Thursday, September 19

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि शराब ठेका पाने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मोरवा, सिंगरौली द्वारा फर्जी तरीके से परफॉरमेंस गारंटी दी गई।

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायाधीश विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने कमर्शियल टैक्स विभाग के प्रमुख सचिव, आबकारी आयुक्त, रीवा के कलेक्टर, एसपी व ईओडब्ल्यू एसपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
रीवा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता बृजेन्द्र कुमार माला उर्फ बीके माला (BK Mala) की ओर से पक्ष रखा। दलील दी गई कि रीवा में 9 लोगों ने संयुक्त शराब ठेका पाने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मोरवा, सिंगरौली के अधिकारियों से मिलकर कर फर्जी परफॉरमेंस गारंटी प्राप्त की। बिना मार्जिन जमा किए 15 करोड़ रुपए प्राप्त कर लिए।

Liquor scam rewa mp
याचिकाकर्ता बीके माला

उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार शेड्यूल्ड बैंक जैसे नेशनलाइज्ड, रीजनल रूरल बैंक आदि को ही परफॉरमेंस गारंटी देने का अधिकार है। को-ऑपरेटिव बैंकों को इसका अधिकार नहीं है। मामले की शिकायत पर जब कोई जांच नहीं हुई तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

 प्रदेशभर में कई जगह फर्जी बैंक गारंटी से जुड़े मामले सामने आने के बाद कार्रवाई की तैयारी
रीवा। शराब दुकान समूहों के ठेके में फर्जी बैंक गारंटी लगाए जाने के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री हो गई है। करीब आठ वर्ष पहले इंदौर में हुए फर्जी बैंक गारंटी घोटाले के मामले में ईडी ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही अब प्रदेश के अन्य हिस्सों में इस तरह के लिए घपले में जांच कराए जाने की बात कही गई है। जिसके चलते रीवा में हुए फर्जीबाड़े में भी जांच की संभावना बढ़ गई है। करीब एक वर्ष से अधिक समय से रीवा में हुए गड़बड़झाले की जांच कराए जाने की मांग की जा रही है। स्थानीय स्तर पर जांच भी हुई है, प्रथम दृष्टया कुछ कार्रवाइयां भी हुई हैं लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। जबकि शिकायतकर्ता बीके माला की ओर से पहले से ही एक आवेदन ईडी को दिया जा चुका है।

बीके माला की शिकायत पर पूर्व में संभागायुक्त द्वारा कराई गई जांच में यह बात प्रमाणित बताई गई है कि जानबूझकर फर्जी रूप से बैंक गारंटी लगाई गई है। यह शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से आबकारी विभाग के अधिकारियों ने किय था। शराब दुकानों का लाइसेंस जारी करने में फर्जी बैंक गारंटी लगाए जाने के आरोपों की पुष्टि जांच में हो गई है। संभागायुक्त के निर्देश पर जिला सहकारी बैंक सीधी की ओर से जांच के लिए गठित की गई टीम की रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें माना गया है कि सिंगरौली के मोरबा ब्रांच के तत्कालीन प्रबंधक ने नियम विरुद्ध तरीके से बैंक गारंटी जारी की थी। बताया गया है कि ईडी ने इंदौर, भोपाल सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में जहां भी इस तरह के मामले सामने आए हैं सभी में जानकारी मंगाई है।

– राष्ट्रीयकृत बैंक के बजाए सहकारी बैंक की गारंटी लगाई
जांच में माना गया है कि तत्कालीन मोरवा के शाखा प्रबंधक ने नियमों को दरकिनार करते हुए कुछ फर्मों को लाभ पहुंचाने के लिए काम किया था। जिस पर जिला आबकारी अधिकारी सहित विभाग ने उसी फर्जी बैंक गारंटी को सही माना जबकि राष्ट्रीयकृत बैंक की गारंटी जरूरी होती है। सहकारी बैंक की गारंटी दूसरे जिले से जारी की गई थी, इसकी शिकायत के बाद भी विभाग ने जांच नहीं कराई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन शाखा प्रबंधक मोरबा की ओर से जारी की गई बैंक गारंटी में बंधक के रूप में कोई संपत्ति नहीं ली गई। अमानत राशि भी नहीं जमा कराई। यह भी कहा गया है कि सहकारी बैंक की शाखा को बैंक गारंटी जारी करने का अधिकार नहीं है। कूटरचित तरीके से दस्तावेज तैयार किए गए थे। शिकायतकर्ता ने अब मांग उठाई है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई जाए ताकि पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो सके। शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह को निलंबित किया जा चुका है।

14 शराब दुकानों के लिए जारी हुई थी बैंक गारंटी
शिकायतकर्ता ने बताया कि जांच रिपोर्ट में 14 शराब दुकानों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी होने की पुष्टि हुई है। जिसमें रीवा जिले में मेसर्स आशा इंटरप्राइजेज को 1.56 करोड़ रुपए, मां लक्ष्मी इंटरप्राइजेज बैकुंठपुर समूह को 1.46 करोड़, हनुमना समूह को 1.67 करोड़, नईगढ़ी समूह को 90 लाख रुपए, देवतालाब समूह को 1.06 करोड़, उपेन्द्र सिंह मऊगंज समूह को 92 लाख, आदित्य प्रताप सिंह रायपुर कर्चुलियान समूह को 78 लाख, आर्या ग्रुप को 22.30 लाख, 2.45 करोड़, 2.45 करोड़, सिंगरौली के लिए अमन सिंह बघेल को 1.31 करोड़, आर्या ग्रुप के विजय बहादुर सिंह को 70 लाख, भोपाल के लिए भीम इंटरप्राइजेज को 8.60 लाख एवं 10.40 लाख रुपए की बैंक गारंटी जारी की गई थी।

Share.
Leave A Reply