महीने में प्रमुख सचिव के निर्देश पर रीवा जिले में कई वेयर हाउस की जांच की गई थी। जिसमें मिलर्स द्वारा बड़े पैमाने पर चावल समय पर जमा ही नहीं करना पाया गया था। जबकि कुछ स्थानों पर बिना चावल जमा कराए ही रजिस्टर पर एंट्री कराई गई थी। कई स्थानों पर गुणवत्ताहीन चावल जमा करा दिया गया था। इस मामले में संबंधित राइस मिलर्स के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई थी। जिसमें कई मिलर्स द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी और चावल खराब होने की वजह भी बताई गई थी।

इस मामले में अब फिर से जांच दल गठित किया गया है। मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के गुणवत्ता नियंत्रण शाखा की ओर से तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया गया है। जिसमें गुणवत्ता नियंत्रण के सहायक महाप्रबंधक राजेन्द्र कुमार कडू, सतना के जिला प्रबंधक नॉन पंकज बोरसे एवं भोपाल मुख्यालय के गुणवत्ता नियंत्रक सैयद तसव्वुर मोहम्मद आबिदी को शामिल किया गया है। उक्त जांच दल के सदस्यों ने रीवा के स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर जांच भी शुरू कर दिया है। जांच टीम ने मिलर्स से सवाल पूछे हैं कि जब धान का उठाव किया तो उस समय वेयर हाउस की कमियों के बारे में विभाग को सूचना दी अथवा नहीं। इसके बाद चावल जमा करते समय भी इस पर आशंका लिखित तौर पर जाहिर करना था। इन सवालों के जवाब मिलर्स द्वारा नहीं दिए गए हैं।

रीठी में 21 हजार बोरा चावल खराब मिला था
जिले के गुढ़ रोड रीठी में स्थित देव वेयरहाउस में दिव्य आहार फूड नाम के मिलर्स द्वारा चावल जमा कराया गया था। पूर्व में गठित कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि इस वेयर हाउस में 21 हजार 260 बोरा चावल खराब हालत में पाया गया था। यह चावल आठ स्टेक में जमा कराए गए थे। चावल जमा कराते समय गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है। इस कारण परीक्षण करने वालों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

वेयरहाउस में कमियों का दिया था हवाला
मिलर्स दिव्य आहार फूड की ओर से चावल खराब होने पर जो तर्क दिया गया था उसमें कहा गया था कि देव वेयर हाउस में जब चावल जमा कराया गया था तब उसका निर्माण पूरा नहीं हुआ था। वेयर हाउस में छत का लीकेज था और खिड़कियां खुली हुई थी। जिसकी वजह से बारिश का पानी वेयरहाउस के छत से टपकने और खिड़की से लगातार आने की वजह से वहां पर रखा चावल खराब हो गया। अनुबंध के अनुसार खराब चावल को फिर से गुणवत्ता परीक्षण कराने के बाद जमा कराए जाने का प्रावधान है। इस मामले में मिलर्स ने दोबारा चावल जमा करने से बचने के लिए इस तरह से बहाना बनाया है ताकि खराब चावल देने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो।
—-
कई मिलर्स हैं जांच के दायरे में
पूर्व में की गई जांच पर अब तक कई मिलर्स ने खराब चावल के बदले अच्छा नहीं जमा किया है। उनकी ओर से भी अलग-अलग तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं। इसकी मांग भी मुख्यालय तक कर चुके हैं। इसलिए विभाग ने कहा है कि देव वेयर हाउस के साथ ही रीवा जिले के करीब आधा दर्जन अन्य वेयर हाउस में रखे चावल का परीक्षण कराया जाएगा। जांच अधिकारियों ने कहा है कि कई अन्य वेयरहाउस में जांच का निर्देश मिला है।
—-
पूर्व में मिलर्स को शासन के स्तर से मिली थी राहत
इसके पहले जिले के सभी वेयर हाउस में स्टाक का सत्यापन कराया गया था। जिसमें पाया गया था कि करीब ६५ करोड़ रुपए से अधिक का चावल मिलर्स ने दबा रखा था। इस पर वसूली का नोटिस भी संबंधितों को जारी किया गया था। राजनीतिक प्रभाव की वजह से इन मिलर्स को लाभ पहुंचाने के लिए शासन के स्तर से अवसर दिया गया। इस कारण वसूली के नोटिस प्रभावहीन हो गए। पूर्व के वर्षों में भी इसी तरह करोड़ों के चावल में हेराफेरी होती रही है और जांच नहीं होने से कोई कार्रवाई भी नहीं हुई।

Share.
Leave A Reply