LaxamanBag Rewa Madhya Pradesh
रीवा। लक्ष्मणबाग संस्थान के महंत पद को लेकर चल रहे विवाद में अब तीसरे पक्ष ने भी याचिका दायर की है। जिसमें मांग उठाई गई है कि मामले का जल्द निराकरण कराया जाए। यह याचिका पूर्व संयुक्त कलेक्टर रमेश मिश्रा की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई है। जिसमें मांग उठाई गई है कि उन्होंने पक्षकार बनाया जाए और पूरे मामले का पटाक्षेप किया जाए ताकि नए सिरे से महंत की नियुक्ति का मार्ग खुल सके।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नागेन्द्र सिंह गहरवार ने बताया कि लक्ष्मण बाग संस्थान रीवा के पूर्व महंत स्वर्गीय हरिवंशाचार्य द्वारा हाईकोर्ट (High Court) जबलपुर में दाखिल अपील प्रकरण में पक्षकार बनने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। भ्रगुवंशाचार्य एवं अन्य द्वारा सिविल कोर्ट रीवा में हरिवंशाचार्य की महंत पद की नियुक्ति को चुनौती दी थी तथा महंती काल का आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत करने के लिए दावा प्रस्तुत किया था। जिसमें सिविल कोर्ट रीवा द्वारा वर्ष 2005 में हरिवंशाचार्य की नियुक्ति को अवैध मानकर हरिवंशाचार्य को महंती काल का आय-व्यय प्रस्तुत करने के लिए आदेश दिया था जिसके विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की गई थी। जिसका निराकरण उनके जीवन काल में न होने से वह आजीवन लक्ष्मण बाग संस्थान में रहे आए। बीते साल उनकी मृत्यु के बाद लक्ष्मणबाग संस्थान में स्थाई व पूर्णकालिक महंत की नियुक्ति की मांग उठने लगी है।
पूर्व से मामला कोर्ट में होने की वजह से शासन द्वारा महंत की नियुक्ति नहीं करने से रामानुज संप्रदाय से जुड़े लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं। यही कारण है कि अब कोर्ट में चल रहे मामले में रमेश मिश्रा द्वारा पक्षकार बनने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है। कोर्ट ने हरिवंशाचार्य के अधिवक्ता से कहा है कि यदि उनका निधन हुआ है तो उनके विधिक वारिसान की जानकारी प्रस्तुत की जाए। एक महीने बाद मामले में फिर सुनवाई होगी।
— विवाद के चलते राघवाचार्य की नियुक्ति का मामला अटका
लक्ष्मणबाग में वर्तमान में कोर्ट के निर्देश पर कलेक्टर को प्रशासक बनाया गया है। कलेक्टर अपने प्रतिनिधि के रूप में हुजूर एसडीएम को प्रशासक की जिम्मेदारी दे रखी है। संस्थान के महंत रहे हरिवंशाचार्य को महंत के पद से हटाने के बाद वह कोर्ट गए थे, मामला विचाराधीन होने की वजह से उन्हें परिसर में रहने की अनुमति दी गई थी। उनके निधन के बाद अयोध्या के कथावाचक राघवाचार्य को नया महंत बनाए जाने की घोषणा जनप्रतिनिधियों और लक्ष्मणबाग से जुड़े लोगों ने कर दी थी। इस पर रामानुज संप्रदाय से जुड़े देश के विभिन्न हिस्सों के संतों ने विरोध दर्ज कराया और कहा कि बायलाज के अनुसार रामानुज संप्रदाय के लक्ष्मणबाग से जुड़े व्यक्ति को ही महंत बनाया जाना चाहिए। विवाद उठने के बाद प्रशासन ने नियुक्ति से जुड़ी प्रक्रिया को रोक दिया है। अब कोर्ट के मार्गदर्शन का इंतजार किया जा रहा है।
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