Friday, September 20

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार लोकपाल की नियुक्ति कर दी गई है। विश्वविद्यालय के अगले लोकपाल के लिए प्रो. संत प्रसाद गौतम को चुना गया है। प्रो. गौतम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व में कुलपति भी रहे हैं। लोकपाल की नियुक्ति से जुड़ी शर्तों को पूरा करने के चलते इनकी नियुक्ति का आदेश विश्वविद्यालय की ओर से जारी किया गया है। लोकपाल के लिए सेवानिवृत्त कुलपति, सेवानिवृत्त प्रोफेसर जो विभागाध्यक्ष, डीन, राज्य-केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों, या फिर जिला स्तर पर न्यायाधीश के रूप में दस वर्ष तक काम करने का अनुभव रखने वालों से आवेदन मंगाया गया था।

पूर्व में कुलपति सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर काम करने के अनुभव की वजह से प्रोफेसर संत प्रसाद गौतम को चुना गया है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में लंबे समय से लोकपाल का पद खाली चल रहा था। इसके लिए लगातार मांग उठाई जा रही थी। विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से पहले कई बार प्रयास भी किए गए लेकिन लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकी। विश्वविद्यालय की ओर से विज्ञापन जारी किए जाने के बाद आवेदन ही नहीं आए, जिसकी वजह से नियुक्ति टलती रही है।
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यूजीसी की तल्खी के बाद प्रक्रिया हुई थी तेज
कुछ दिन पहले ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर पाने के चलते रीवा सहित प्रदेश के १८ विश्वविद्यालयों को डिफाल्ट घोषित कर दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि समय पर नियुक्ति नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली मदद भी रोकी जाएगी। इस कारण रीवा के विश्वविद्यालय प्रबंधन ने आनन फानन में विज्ञापन जारी किया और व्यक्तिगत तौर पर भी कई पूर्व कुलपतियों से आवेदन करने के लिए कहा था। जिसके चलते आवेदन आया और नियुक्ति भी कर दी गई। प्रदेश के सभी डिफाल्ट हुए कालेज इस नियुक्ति की प्रक्रिया अपना रहे हैं।

छात्रों की शिकायतें सुनने में मिलेगी मदद
लोकपाल का काम छात्रों की शिकायतों का निवारण करने पर फोकस होता है। इसलिए नियुक्ति होने के बाद छात्रों को बड़ी मदद मिलेगी। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्रों से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं। इनके निराकरण के लिए कोई ठोस प्रावधान अब तक नहीं था। छात्र कुलपति, कुलसचिव एवं उच्च शिक्षा के अधिकारियों के पास अपनी शिकायतें भेजते हैं। लोकपाल की नियुक्ति होने पर त्वरित रूप से इनका समाधान होगा। इसी तरह कर्मचारियों की समस्याओं के साथ ही अन्य शिकायतों का भी निराकरण होगा। इसके पहले रीवा में लोकपाल की नियुक्ति हुई थी, वह कई महीनों के अंतराल के बाद रीवा आते थे और सामान्य मुलाकात के बाद वापस लौट जाते थे। जबकि लोकपाल की नियुक्ति के पीछे यह मंशा यूजीसी और सरकार की है कि विश्वविद्यालय की वर्तमान व्यवस्था के कामकाज से यदि छात्र व कोई अन्य संतुष्ट नहीं है तो उनके लिए समानांतर व्यवस्था दी जाए।

नैक मूल्यांकन से पहले नियुक्ति
विश्वविद्यालय में 19 से 21 फरवरी तक नैक का मूल्यांकन होना है। इसके लिए टीम को आना है, जिसकी तैयारियां की जा रही हैं। इस बीच लोकपाल की नियुक्ति से ग्रेडिंग के लिए विश्वविद्यालय का दावा मजबूत होगा क्योंकि लोकपाल की नियुक्ति कर छात्रों की शिकायत सुनने का उचित फोरम स्थापित करने से जुड़े अंक भी मूल्यांकन में शामिल किए गए हैं।

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