Laxamanbag Rewa
रीवा। लक्ष्मणबाग संस्थान में नए महंत की नियुक्ति का मामला करीब एक वर्ष से अधर में लटका हुआ है। पूर्व महंत का निधन करीब एक वर्ष पहले हुआ था, तब से नए महंत के चयन को लेकर प्रक्रिया चल रही है। एक ओर नए महंत की तलाश की जा रही है, वहीं दूसरी ओर इस पर विवाद भी खड़े हो रहे हैं। जिसकी वजह से मामला अधर में लटका हुआ है।
लक्ष्मणबाग के महंत रहे हरिवंशाचार्य को पूर्व में कोर्ट के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकार से अलग कर दिया गया था। कलेक्टर को संस्थान का प्रशासक बनाया गया है। कलेक्टर ने एसडीएम को अपने प्रतिनिधि के रूप में जिम्मेदारी सौंप रखी है। महंत हरिवंशाचार्य के निधन के बाद कोर्ट में पूर्व संयुक्त कलेक्टर रमेश मिश्रा सहित अन्य कई लोगों की ओर से याचिका दायर की गई थी और कहा गया था कि लक्ष्मणबाग में महंत की नियुक्ति नहीं होने की वजह से इसकी संपत्ति खुर्द-बुर्द की जा रही है। प्रशासक द्वारा ठीक से निगरानी नहीं की जा रही है। इस कारण पूर्व से लंबित याचिकाओं का निराकरण किया जाए ताकि महंत की नियुक्ति का रास्ता साफ हो सके।
– विधिक उत्तराधिकारी नहीं आए सामने
महंत हरिवंशाचार्य के निधन के बाद कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका के जरिए पूर्व की याचिकाओं के निराकरण की मांग पर नोटिस जारी की गई थी। जिस पर हरिवंशचार्य का कोई विधिक उत्तराधिकारी निर्धारित समय पर प्रस्तुत नहीं हुआ, जिसके चलते बीते 19 वर्ष से लंबित याचिका को खारिज किया गया है। लक्ष्मणबाग संस्थान से जुड़ी याचिका में पैरवी करने वाले अधिवक्ता नागेन्द्र सिंह गहरवार ने बताया कि पूर्व में भ्रगुवंश आचार्य ने जिला न्यायालय में मामला दायर किया था, जिसमें जिला कोर्ट ने 15 अप्रेल 2005 को आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत करने का आदेश किया था। जिसके विरुद्ध हरिवंशाचार्य ने हाईकोर्ट में यह अपील दायर की थी कि संस्थान में उनकी नियुक्ति जायज है और उन पर आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत करने की बाध्यता नहीं है। इस प्रकरण में वर्षों से सुनवाई लंबित थी। कुछ समय पहले हरिवंशाचार्य की मौत के बाद कोर्ट ने विधिक उत्तराधिकारी को प्रस्तुत होने का अवसर दिया, जब कोई नहीं पहुंचा तो याचिका खारिज कर दी गई है। अब एक याचिका और लंबित है, जिसमें हरिवंशाचार्य ने अपदस्थ किए जाने के खिलाफ रिट दायर किया था। वह खारिज हुआ तो डबल बेंच में मामला लंबित है। अब उनका निधन हो चुका है, इस कारण इसका भी जल्द पटाक्षेप होने की संभावना जताई जा रही है।
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परंपरा अनुसार त्रिदंडी मठ के महंत को मिले अवसर
कलेक्टर को लक्ष्मणबाग संस्थान से जुड़े लोगों ने ज्ञापन सौंपा है। जिसमें मांग उठाई है कि परंपरा के अनुसार त्रिदंडी मठ गोविंदगढ़ के महंत को लक्ष्मणबाग का महंत नियुक्त किया जाता रहा है। इसके पहले बद्री प्रपन्नाचार्य, राघवाचार्य महराज, हरिवंशाचार्य आदि जो त्रिदंडी मठ से जुड़े रहे हैं, उन्हें लक्ष्मणबाग का महंत बनाया गया था। संस्थान के बायलाज के अनुसार रामानुज संप्रदाय से जुड़ा व्यक्ति ही महंत हो सकता है। त्रिदंडी मठ में इस संप्रदाय के प्रमुख संत अब तक रहे हैं। वर्तमान में शेषमणि दासाचार्य मठ के महंत हैं। इस कारण उन्हें लक्ष्मणबाग का नया महंत बनाने की मांग उठाई गई है। यह आवेदन दिनेश प्रसाद उपाध्याय, कृष्ण केशव मिश्रा, चंद्रमणि तिवारी सहित अन्य ने दिया है।
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संस्थान की संपत्ति बचाने महंत की नियुक्ति जरूरी
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले पूर्व संयुक्त कलेक्टर रमेश मिश्रा का कहना है कि लक्ष्मणबाग संस्थान में महंत की नियुक्ति नहीं होने से सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। दूसरे राज्यों में करोड़ों की संपत्ति से अधिकार छिन गया और प्रशासन ने ठीक तरीके से पैरवी नहीं की। संस्थान के पूर्व महंत की मौत हो चुकी है। कानूनन अब नए महंत को नियुक्त किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया जिला प्रशासन के स्तर पर की जानी है, जहां से स्वीकृति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाना है। मिश्रा ने यह भी कहा कि रामानुज संप्रदाय से ही कोई महंत नियुक्त होगा, इसलिए प्रशासन अपने स्तर पर किसी निर्विवादित नाम का जल्द चयन करे।
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राघवाचार्य के नाम पर फिर शुरू हुई पहल
पूर्व महंत की हरिवंशाचार्य की मौत के बाद अयोध्या के कथावाचक राघवाचार्य को नया महंत बनाने का प्रस्ताव संस्थान से जुड़े लोगों ने दिया था। जिस पर उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला एवं पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह सहित कई नेताओं ने भी राघवाचार्य के नाम का समर्थन किया था। बीते साल ही इनके पट्टाभिषेक का कार्यक्रम भी निर्धारित हो गया था। इसी बीच देश के कई हिस्सों से रामानुज संप्रदाय के लोग रीवा पहुंचे और कलेक्टर के सामने पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की मांग उठाई थी। बढ़ते विवाद को देखते हु